सब्सक्राइब करें

कमेंट

कमेंट X

😊अति सुंदर 😎बहुत खूब 👌अति उत्तम भाव 👍बहुत बढ़िया.. 🤩लाजवाब 🤩बेहतरीन 🙌क्या खूब कहा 😔बहुत मार्मिक 😀वाह! वाह! क्या बात है! 🤗शानदार 👌गजब 🙏छा गये आप 👏तालियां ✌शाबाश 😍जबरदस्त
Hindi News ›   Spirituality ›   Festivals ›   Chhath Puja 2025 Importance Rituals Puja vidhi to Worship Surya dev and Chhathi Maiya for blessing

सूर्यदेव की आराधना और छठा मईया का उत्सव छठ महापर्व आज, जानिए महत्व, विधि और नियम

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: विनोद शुक्ला Updated Mon, 27 Oct 2025 06:04 AM IST
विज्ञापन
सार

सूर्योपासना का सबसे प्रमुख पर्व छठ पूजा है, जिसे कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसमें प्रकृति, परिवार और जीवन के प्रति कृतज्ञता का गहरा भाव निहित है।

Chhath Puja 2025 Importance Rituals Puja vidhi to Worship Surya dev and Chhathi Maiya for blessing
Chhath Puja 2025 - फोटो : Amar Ujala
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

Chhath Puja 2025 Day 3: भारतीय संस्कृति में सूर्यदेव को प्रत्यक्ष देवता कहा गया है क्योंकि वे सृष्टि के जीवनदाता हैं। वे ही ऊर्जा, प्रकाश और जीवन के मूल स्रोत हैं। सूर्योपासना का सबसे प्रमुख पर्व छठ पूजा है, जिसे कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसमें प्रकृति, परिवार और जीवन के प्रति कृतज्ञता का गहरा भाव निहित है। छठ पूजा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि सूर्य, जल, वायु और धरती के प्रति आभार प्रकट करने की जीवंत परंपरा है। यह व्रत आत्म-शुद्धि, संयम और समर्पण की साधना है। सूर्यदेव की उपासना से जीवन में प्रकाश, ऊर्जा और समृद्धि का संचार होता है और भक्त के मन में संतुलन, सहनशीलता और सकारात्मकता का उदय होता है।


सूर्य उपासना का धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव के बिना जीवन असंभव है। ऋग्वेद में सूर्य की आराधना को समस्त रोग, दोष और अंधकार से मुक्ति देने वाला बताया गया है। कहा गया है कि सूर्य देव की कृपा से आरोग्य, धन, संतान और दीर्घायु की प्राप्ति होती है। सूर्य उपासना को आत्मबल, धैर्य और तेज प्रदान करने वाली साधना कहा गया है। छठ पर्व में अस्ताचलगामी और उदयाचल सूर्य दोनों की पूजा की जाती है, जो प्रकृति के द्वैत—अंधकार और प्रकाश—के संतुलन का प्रतीक है।
विज्ञापन
विज्ञापन

छठ पूजा की पूजा विधि-
छठ पर्व चार दिनों तक बड़ी श्रद्धा और संयम के साथ मनाया जाता है।

नहाय-खाय (पहला दिन) – इस दिन व्रती शुद्ध स्नान कर घर की पवित्रता रखते हैं। अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी का प्रसाद बनाकर सूर्य देव को अर्पित किया जाता है।

खरना (दूसरा दिन) – सूर्यास्त के बाद व्रती गुड़ से बनी खीर, रोटी और केले का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ होता है।

Chhath Puja 2025 Kharna Wishes: छठ पर्व के दूसरे दिन प्रियजनों को इन शुभ संदेशों से दें खरना की शुभकामनाएं

संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन) – व्रती नदी या तालाब के घाट पर अस्ताचलगामी सूर्य को दूध, जल, और फल-फूल से अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह प्रकृति को धन्यवाद देने का अद्भुत क्षण होता है।

उदयाचल अर्घ्य (चौथा दिन) – प्रातःकाल उदयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत का समापन करते हैं।

Chhath Puja Sindoor Ritual: छठ पर नाक तक सिंदूर क्यों लगाती हैं महिलाएं? जानें धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

छठ पूजा के नियम
छठ व्रत अत्यंत शुद्ध और नियमबद्ध पूजा मानी गई है। इसमें सात्त्विकता, संयम और पवित्रता सर्वोपरि होती है। व्रती को व्रत के दौरान नींद, क्रोध, असत्य और अपवित्र वस्तुओं से दूर रहना चाहिए। प्रसाद बनाने के लिए तांबे या कांसे के पात्र का उपयोग शुभ माना जाता है। पूजा के सभी कार्य शुद्धता और नियमपूर्वक करने चाहिए, भोजन में लहसुन-प्याज वर्जित रहता है। व्रत के दौरान परिवार के सभी सदस्य सात्त्विकता और श्रद्धा का पालन करें, तभी पूजा पूर्ण फल देती है। 

विज्ञापन
विज्ञापन
सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें आस्था समाचार से जुड़ी ब्रेकिंग अपडेट। आस्था जगत की अन्य खबरें जैसे पॉज़िटिव लाइफ़ फैक्ट्स,स्वास्थ्य संबंधी सभी धर्म और त्योहार आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़।
 
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें अमर उजाला हिंदी न्यूज़ APP अपने मोबाइल पर।
Amar Ujala Android Hindi News APP Amar Ujala iOS Hindi News APP
विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed