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Himachal News: नशा बना रहा मनोरोगी, आईजीएमसी शिमला में हर हफ्ते आ रहे 50 मरीज

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला। Published by: Krishan Singh Updated Mon, 01 Dec 2025 11:20 AM IST
सार

इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) के मनोरोग विभाग में मानसिक रोगियों के अलावा नशे की गिरफ्त में आने वालों का आंकड़ा बढ़ रहा है। 

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Drug addiction is turning people into psychopaths, with 50 patients arriving at IGMC Shimla every week.
सांकेतिक - फोटो : freepik
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विस्तार
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नशे की गिरफ्त में आने से जहां परिवार तबाह हो रहे हैं, वहीं सफेद जहर (चिट्टा) मनोरोगी भी बना रहा है। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) के मनोरोग विभाग में मानसिक रोगियों के अलावा नशे की गिरफ्त में आने वालों का आंकड़ा बढ़ रहा है। औसतन सप्ताह में आने वाले 1500 मनोरोगियों में 50 नशे के आदी रहते हैं। इनमें करीब 25 मामले भांग, भुक्की, अफीम और 25 सफेद जहर (चिट्टे) के होते हैं। इनमें युवक, युवतियां, अमीर, गरीब हर पारिवारिक पृष्ठभूमि के हैं। नशा मुक्ति के मरीजों के लिए विभाग में सिर्फ 10 बिस्तरों की व्यवस्था है, जो कम पड़ गई है।

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 नशे की गिरफ्त में आने से जहां परिवार तबाह हो रहे हैं, वहीं सफेद जहर (चिट्टा) मनोरोगी भी बना रहा है। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) के मनोरोग विभाग में मानसिक रोगियों के अलावा नशे की गिरफ्त में आने वालों का आंकड़ा बढ़ रहा है। औसतन सप्ताह में आने वाले 1500 मनोरोगियों में 50 नशे के आदी रहते हैं। इनमें करीब 25 मामले भांग, भुक्की, अफीम और 25 सफेद जहर (चिट्टे) के होते हैं। इनमें युवक, युवतियां, अमीर, गरीब हर पारिवारिक पृष्ठभूमि के हैं। नशा मुक्ति के मरीजों के लिए विभाग में सिर्फ 10 बिस्तरों की व्यवस्था है, जो कम पड़ गई है।

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यह सिर्फ एक अस्पताल के सप्ताह भर के आंकड़े हैं। प्रदेश के अन्य मनोरोग विभाग वाले संस्थानों में भी मरीज आते हैं। चिकित्सकों की मानें तो अस्पताल तक वही नशे का आदी आता है, जो स्वयं और उसके परिजन उसे नशे से मुक्ति दिलवाना चाहता हों। नशे के आदी मरीजों और उनके माता-पिता की काउंसलिंग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अलग-अलग ग्रुप बनाकर चिकित्सक मरीज की व्यक्तिगत तौर पर काउंसलिंग करते हैं और उसके नशे को त्यागने के मनोबल को बढ़ाने के लिए कार्य करते हैं। परिवार के लोगों को भी अलग से काउंसलिंग सेशन होते हैं। स्पष्ट किया जाता है कि नशे की गिरफ्त में आने की पूरी संभावनाएं रहती हैं। इसलिए नशे के आदी व्यक्ति की निगरानी जरूरी होती है। योग, ध्यान के माध्यम से नशे से मुक्ति के टिप्स दिए जाते हैं।

नशे के आदी करते हैं अलग वार्ड की मांग
मनोरोग विभाग में उपचार को भर्ती होने वाले नशे के आदी अन्य मनोरोगियों से अलग वार्ड में रखे जाने की मांग करते हैं। उनका तर्क होता है कि वह मनोरोगी नहीं हैं, नशे के आदी हैं।

चिट्टा नाम करता है नशा करने को प्रेरित
 विशेषज्ञों का मानना है कि नशे के आदी रोगियों को चिट्टा नाम, सिरिंज की फोटो, घर में रखा सफेद पाउडर नशा करने के लिए प्रेरित करता है। इसलिए इन शब्दों, फोटो और उत्पादों को उनके सामने न लाया जाए तो उनके लिए अच्छा रहता है। 

दृढ़ इच्छा शक्ति जरूरी
नशे की लत को छोड़ना मरीज और उसके परिजनों की दृढ़ इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है। नशे से आदी के उपचार करवाने आने वाले का आंकड़ा बढ़ रहा है। -डॉ. दिनेश दत्त शर्मा, अध्यक्ष मनोरोग विभाग, आईजीएमसी

अतिरिक्त बिस्तर लगेंगे
नशा मुक्ति को आने मरीजों के लिए अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की जा रही है। इस पर जल्द प्रशासन फैसला लेगा। -डॉ. राहुल राव, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक

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