Tonk: 75 साल हुए आजादी को, फिर भी कच्चा रास्ता, सचिन पायलट की विधानसभा के देवगंज गांव में फूटा लोगों का गुस्सा
टोंक जिले की सचिन पायलट विधानसभा क्षेत्र के देवगंज गांव में आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी दो किलोमीटर लंबी पक्की सड़क नहीं बन पाई है। मंडावरा ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले इस गांव के ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने वर्षों तक एकतरफा वोट दिया, लेकिन जनप्रतिनिधियों ने उनकी सुध नहीं ली।
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टोंक जिले की सचिन पायलट विधानसभा क्षेत्र में स्थित एक गांव ऐसा भी है, जो आज़ादी के 75 साल बाद भी महज़ दो किलोमीटर लंबी पक्की सड़क बनने का इंतज़ार कर रहा है। यह वही गांव है, जिसके एक निवासी रामस्वरूप जाट ने हाल ही में पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर को खुले सभागार में जमकर खरी-खोटी सुनाकर प्रशासन और सरकार का ध्यान खींचा था।
हम बात कर रहे हैं टोंक विधानसभा क्षेत्र के देवगंज गांव की, जो मंडावरा ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है। गांव के ग्रामीणों का आरोप है कि आज़ादी के बाद से अब तक उन्होंने पंचायत राज चुनाव से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनावों तक लगातार भारतीय जनता पार्टी को एकतरफा वोट दिया, लेकिन इसके बावजूद गांव की मूलभूत समस्या पक्की सड़क आज तक हल नहीं हो पाई।
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में करीब 400 से अधिक मतदाता हैं, जिनमें कई लोग सरकारी सेवाओं में कार्यरत हैं, लेकिन गांव तक पहुंचने वाली सड़क न तो डामरीकरण से बनी है और न ही सीमेंट की। बरसात के दिनों में हालात और बदतर हो जाते हैं। कीचड़ और गड्ढों के कारण गांव का संपर्क लगभग कट जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क नहीं होने का असर अब सामाजिक जीवन पर भी साफ दिखने लगा है। गांव में 30 से 40 वर्ष की उम्र पार कर चुके कई युवक आज भी कुंवारे हैं, क्योंकि खराब रास्तों के कारण रिश्ते तक नहीं हो पा रहे हैं। लोगों का कहना है कि वर्षों से गांव के बेटों की शादियां इसी वजह से अटकी हुई हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने सरपंच से लेकर जिला कलेक्टर तक, जयपुर सचिवालय से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक हर जगह सड़क निर्माण की गुहार लगाई, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला। भाजपा के जिला अध्यक्ष, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद और मुख्यमंत्री तक से भी कई बार मांग रखी गई, लेकिन सड़क का निर्माण नहीं हुआ। हाल ही में पंचायतीराज मंत्री मदन दिलावर से शिकायत करने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
इतना ही नहीं, उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा, पीडब्ल्यूडी मंत्री और उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी तक से भी ग्रामीण अपनी पीड़ा बता चुके हैं। अधिकारियों की टीम कई बार सर्वे करने गांव पहुंची, लेकिन आज तक न तो काम शुरू हुआ और न ही कोई समयसीमा तय की गई। ग्रामीणों का कहना है कि इस बार विधानसभा विधायक भी कांग्रेस पार्टी से हैं और सांसद भी कांग्रेस से ही निर्वाचित हैं। इसके बावजूद गांव के लोगों को अब तक राहत नहीं मिली। उन्होंने कांग्रेस विधायक सचिन पायलट और सांसद हरीशचंद्र मीना से भी कई बार शिकायत की, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही मिले।
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अब ग्रामीणों का सब्र जवाब देने लगा है। गांव के लोगों ने एक बार फिर टोंक जिला प्रशासन और सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि इस अवधि में सड़क निर्माण का काम शुरू नहीं हुआ तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। कुछ लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि ज़रूरत पड़ी तो पानी की टंकी पर चढ़कर आत्मदाह जैसा कदम भी उठाया जाएगा। एक ग्रामीण ने भावुक होकर कहा कि चाहे कोई साथ दे या न दे, वह खुद आत्मदाह करेगा, तब शायद गांव की सड़क बने।
इस समस्या का असर बच्चों की पढ़ाई पर भी साफ नजर आ रहा है। गांव के स्कूली बच्चों ने बताया कि बारिश के दिनों में स्कूल जाते समय कीचड़ में चलना मुश्किल हो जाता है। साइकिल से गिरने पर उन्हें चोटें तक लगती हैं। इसी परेशानी के चलते कई बच्चों ने सरकारी स्कूल से स्थानांतरण प्रमाण पत्र (टीसी) कटवा ली है और निजी स्कूलों में दाखिला ले लिया है।
अब गांव के बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग एक सुर में सरकार और प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि उनकी कई पीढ़ियों ने गांव में पक्की सड़क नहीं देखी। उनका कहना है कि पक्की सड़क उनका भी अधिकार है और अगर अब भी सड़क नहीं बनी तो वे सरकार और प्रशासन के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ने को मजबूर होंगे।