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ASML: नीदरलैंड की यह कंपनी नहीं होती तो Gemini और ChatGPT पैदा नहीं होते, पांच प्वाइंट्स में जानें
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: प्रदीप पाण्डेय
Updated Mon, 23 Jun 2025 11:21 AM IST
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सार
नीदरलैंड्स की बहुराष्ट्रीय कंपनी ASML (एडवांस सेमीकंडक्टर मैटेरियल लिथोग्राफी) को आज दुनिया की सबसे अहम टेक्नोलॉजी कंपनियों में गिना जाता है, हालांकि इसके बारे में आम लोग बहुत कम जानते हैं। इस कंपनी ने वो मशीन बनाई है जिसने आधुनिक माइक्रोचिप्स के निर्माण को संभव बनाया।

ASML
- फोटो : ASML
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विस्तार
आज पूरी दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की चर्चा हो रही है, हालांकि पहले भी एआई की चर्चा थी लेकिन इस स्तर की नहीं थी। आज एआई चैटटूल की के कारण ही एआई की चर्चा हो रही है। आपने चैटजीपीटी, जेमिनी और ग्रोक जैसे एआई के बारे में जानते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदि नीदरलैंड की एक कंपनी नहीं होती तो आज दुनिया में एआई का अस्तित्व ही नहीं होता। आइए जानते हैं....

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नीदरलैंड्स की बहुराष्ट्रीय कंपनी ASML (एडवांस सेमीकंडक्टर मैटेरियल लिथोग्राफी) को आज दुनिया की सबसे अहम टेक्नोलॉजी कंपनियों में गिना जाता है, हालांकि इसके बारे में आम लोग बहुत कम जानते हैं। इस कंपनी ने वो मशीन बनाई है जिसने आधुनिक माइक्रोचिप्स के निर्माण को संभव बनाया। इसे EUV (एक्सट्रीम अल्ट्रावॉयलेट) लिथोग्राफी सिस्टम कहा जाता है।
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आइए जानते हैं ASML के बारे में 5 जरूरी बातें
- ASML का परिचय- ASML की स्थापना 1984 में Philips और ASM International के संयुक्त उपक्रम के रूप में हुई थी। यह कंपनी लिथोग्राफी तकनीक में काम करती है, जहां प्रकाश की मदद से सिलिकॉन वेफर पर सूक्ष्म पैटर्न बनाए जाते हैं, जो आगे चलकर चिप्स का रूप लेते हैं। ये चिप्स मोबाइल, लैपटॉप, डेटा सेंटर, AI प्रोसेसर और यहां तक कि लड़ाकू विमानों में भी इस्तेमाल होते हैं। 1997 में, ASML ने पारंपरिक DUV (डीप अल्ट्रावॉयलेट) लाइट की जगह EUV तकनीक पर काम शुरू किया, जिसकी वेवलेंथ सिर्फ 13.5 नैनोमीटर होती है, जबकि DUV की वेवलेंथ करीब 193 नैनोमीटर है।
- EUV लिथोग्राफी मशीन के फायदे- EUV तकनीक से एक ही चिप में ज्यादा ट्रांजिस्टर फिट किए जा सकते हैं। इससे प्रोसेसिंग स्पीड बेहतर, पावर कंजंप्शन कम और डिवाइस का आकार छोटा हो जाता है। यह तकनीक महंगी और त्रुटिपूर्ण मल्टी-पैटर्निंग की जरूरत को भी खत्म कर देती है, हालांकि इस मशीन को बनाना बेहद मुश्किल और महंगा है। ASML ने इसके लिए 20 वर्षों तक रिसर्च, कई तकनीकी साझेदारियों और करीब 10 अरब यूरो खर्च किए।
- इस तकनीक के पीछे की जटिलता- IBM के अनुसार, EUV लाइट टिन की बूंदों पर 50,000 बार प्रति सेकंड लेजर मारकर बनाई जाती है। यह लाइट इतनी कमजोर होती है कि हवा या कांच इसे सोख लेते हैं, इसलिए यह वैक्यूम में और दर्पणों के जरिए ट्रैवल करती है। ASML ने जर्मनी की Zeiss कंपनी के साथ मिलकर एटॉमिक-लेवल स्मूदनेस वाले विशेष दर्पण बनाए हैं। केवल एक धूल का कण भी प्रक्रिया को खराब कर सकता है। EUV मशीन का आकार एक बस के बराबर होता है और इसमें लगभग 1 लाख पार्ट्स होते हैं।
- ASML क्यों है इतना महत्वपूर्ण- EUV मशीन बनाना इतना जटिल है कि Intel, TSMC और Samsung जैसी बड़ी कंपनियां भी इसे खुद नहीं बनातीं। ये कंपनियां ASML से ही मशीनें खरीदती हैं और इसमें निवेश भी करती हैं। आज ASML दुनिया की इकलौती कंपनी है जो EUV लिथोग्राफी मशीन बनाती है। एक मशीन की कीमत लगभग 350 मिलियन यूरो (लगभग ₹3,480 करोड़) होती है। Canon और Nikon अभी भी DUV तकनीक तक ही सीमित हैं। अगर कोई कंपनी 7nm से छोटे ट्रांजिस्टर वाली चिप बनाना चाहती है, तो उसे मशीन ASML से ही खरीदनी होगी।
- राजनीतिक टकराव का कारण बनी तकनीक- ASML की अनोखी स्थिति के चलते यह अमेरिका और चीन के बीच की टेक्नोलॉजी जंग में भी उलझ गई है। 2020 में अमेरिका ने डच सरकार पर दबाव डाला कि वह चीन को EUV मशीन निर्यात करने की अनुमति न दे और अंततः वह मशीन चीन को नहीं भेजी गई। चीन ने इस नीति की आलोचना करते हुए इसे “एकतरफा उत्पीड़न” कहा और घरेलू EUV तकनीक विकसित करने की कोशिशें शुरू कीं, हालांकि अब तक कोई सफलता सामने नहीं आई है।