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AI Side Effects: एआई से दोस्ती कर रहे किशोर, सोचने की क्षमता हो रही खत्म

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: प्रदीप पाण्डेय Updated Wed, 23 Jul 2025 12:09 PM IST
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सार

हाल के वर्षों में स्कूलों में नकल के मुद्दे पर AI को लेकर बहस छिड़ी थी, लेकिन अब यह किशोरों की जिंदगी में कहीं गहराई से घुस चुका है। एक नए अध्ययन और इंटरव्यू में यह सामने आया है कि किशोर AI को एक साथी, सलाहकार और भावनात्मक सपोर्ट के रूप में देखने लगे हैं।

AI Side Effects Teenagers are befriending AI their thinking ability is diminishing
Teenagers are befriending AI - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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आज के किशोर तेजी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की ओर झुकाव दिखा रहे हैं, न सिर्फ होमवर्क या जानकारी पाने के लिए, बल्कि भावनात्मक सहारा, दोस्ती और रोजमर्रा की समस्याओं के हल के लिए भी। अमेरिका के कंसास राज्य की हाईस्कूल छात्रा काइला चेगे (उम्र 15 साल) हर तरह के सवाल ChatGPT से पूछती हैं जिनमें शॉपिंग से लेकर बर्थडे पार्टी प्लानिंग तक से जुड़े सवाल होते हैं।

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चेगे कहती हैं, “अब हर कोई AI का इस्तेमाल हर चीज के लिए करता है। ये सब कुछ पर हावी हो रहा है।” वह मानती हैं कि आज का युवा वर्ग सोचने से बचने के लिए AI का इस्तेमाल कर रहा है। हाल के वर्षों में स्कूलों में नकल के मुद्दे पर AI को लेकर बहस छिड़ी थी, लेकिन अब यह किशोरों की जिंदगी में कहीं गहराई से घुस चुका है। एक नए अध्ययन और इंटरव्यू में यह सामने आया है कि किशोर AI को एक साथी, सलाहकार और भावनात्मक सपोर्ट के रूप में देखने लगे हैं।

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हमेशा उपलब्ध, कभी थकता नहीं, कभी जज नहीं करता

Common Sense Media की एक रिपोर्ट के अनुसार, 70% किशोरों ने AI कंपैनियन का इस्तेमाल किया है और लगभग आधे इसे नियमित रूप से उपयोग करते हैं। Character.AI और Replika जैसे प्लेटफर्म, जिनमें व्यक्ति अपनी पसंद के अनुसार डिजिटल मित्र बना सकता है, तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, लेकिन ChatGPT जैसे सामान्य AI टूल भी अब उन्हीं भावनात्मक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं।

कई किशोर मानते हैं कि AI उनके विचारों को वैध ठहराता है, उन्हें जज नहीं करता और बातचीत में हमेशा उनकी बात ‘सही’ लगती है। 18 वर्षीय गणेश नायर कहते हैं, “AI कभी बोर नहीं होता, कभी अस्वीकार नहीं करता, यही उसकी खूबी है।” लेकिन खतरे भी कम नहीं। एक छात्र ने अपनी गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप के लिए AI चैटबॉट से मैसेज लिखवाया, जिससे गणेश को एहसास हुआ कि “कहीं हम रिश्तों की जगह कंप्यूटर को तो नहीं दे रहे?”

AI के जरिए दोस्ती और फैसले लेना: चिंताजनक रुझान

रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 31% किशोरों को AI के साथ बातचीत, असली दोस्तों से बातचीत जितनी ही संतोषजनक लगती है। वहीं 33% किशोरों ने जीवन के गंभीर मुद्दों पर AI से सलाह ली, बजाय किसी इंसान से बात करने के। मनोरोग विशेषज्ञ और रिसर्चर ईवा टेल्जर बताती हैं कि अब 8 साल तक के बच्चे भी जनरेटिव AI का इस्तेमाल कर रहे हैं।

उनके शोध में यह भी सामने आया कि किशोर AI का उपयोग अपनी पहचान, भावनात्मक जरूरतों और यहां तक कि यौन जिज्ञासा पूरी करने के लिए कर रहे हैं। कुछ एप्स जैसे SpicyChat AI, जो वयस्कों के लिए बनाए गए हैं, अब किशोरों में भी लोकप्रिय हो रहे हैं। इससे मनोवैज्ञानिकों में चिंता बढ़ी है कि क्या AI बच्चों के आत्म-निर्भर सोचने और सामाजिक कौशल को नुकसान पहुंचा रहा है?

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