हिमाचल में लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड नहीं बनाने पर ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधि और सचिव नप सकते हैं। सरकार ने आयुष्मान भारत योजना में पांच लाख रुपये तक इलाज के लिए गोल्डन कार्ड बनाने की जिम्मेदारी इन पंचायत प्रतिनिधियों को दी थी। बावजूद इसके कई पंचायतों के बुरे हाल हैं। इन पंचायतों के कई गांवों में लाभार्थियों की आधी जनसंख्या को भी कवर नहीं किया गया है। यह सही है कि ये कार्ड बनाने के लिए लाभार्थियों को खुद लोक मित्र केंद्रों में जाकर आवेदन करना था, लेकिन पंचायत प्रतिनिधियों और सचिवों पर ग्राम सभाओं और अन्य तरीकों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया था कि वे अधिकतम लाभार्थियों को इस योजना के तहत कवर करवाएं। इस योजना को शुरू हुए दो साल से ज्यादा समय हो गया है। केंद्र सरकार ने इस पर चिंता जताई है कि आज भी प्रदेश के करीब डेढ़ लाख लाभार्थी परिवारों के पास ये गोल्डन कार्ड नहीं हैं। प्रदेश के 32 प्रतिशत परिवारों ने कार्ड नहीं बनाए हैं। 10 हजार 759 गांव ऐसे हैं, जहां इस योजना के तहत एक भी लाभार्थी कवर नहीं है। ऐसे तमाम परिवारों को 31 मार्च से पहले यह कार्ड बनाने के आदेश जारी किए गए हैं।
हिमाचल में लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड नहीं बनाने पर ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधि और सचिव नप सकते हैं। सरकार ने आयुष्मान भारत योजना में पांच लाख रुपये तक इलाज के लिए गोल्डन कार्ड बनाने की जिम्मेदारी इन पंचायत प्रतिनिधियों को दी थी। बावजूद इसके कई पंचायतों के बुरे हाल हैं। इन पंचायतों के कई गांवों में लाभार्थियों की आधी जनसंख्या को भी कवर नहीं किया गया है। यह सही है कि ये कार्ड बनाने के लिए लाभार्थियों को खुद लोक मित्र केंद्रों में जाकर आवेदन करना था, लेकिन पंचायत प्रतिनिधियों और सचिवों पर ग्राम सभाओं और अन्य तरीकों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया था कि वे अधिकतम लाभार्थियों को इस योजना के तहत कवर करवाएं। इस योजना को शुरू हुए दो साल से ज्यादा समय हो गया है। केंद्र सरकार ने इस पर चिंता जताई है कि आज भी प्रदेश के करीब डेढ़ लाख लाभार्थी परिवारों के पास ये गोल्डन कार्ड नहीं हैं। प्रदेश के 32 प्रतिशत परिवारों ने कार्ड नहीं बनाए हैं। 10 हजार 759 गांव ऐसे हैं, जहां इस योजना के तहत एक भी लाभार्थी कवर नहीं है। ऐसे तमाम परिवारों को 31 मार्च से पहले यह कार्ड बनाने के आदेश जारी किए गए हैं।