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गेमिंग सिर्फ खेल नहीं, आजीविका है: ई-स्पोर्ट्स प्लेयर्स एसोसिएशन ने पीएम मोदी को पत्र लिख जताई बिल पर चिंता
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Thu, 21 Aug 2025 12:15 PM IST
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सार
Online Gaming Bill 2025: लोकसभा में "ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025" पास होने के एक दिन बाद, ई-स्पोर्ट्स प्लेयर्स वेलफेयर एसोसिएशन (EPWA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस बिल पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है। एसोसिएशन ने गेमिंग को लाखों भारतीयों की आजीविका बताया है और इस बिल में मौजूद कई कमियों की ओर ध्यान दिलाया है।

ऑलनाइन गेमिंग
- फोटो : UN
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विस्तार
ई-स्पोर्ट्स प्लेयर्स वेलफेयर एसोसिएशन (EPWA) ने "ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025" का स्वागत किया है, लेकिन बिल में पैसों से जुड़ें गेम्स पर लगाए गए ब्लैंकेट बैन पर गंभीर चिंता जताई है। एसोसिएशन का कहना है कि सरकार को स्किल पर आधारित और बेटिंग गेम्स में अंतर को समझना चाहिए।
एसोसिएशन ने अपने पत्र में कहा है कि बिल का मौजूदा स्वरूप गेम ऑफ स्किल (कौशल-आधारित खेल) और गेम ऑफ चांस (अवसर-आधारित खेल) के बीच अंतर नहीं बताता है। एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने लेटर में अनुरोध किया है कि नए ऑनलाइन गेमिंग बिल में प्रस्तावित पूर्ण प्रतिबंध भारत की गेमिंग कम्यूनिटी और स्किल बेस्ड गेमिंग के भविष्य के लिए गंभीर चिंताएं पैदा कर सकता है।
लाखों गेमर्स की रोजी-रोटी पर पड़ेगा असर
भारत में ऐसे गेमर्स की संख्या लाखों में है जिनकी आय का जरिया फुल टाइम गेमिंग हैं। एसोसिएशन के अनुसार, इस अंतर की कमी से उन लाखों भारतीयों की आजीविका पर खतरा पैदा कर दिया है जो चैलेंजिंग ई-स्पोर्ट्स, कोचिंग, स्ट्रीमिंग, स्पॉन्सरशिप, कंटेंट क्रिएशन और डिजिटल इवेंट्स के आयोजन से कमाई करते हैं।
यह भी पढ़ें: जियो-एयरटेल ने गुपचुप तरीके से बढ़ाए मोबाइल डेटा के दाम, बंद किए 249 रुपये वाले सस्ते पैक
लेटर में कहा गया है, "लाखों भारतीयों के लिए गेमिंग सिर्फ एक खेल नहीं है, बल्कि यह हमारा काम और हमारी आजीविका है।" इसमें भारत की Dota 2 टीम के कप्तान मोइन एजाज और 2018 के एशियाई खेलों में ई-स्पोर्ट्स में ब्रोंज मेडल जीतने वाले तीर्थ मेहता जैसे खिलाड़ियों का भी जिक्र किया गया है।
प्लेयर्स एसोसिएशन की चार प्रमुख चिंताएं
ई-स्पोर्ट्स प्लेयर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने अपनी चार प्रमुख चिंताओं को उजागर किया है:
बिल पर प्लेयर्स एसोसिएशन का सुझाव
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बिल पर बोलते हुए कहा था, "इस बिल का हमारा उद्देश्य और यह अभ्यास तीन साल से अधिक समय से चल रहा है, जहां हमने उद्योग के साथ गहराई से जुड़कर यह देखा है कि इसके हानिकारक प्रभाव को कैसे रोका, नियंत्रित और कम किया जा सकता है।"
यह भी पढ़ें: बच्चों के लिए फेसबुक-इंस्टाग्राम क्यों बन गया खतरा, कई देशों में लागू हुआ बैन, क्या है वजह?
दूसरी ओर, ई-स्पोर्ट्स प्लेयर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने बिल का समर्थन करते हुए सरकार से एक ऐसा कानूनी ढांचा बनाने का आग्रह किया है जो स्किल बेस्ड और बेटिंग गेम्स में अंतर खेलों के बीच अंतर करे, खिलाड़ियों के अधिकारों की रक्षा करे, और डेटा गोपनीयता और सुरक्षित गेमिंग वातावरण सुनिश्चित करे।
लेटर में एसोसिएशन ने कहा कि वह बिल के खिलाफ नहीं हैं और इसका स्वागत करते हैं। लेकिन सरकार से आग्रह करते हैं कि सभी तरह की गेमिंग को एक जैसा मानकर प्रतिबंध न लगाया जाए।
एसोसिएशन ने जोर देकर कहा कि 450 मिलियन से अधिक ऑनलाइन गेमर्स वाले भारत के लिए एक ऐसे उद्योग को रोकना सही नहीं है जो डिजिटल इकोनॉमी और ई-स्पोर्ट्स में देश की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा दोनों में योगदान देता है।

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एसोसिएशन ने अपने पत्र में कहा है कि बिल का मौजूदा स्वरूप गेम ऑफ स्किल (कौशल-आधारित खेल) और गेम ऑफ चांस (अवसर-आधारित खेल) के बीच अंतर नहीं बताता है। एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने लेटर में अनुरोध किया है कि नए ऑनलाइन गेमिंग बिल में प्रस्तावित पूर्ण प्रतिबंध भारत की गेमिंग कम्यूनिटी और स्किल बेस्ड गेमिंग के भविष्य के लिए गंभीर चिंताएं पैदा कर सकता है।
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लाखों गेमर्स की रोजी-रोटी पर पड़ेगा असर
भारत में ऐसे गेमर्स की संख्या लाखों में है जिनकी आय का जरिया फुल टाइम गेमिंग हैं। एसोसिएशन के अनुसार, इस अंतर की कमी से उन लाखों भारतीयों की आजीविका पर खतरा पैदा कर दिया है जो चैलेंजिंग ई-स्पोर्ट्स, कोचिंग, स्ट्रीमिंग, स्पॉन्सरशिप, कंटेंट क्रिएशन और डिजिटल इवेंट्स के आयोजन से कमाई करते हैं।
यह भी पढ़ें: जियो-एयरटेल ने गुपचुप तरीके से बढ़ाए मोबाइल डेटा के दाम, बंद किए 249 रुपये वाले सस्ते पैक
लेटर में कहा गया है, "लाखों भारतीयों के लिए गेमिंग सिर्फ एक खेल नहीं है, बल्कि यह हमारा काम और हमारी आजीविका है।" इसमें भारत की Dota 2 टीम के कप्तान मोइन एजाज और 2018 के एशियाई खेलों में ई-स्पोर्ट्स में ब्रोंज मेडल जीतने वाले तीर्थ मेहता जैसे खिलाड़ियों का भी जिक्र किया गया है।
प्लेयर्स एसोसिएशन की चार प्रमुख चिंताएं
ई-स्पोर्ट्स प्लेयर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने अपनी चार प्रमुख चिंताओं को उजागर किया है:
- खिलाड़ियों की आजीविका पर खतरा
- स्किल-आधारित खेलों का गलत वर्गीकरण
- गेमर्स के अवैध ऑफशोर प्लेटफॉर्म्स पर जाने का खतरा
- ई-स्पोर्ट्स में भारत की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति को संभावित झटका
बिल पर प्लेयर्स एसोसिएशन का सुझाव
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बिल पर बोलते हुए कहा था, "इस बिल का हमारा उद्देश्य और यह अभ्यास तीन साल से अधिक समय से चल रहा है, जहां हमने उद्योग के साथ गहराई से जुड़कर यह देखा है कि इसके हानिकारक प्रभाव को कैसे रोका, नियंत्रित और कम किया जा सकता है।"
यह भी पढ़ें: बच्चों के लिए फेसबुक-इंस्टाग्राम क्यों बन गया खतरा, कई देशों में लागू हुआ बैन, क्या है वजह?
दूसरी ओर, ई-स्पोर्ट्स प्लेयर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने बिल का समर्थन करते हुए सरकार से एक ऐसा कानूनी ढांचा बनाने का आग्रह किया है जो स्किल बेस्ड और बेटिंग गेम्स में अंतर खेलों के बीच अंतर करे, खिलाड़ियों के अधिकारों की रक्षा करे, और डेटा गोपनीयता और सुरक्षित गेमिंग वातावरण सुनिश्चित करे।
लेटर में एसोसिएशन ने कहा कि वह बिल के खिलाफ नहीं हैं और इसका स्वागत करते हैं। लेकिन सरकार से आग्रह करते हैं कि सभी तरह की गेमिंग को एक जैसा मानकर प्रतिबंध न लगाया जाए।
एसोसिएशन ने जोर देकर कहा कि 450 मिलियन से अधिक ऑनलाइन गेमर्स वाले भारत के लिए एक ऐसे उद्योग को रोकना सही नहीं है जो डिजिटल इकोनॉमी और ई-स्पोर्ट्स में देश की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा दोनों में योगदान देता है।