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अंतिम पंघाल का इंटरव्यू: महिला पहलवानों के लिए वजन घटाना कितना मुश्किल? दिया जवाब, ओलंपिक 2028 पर कही यह बात
सार
कम उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धियां अंतिम पंघाल को भारतीय कुश्ती की सबसे चमकदार प्रतिभाओं में शामिल करती हैं। पढ़ें अमर उजाला के साथ अंतिम की बातचीत के कुछ अंश...
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अंतिम पंघाल का इंटरव्यू
- फोटो : ANI
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विस्तार
अंतिम पंघाल भारत की उभरती हुई स्टार महिला पहलवान हैं, जिन्होंने कम उम्र में देश के लिए कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं। 31 अगस्त 2004 को हरियाणा के हिसार जिले के भगाना गांव में जन्मीं अंतिम अपने परिवार की चौथी बेटी हैं। गांव की परंपरा के कारण उनका नाम 'अंतिम' रखा गया, लेकिन खेलों में उन्होंने हमेशा पहली बनकर दिखाया। उनके पिता रामनिवास पंघाल और मां कृष्णा कुमारी ने बेटियों का हमेशा साथ दिया। बड़ी बहन सरिता राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी खिलाड़ी हैं, जिनसे प्रेरित होकर अंतिम ने कुश्ती की राह चुनी।
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अंतिम पंघाल
- फोटो : Wrestling Federation of India
कोच की देखरेख में अंतिम ने कठिन ट्रेनिंग की और युवा स्तर पर लगातार चमकती रहीं। उन्होंने अंडर 17 विश्व चैंपियनशिप में कांस्य, अंडर-23 एशियाई चैंपियनशिप में रजत और अंडर-20 एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण जीता। मात्र 17 साल की उम्र में अंतिम पंघाल ने इतिहास रचते हुए भारत की पहली अंडर-20 विश्व चैंपियन बनीं। उन्होंने 2022 और 2023, दोनों बार यह खिताब जीता।
अंतिम ने सीनियर स्तर पर भी दमदार प्रदर्शन किया। वह दो बार की वर्ल्ड चैंपियनशिप ब्रॉन्ज मेडलिस्ट, एशियाई खेलों 2022 की कांस्य विजेता और कई ग्रां प्री इवेंट्स में गोल्ड मेडलिस्ट रह चुकी हैं। 2024 पेरिस ओलंपिक में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया और सबसे युवा भारतीय महिला पहलवानों में शामिल हुईं। कम उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धियां अंतिम पंघाल को भारतीय कुश्ती की सबसे चमकदार प्रतिभाओं में शामिल करती हैं। पढ़ें अमर उजाला के साथ अंतिम की बातचीत के कुछ अंश...
अंतिम ने सीनियर स्तर पर भी दमदार प्रदर्शन किया। वह दो बार की वर्ल्ड चैंपियनशिप ब्रॉन्ज मेडलिस्ट, एशियाई खेलों 2022 की कांस्य विजेता और कई ग्रां प्री इवेंट्स में गोल्ड मेडलिस्ट रह चुकी हैं। 2024 पेरिस ओलंपिक में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया और सबसे युवा भारतीय महिला पहलवानों में शामिल हुईं। कम उम्र में इतनी बड़ी उपलब्धियां अंतिम पंघाल को भारतीय कुश्ती की सबसे चमकदार प्रतिभाओं में शामिल करती हैं। पढ़ें अमर उजाला के साथ अंतिम की बातचीत के कुछ अंश...
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पहलवान अंतिम पंघाल
- फोटो : संवाद
Q1. कुश्ती को लेकर जोश कहां से शुरू हुआ, इसी में करियर बनाने का क्यों सोचा...कहां से प्रेरणा मिली?
अंतिम: मेरी प्रेरणा मेरी सबसे बड़ी बहन हैं। हम चार बहनें हैं और बड़ी दीदी कबड्डी खेलती थीं। हमारे गांव में लड़कियां कबड्डी और कुश्ती दोनों में हिस्सा लेती थीं। दीदी ने ही मुझे कुश्ती की तरफ धकेला, वहीं से मेरा सफर शुरू हुआ। उन्होंने हमेशा कहा कि तुम कुश्ती में आगे जा सकती हो और उनकी बात ने मुझे मोटिवेट किया।
Q2. आपने कम उम्र में दो जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप समेत कई मेडल जीते। इनमें सबसे खास कौन सा रहा?
अंतिम: मेरे लिए सबसे खास मेरा पहला अंडर-15 सिल्वर मेडल था, क्योंकि वह मेरा पहला बड़ा इंटरनेशनल मेडल था। इसके बाद जब मैं जूनियर वर्ल्ड चैंपियन बनी, वह इसलिए खास रहा क्योंकि भारत से पहले इस कैटेगरी में कोई मेडल नहीं आया था। उस जीत ने मुझे अलग पहचान दी।
अंतिम: मेरी प्रेरणा मेरी सबसे बड़ी बहन हैं। हम चार बहनें हैं और बड़ी दीदी कबड्डी खेलती थीं। हमारे गांव में लड़कियां कबड्डी और कुश्ती दोनों में हिस्सा लेती थीं। दीदी ने ही मुझे कुश्ती की तरफ धकेला, वहीं से मेरा सफर शुरू हुआ। उन्होंने हमेशा कहा कि तुम कुश्ती में आगे जा सकती हो और उनकी बात ने मुझे मोटिवेट किया।
Q2. आपने कम उम्र में दो जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप समेत कई मेडल जीते। इनमें सबसे खास कौन सा रहा?
अंतिम: मेरे लिए सबसे खास मेरा पहला अंडर-15 सिल्वर मेडल था, क्योंकि वह मेरा पहला बड़ा इंटरनेशनल मेडल था। इसके बाद जब मैं जूनियर वर्ल्ड चैंपियन बनी, वह इसलिए खास रहा क्योंकि भारत से पहले इस कैटेगरी में कोई मेडल नहीं आया था। उस जीत ने मुझे अलग पहचान दी।
अंतिम पंघाल
- फोटो : PTI
Q3. इतनी कम उम्र में इतनी सारी उपलब्धियों के क्या मायने हैं? क्या इससे अंतिम की छवि में बदलाव देखने को मिलेगा या वो हमेशा वही अंतिम पंघाल रहेंगी जो शुरुआती दिनों में थीं?
अंतिम: जी बिल्कुल। मैं आज भी वैसी ही हूं जैसे अंडर-15 में थी। मैं कोशिश करती हूं कि मेडल मेरे अंदर घमंड या बदलाव न लाए। मैं उसी सादगी और फोकस से मेहनत करती हूं।
Q4. पेरिस ओलंपिक में आपने भारत का प्रतिनिधित्व किया। लॉस एंजेलिस 2028 के लिए आपकी क्या तैयारी है?
अंतिम: मेरा पूरा फोकस 2028 ओलंपिक पर है। वहां मुझे भारत के लिए मेडल लाना है। मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता चोट से बचना है। मैं ओवर-लोड ट्रेनिंग से बचती हूं, सही आराम लेती हूं, और ट्रेनिंग–रिकवरी का बैलेंस बनाए रखती हूं। यही मेरी तैयारी का बेसिक मंत्र है।
अंतिम: जी बिल्कुल। मैं आज भी वैसी ही हूं जैसे अंडर-15 में थी। मैं कोशिश करती हूं कि मेडल मेरे अंदर घमंड या बदलाव न लाए। मैं उसी सादगी और फोकस से मेहनत करती हूं।
Q4. पेरिस ओलंपिक में आपने भारत का प्रतिनिधित्व किया। लॉस एंजेलिस 2028 के लिए आपकी क्या तैयारी है?
अंतिम: मेरा पूरा फोकस 2028 ओलंपिक पर है। वहां मुझे भारत के लिए मेडल लाना है। मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता चोट से बचना है। मैं ओवर-लोड ट्रेनिंग से बचती हूं, सही आराम लेती हूं, और ट्रेनिंग–रिकवरी का बैलेंस बनाए रखती हूं। यही मेरी तैयारी का बेसिक मंत्र है।
अंतिम पंघाल
- फोटो : PTI
Q5. आगे कौन-कौन से बड़े टूर्नामेंट आपका लक्ष्य हैं?
अंतिम: अभी साल भर कई टूर्नामेंट्स हैं। मेरा फोकस 2027 की ओलंपिक क्वालिफायर वर्ल्ड चैंपियनशिप पर रहेगा। हर महत्वपूर्ण टूर्नामेंट को एक-एक करके अटैक करना है और फिर सीधा ओलंपिक।
Q6. आपने एक दिग्गज पहलवान (विनेश फोगाट) को रिप्लेस करते हुए टीम में जगह बनाई थी। दबाव महसूस हुआ था?
अंतिम: नहीं सर, मुझे कभी किसी को रिप्लेस करने का दबाव नहीं लिया। मैं सिर्फ अपना 100 प्रतिशत देने उतरी थी। ट्रायल्स में भी मेरी यही सोच थी। कोच जो भी कहें, बस अपना बेस्ट देना है।'
अंतिम: अभी साल भर कई टूर्नामेंट्स हैं। मेरा फोकस 2027 की ओलंपिक क्वालिफायर वर्ल्ड चैंपियनशिप पर रहेगा। हर महत्वपूर्ण टूर्नामेंट को एक-एक करके अटैक करना है और फिर सीधा ओलंपिक।
Q6. आपने एक दिग्गज पहलवान (विनेश फोगाट) को रिप्लेस करते हुए टीम में जगह बनाई थी। दबाव महसूस हुआ था?
अंतिम: नहीं सर, मुझे कभी किसी को रिप्लेस करने का दबाव नहीं लिया। मैं सिर्फ अपना 100 प्रतिशत देने उतरी थी। ट्रायल्स में भी मेरी यही सोच थी। कोच जो भी कहें, बस अपना बेस्ट देना है।'
अंतिम पंघाल
- फोटो : ANI
Q7. कटिंग और वेट मैनेजमेंट हमेशा मुश्किल होता है। आपके लिए यह कितना चुनौतीपूर्ण है?
अंतिम: मैं अपना वजन बहुत ध्यान से मैनेज करती हूं। मेरा वजन आमतौर पर दो-तीन किलो ऊपर-नीचे रहता है, इसलिए मेरे लिए कंट्रोल रखना थोड़ा आसान है। खाने, ट्रेनिंग और रिकवरी, तीनों का बैलेंस रखती हूं।
Q8. इस सफर में किसने आपका साथ दिया?
अंतिम: जेएसडब्ल्यू स्पोर्ट्स ने मुझे 2020 से लगातार सपोर्ट किया है। उन्होंने मुझे फिजियो दिया, इंजरी मैनेजमेंट में बहुत मदद की, ट्रेनिंग की हर जरूरत पूरी की। खासकर बड़े टूर्नामेंट्स से पहले। मैं आज जहां हूं, उसमें उनका बड़ा योगदान है।
अंतिम: मैं अपना वजन बहुत ध्यान से मैनेज करती हूं। मेरा वजन आमतौर पर दो-तीन किलो ऊपर-नीचे रहता है, इसलिए मेरे लिए कंट्रोल रखना थोड़ा आसान है। खाने, ट्रेनिंग और रिकवरी, तीनों का बैलेंस रखती हूं।
Q8. इस सफर में किसने आपका साथ दिया?
अंतिम: जेएसडब्ल्यू स्पोर्ट्स ने मुझे 2020 से लगातार सपोर्ट किया है। उन्होंने मुझे फिजियो दिया, इंजरी मैनेजमेंट में बहुत मदद की, ट्रेनिंग की हर जरूरत पूरी की। खासकर बड़े टूर्नामेंट्स से पहले। मैं आज जहां हूं, उसमें उनका बड़ा योगदान है।