हिमाचल में पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को भी अगली कक्षा में जाने के लिए परीक्षा पास करनी होगी। शैक्षणिक सत्र 2020-21 से प्रदेश सरकार यह व्यवस्था करने जा रही है। नो डिटेंशन पॉलिसी समाप्त करने के लिए प्रदेश सरकार यह मामला गुरुवार को कैबिनेट की बैठक में ला रही है।शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत वर्तमान में पहली से आठवीं कक्षा तक स्कूलों में असेसमेंट परीक्षा होती है। किसी भी विद्यार्थी को फेल नहीं किया जाता। इस प्रक्रिया के चलते नवीं और दसवीं कक्षा में पहुंचते ही फेल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रही है।
इस दिन होगी हिमाचल कैबिनेट की बैठक: कर्मचारियों समेत विद्यार्थियों के लिए हो सकते हैं ये बड़े एलान
बीते साल केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम में संशोधन करते हुए पांचवीं और आठवीं कक्षा की परीक्षाएं लेने या न लेने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया है। हिमाचल सरकार परीक्षाएं कराने का सैद्धांतिक तौर पर फैसला पहले ही ले चुकी है।इसी कड़ी में गुरुवार को कैबिनेट बैठक में इसका प्रस्ताव लाया जाएगा। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय द्वारा तैयार प्रस्ताव के मुताबिक राज्य स्कूल शिक्षा बोर्ड पांचवीं और आठवीं कक्षा के लिए प्रश्नपत्र तैयार करेगा। ब्लाक स्तर पर निदेशालय स्वयं पेपर चेकिंग करवाएगा।
वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले विद्यार्थियों को दो माह में फिर परीक्षा का मौका मिलेगा। इन दो माह के भीतर फेल होने वाले विद्यार्थियों के लिए एक्सट्रा क्लास लगाई जाएगी। दोबारा होने वाले परीक्षा में भी फेल होने वाले विद्यार्थियों को अगली कक्षा में नहीं भेजा जाएगा। पहली से चौथी और छठी व सातवीं कक्षा के विद्यार्थियों को असेसमेंट आधार पर ही अगली कक्षा में दाखिला दिया जाएगा। इन कक्षाओं के लिए नो डिटेंशन पॉलिसी जारी रहेगी।
हिमाचल सचिवालय में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के पदों पर होने वाली भर्ती में प्रदेश के बाहर के लोगों को नौकरी मिलने का मामला अब जयराम मंत्रिमंडल के सामने जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल भर्ती प्रक्रिया के तहत दिए जाने वाले 15 अंकों के वितरण को लेकर तय नियमों पर चर्चा करेगा। इसके बाद तय होगा कि इन श्रेणियों की भर्तियों में बाहर के प्रदेश के युवाओं को आवेदन करने से कैसे रोका जाए। बता दें, जयराम सरकार में सचिवालय में विभिन्न पदों पर भर्तियां हुई जिनमें बिहार और झारखंड तक के अभ्यर्थी चयनित हो गए।
चूंकि नियम में अभी तक पात्रता के लिए भारतीय होने की शर्त थी, इसलिए दूसरे प्रदेशों के भी युवाओं ने आवेदन कर दिया और चयनित हो गए। मामला प्रकाश में आने पर सचिवालय कर्मचारियों ने इसका कड़ा विरोध किया और मुख्यमंत्री, अतिरिक्त मुख्य सचिव कार्मिक और सचिव सचिवालय प्रशासन से शिकायत कर दखल देने की मांग की। इसके बाद मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि सरकार इसको लेकर ठोस कदम उठाएगी। इसी क्रम में अब कार्मिक विभाग इस मसले को मंत्रिमंडल में ले जाएगा और मंत्रिमंडल के निर्देश के अनुसार इसमें बदलाव किए जाएंगे।