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मार्गशीर्ष पूर्णिमा आज: देवकृपा, धर्मफल और श्रीकृष्ण भक्ति का सर्वश्रेष्ठ दिन
धर्म डेस्क, अमर उजाला
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Thu, 04 Dec 2025 01:45 PM IST
सार
हिंदू धर्म मार्गशीर्ष माह में आने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। इस दिन पूजा, स्नान और तप करने से और दिनों के मुकाबले कई गुने फल की प्राप्ति होती है।
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मार्गशीर्ष मास श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है, इसलिए इस माह में किए गए विष्णु-पूजन का फल विशेष बताया गया है।
- फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा, जिसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और पुण्यदायिनी तिथि मानी गई है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यह पूर्णिमा देवताओं के प्रिय मार्गशीर्ष मास का सर्वोच्च दिन है। पुराणों में वर्णित है कि इस तिथि पर ब्रह्मा, विष्णु और महादेव तीनों देवों की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है। इस दिन किया गया स्नान, दान, जप और पूजा सामान्य दिनों की अपेक्षा अनेक गुना अधिक फलदायी माना जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा श्रीकृष्णभक्ति का विशेष दिन भी है, क्योंकि यह संपूर्ण माह ही श्रीकृष्ण के स्वरूप का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन की गई लक्ष्मी-साधना और विष्णु-पूजन से जीवन में सौभाग्य, समृद्धि, धनवृद्धि और पारिवारिक सुख का स्थायी वास होता है। साथ ही पितरों के तर्पण से उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और घर-परिवार में शांति बढ़ती है।
तुलसी पूजन से बढ़ती है श्रीकृष्ण कृपा
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजन का विशेष महत्व है। देवी तुलसी स्वयं महालक्ष्मी का स्वरूप मानी जाती हैं तथा भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय हैं। इस दिन सुबह तुलसी को जल अर्पित करना और संध्या समय तुलसी के समीप घी का दीपक प्रज्वलित करना अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा करने से श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है, घर में सुख-शांति बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
श्रीमद्भगवद्गीता मार्गदर्शक शास्त्र मानी जाती है। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि जो व्यक्ति इस ग्रंथ का अध्ययन करेगा और इसके उपदेशों को दूसरों में फैलाएगा, वह उनका प्रिय भक्त होगा। पूर्णिमा के दिन गीता-पाठ करने से श्रीकृष्ण अत्यंत प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि नियमित गीता-पाठ मनुष्य को भय, तनाव और भ्रम से मुक्त करता है तथा जीवन में स्थिरता, प्रसन्नता और आत्मविश्वास बढ़ाता है।
पुष्पों और नैवेद्यों से करें श्रीहरि का विशेष पूजन
मार्गशीर्ष मास श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है, इसलिए इस माह में किए गए विष्णु-पूजन का फल विशेष बताया गया है। पूर्णिमा के दिन विविध पुष्प, मौसमी फल, सुगंधित धूप, दीप और आरती से श्रीहरि का पूजन करने से सभी प्रकार के सांसारिक कष्ट दूर होते हैं। शास्त्रों में यह भी उल्लेख है कि इस तिथि पर पुष्पों से श्रीजनार्दन की पूजा करने से फल कई गुना बढ़ जाता है और मनोकामनाएँ शीघ्र पूर्ण होती हैं।
भगवान श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री अत्यंत प्रिय है। पूर्णिमा के दिन श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाने और साथ में तुलसीदल अर्पित करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। ऐसा करने से जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं और परिवार में सौभाग्य तथा आनंद बढ़ता है।
श्रीकृष्ण मंत्र-जप से मिलता है यज्ञों के समान पुण्य
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर श्रीकृष्ण मंत्रों का जाप महापुण्यकारी माना गया है। विशेष रूप से निम्न मंत्रों का जप अवश्य करें—
ॐ कृं कृष्णाय नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
मंगलम् भगवान विष्णुः, मंगलम् गरुड़ध्वजः।
मंगलम् पुण्डरीकाक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥
तुलसी की माला से इन मंत्रों का जाप करने पर इसका फल अश्वमेध यज्ञ के समान बताया गया है।
गाय सेवा से प्राप्त होता है श्रीकृष्ण का आशीर्वाद
श्रीकृष्ण का संबंध गाय से अत्यंत गहरा है। शास्त्रों में कहा गया है कि गाय में ही सभी देवी-देवताओं का वास रहता है। मार्गशीर्ष मास में—विशेषकर पूर्णिमा के दिन—गौ-सेवा, चारा अर्पण और गौपूजन करने से श्रीकृष्ण का विशेष आशीर्वाद मिलता है। इससे घर में सुख, सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है।
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तुलसी पूजन से बढ़ती है श्रीकृष्ण कृपा
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजन का विशेष महत्व है। देवी तुलसी स्वयं महालक्ष्मी का स्वरूप मानी जाती हैं तथा भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय हैं। इस दिन सुबह तुलसी को जल अर्पित करना और संध्या समय तुलसी के समीप घी का दीपक प्रज्वलित करना अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा करने से श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है, घर में सुख-शांति बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
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गीता-पाठ से मिलता है भयमुक्ति और प्रसन्नताश्रीमद्भगवद्गीता मार्गदर्शक शास्त्र मानी जाती है। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि जो व्यक्ति इस ग्रंथ का अध्ययन करेगा और इसके उपदेशों को दूसरों में फैलाएगा, वह उनका प्रिय भक्त होगा। पूर्णिमा के दिन गीता-पाठ करने से श्रीकृष्ण अत्यंत प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि नियमित गीता-पाठ मनुष्य को भय, तनाव और भ्रम से मुक्त करता है तथा जीवन में स्थिरता, प्रसन्नता और आत्मविश्वास बढ़ाता है।
पुष्पों और नैवेद्यों से करें श्रीहरि का विशेष पूजन
मार्गशीर्ष मास श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है, इसलिए इस माह में किए गए विष्णु-पूजन का फल विशेष बताया गया है। पूर्णिमा के दिन विविध पुष्प, मौसमी फल, सुगंधित धूप, दीप और आरती से श्रीहरि का पूजन करने से सभी प्रकार के सांसारिक कष्ट दूर होते हैं। शास्त्रों में यह भी उल्लेख है कि इस तिथि पर पुष्पों से श्रीजनार्दन की पूजा करने से फल कई गुना बढ़ जाता है और मनोकामनाएँ शीघ्र पूर्ण होती हैं।
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माखन-मिश्री का भोग अवश्य लगाएँभगवान श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री अत्यंत प्रिय है। पूर्णिमा के दिन श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री का भोग लगाने और साथ में तुलसीदल अर्पित करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। ऐसा करने से जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं और परिवार में सौभाग्य तथा आनंद बढ़ता है।
श्रीकृष्ण मंत्र-जप से मिलता है यज्ञों के समान पुण्य
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर श्रीकृष्ण मंत्रों का जाप महापुण्यकारी माना गया है। विशेष रूप से निम्न मंत्रों का जप अवश्य करें—
ॐ कृं कृष्णाय नमः
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
मंगलम् भगवान विष्णुः, मंगलम् गरुड़ध्वजः।
मंगलम् पुण्डरीकाक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥
तुलसी की माला से इन मंत्रों का जाप करने पर इसका फल अश्वमेध यज्ञ के समान बताया गया है।
गाय सेवा से प्राप्त होता है श्रीकृष्ण का आशीर्वाद
श्रीकृष्ण का संबंध गाय से अत्यंत गहरा है। शास्त्रों में कहा गया है कि गाय में ही सभी देवी-देवताओं का वास रहता है। मार्गशीर्ष मास में—विशेषकर पूर्णिमा के दिन—गौ-सेवा, चारा अर्पण और गौपूजन करने से श्रीकृष्ण का विशेष आशीर्वाद मिलता है। इससे घर में सुख, सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है।
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