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जलवायु परिवर्तन का असर : हिमाचल में सरक गई स्नो बेल्ट, स्टोन फ्रूट ने ले ली सेब की जगह

अमर उजाला ब्यूरो, शिमला। Published by: Krishan Singh Updated Wed, 26 Nov 2025 10:44 AM IST
सार

प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम पैटर्न और तापमान में लगातार वृद्धि के चलते निचले क्षेत्रों में सेब की जगह स्टोन फ्रूट ने लेनी शुरू कर दी है। 

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Impact of climate change: Snow belt shifts in Himachal, stone fruit replaces apples
जलवायु परिवर्तन का असर। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
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हिमाचल प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम पैटर्न और तापमान में लगातार वृद्धि के चलते निचले क्षेत्रों में सेब की जगह स्टोन फ्रूट ने लेनी शुरू कर दी है। प्रदेश के निचले एवं मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अब सेब की जगह स्टोन फ्रूट (आडू, प्लम, खुबानी, चेरी) की पैदावार तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों के अनुसार सेब की पारंपरिक बेल्ट अब लगभग 2000 मीटर ऊंचाई की ओर शिफ्ट हो चुकी है, जबकि पहले 1200 से 1600 मीटर तक के क्षेत्र सेब उत्पादन के लिए उपयुक्त माने जाते थे।

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मौसम के अनुकूल नहीं होने और चिलिंग ऑवर्स में कमी के कारण पुराने सेब के पौधे अब पहले की तरह उत्पादन नहीं दे रहे। दूसरी ओर स्टोन फ्रूट अधिक तापमान सहन कर लेते हैं और जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक प्रतिरोधी हैं। यही कारण है कि सेब बाहुल्य क्षेत्रों के निचले इलाकों में बड़ी संख्या में बागवान सेब के स्थान पर स्टोन फ्रूट को विकल्प के रूप में अपना रहे हैं। सेब की नई हाई-डेंसिटी किस्में बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन उनकी लागत काफी अधिक है, जिस कारण छोटे और मध्यम स्तर के किसान उन्हें अपनाने में हिचकिचा रहे हैं। वहीं स्टोन फ्रूट की बागवानी कम लागत में शुरू की जा सकती है और इसके फलों की मांग भी बढ़ रही है।

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जहां सबसे पहले सेब आया, वहां बढ़ी गुठलीदार फलों की खेती
शिमला के थानाधार में प्रदेश में सबसे पहले सेब के पौधे लगाए गए थे। वहीं बागवान अब जलवायु परिवर्तन के कारण गुठलीदार फलों की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं। कोटगढ़-कुमारसैन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर गुठलीदार फलों की खेती हो रही है। बागवान हरिचंद का कहना है कि सेब का स्थान गुठलीदार फल ले रहे हैं। बड़े पैमाने पर बागवानों ने गुठलीदार फलों की खेती शुरू कर दी है।
 

संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रही चुनौतियों के चलते निचले क्षेत्रों के ज्यादातर बागवान स्टोन फ्रूट की ओर शिफ्ट हो रहे हैं। बागवानी विभाग के निदेशक विनय सिंह का कहना है कि उद्यान विभाग बागवानों को स्टोन फूट के उन्नत किस्म के पौधे उपलब्ध करवा रहा है। आने वाले वर्षों में प्रदेश में स्टोन फ्रूट का उत्पादन बढ़ाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

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