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आईजीएमसी रैगिंग मामला: सस्पेंड छात्र तीन माह नहीं दे पाएंगे परीक्षा, पिछला परिणाम भी रुकेगा

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला। Published by: Krishan Singh Updated Wed, 17 Dec 2025 12:01 PM IST
सार

आईजीएमसी शिमला में 9 दिसंबर की रात को छात्रावास में हुई रैगिंग के मामले की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं। 

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IGMC ragging case: Suspended students will not be able to appear for exams for three months, and their previou
आईजीएमसी शिमला - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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आईजीएमसी शिमला में 9 दिसंबर की रात को छात्रावास में हुई रैगिंग के मामले की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं। निलंबित किए गए दो सीनियर एमबीबीएस प्रशिक्षुओं पर तीन महीने तक परीक्षा देने पर भी रोक लगा दी गई है। इस समय अवधि में उनके पुराने परीक्षा परिणाम भी घोषित नहीं होंगे। वहीं, मामले को छिपाने में पांच और सीनियर छात्र भी शामिल पाए गए हैं। कमेटी की रिपोर्ट में पाया गया है कि जूनियर विद्यार्थियों को छात्रावास में जाने के लिए मजबूर किया गया था। कमेटी की बारह दिसंबर को कॉलेज प्राचार्य की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिए गए फैसले में दोषी दो छात्रों को तीन माह के निलंबित करने और 50 हजार का जुर्माना लगाने के साथ ही छात्रावास से बाहर कर दिया गया है।

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कमेटी ने फैसला लिया है कि अध्ययन की शेष अवधि और एक वर्ष की अनिवार्य रोटेटिंग मेडिकल इंटर्नशिप के लिए उन्हें कंडक्ट प्रोबेशन पर रखा जाएगा। परीक्षा देने से रोके जाने और परिणाम रोकने की सूचना मेडिकल यूनिवर्सिटी को कॉलेज की ओर से भेज दी गई है। कॉलेज प्रशासन इसे रैगिंग की श्रेणी में रखते हुए जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाते हुए कड़े फैसले लिए हैं। कमेटी की रिपोर्ट में सामने आया है कि जूनियर छात्रावासों के नियमों की अनदेखी कर छात्रावास में बुलाए जाने की जानकारी छात्रावास के पांच अन्य विद्यार्थियों को भी थी लेकिन उन्होंने इसकी सूचना नहीं दी। कॉलेज के नियमों के बावजूद जूनियर छात्रों से बिना आधिकारिक सूचना के इस तरह से मिलना और बैठक करना नियमों के विरुद्ध माना गया है। कमेटी ने एक नॉन बॉर्डर सीनियर छात्र को तीन जूनियर छात्रों को छात्रावासों में बुलाने का दोषी करार दिया है। जांच में सामने आया है कि एक अन्य वरिष्ठ छात्र, जिसके नाम छात्रावास का कमरा आवंटित था। उसकी मौजूदगी में यह सब हुआ।

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