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Google: गूगल ने यूजर्स को बिना बताए Gmail, Chat और Meet में एक्टिव किया Gemini AI, अमेरिका में दर्ज हुआ मुकदमा
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Thu, 13 Nov 2025 09:55 AM IST
सार
Google Privacy Violation Case: कैलिफोर्निया के सैन जोस में गूगल के खिलाफ बड़ा मुकदमा दायर हुआ है। आरोप है कि कंपनी ने अक्टूबर 2025 में बिना यूजर्स की अनुमति के अपने Gemini AI असिस्टेंट को Gmail, Chat और Meet ऐप्स में सीक्रेट तरीके से एक्टिव कर दिया।
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गूगल
- फोटो : GOOGLE
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विस्तार
अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में गूगल के खिलाफ एक गंभीर मुकदमा दायर किया गया है। शिकायत में कहा गया है कि कंपनी ने अक्टूबर 2025 में यूजर्स से बिना स्पष्ट अनुमति लिए अपने Gemini AI असिस्टेंट को Gmail, Chat और Meet जैसे प्लेटफॉर्म्स में चुपके से एक्टिव कर दिया। दावा है कि इस कदम से गूगल को करोड़ों यूजर्स की निजी चैट, ईमेल, और वीडियो कॉन्टेंट तक पहुंच मिल गई।
‘सीक्रेट एक्टिवेशन’ से बढ़ी चिंता
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि गूगल ने पहले जहां Gemini को ‘ऑप्ट-इन’ विकल्प के रूप में रखा था, वहीं अब इसे अपने आप एक्टिव कर दिया गया है। यूजर्स के पास इसे बंद करने का विकल्प तो है, लेकिन वह सेटिंग्स में इतनी गहराई में छिपा है कि ज्यादातर लोग इसे ढूंढ ही नहीं पाते। इसे यूजर्स की निजता का गंभीर उल्लंघन बताया गया है।
गूगल की चुप्पी और बढ़ता दबाव
फिलहाल गूगल ने इस मुकदमे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। कंपनी का कहना है कि Gemini का उद्देश्य केवल यूजर अनुभव और उत्पादकता बढ़ाना है तथा यह उसकी प्राइवेसी पॉलिसी के दायरे में काम करता है। हालांकि, टेक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला एआई एथिक्स और यूजर ऑटोनॉमी पर बड़े सवाल खड़े करता है।
AI और प्राइवेसी पर बढ़ता विवाद
यह मामला केवल गूगल तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी टेक इंडस्ट्री के लिए एक चेतावनी है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दौड़ में कंपनियां यूजर्स की सहमति और गोपनीयता को नजरअंदाज न करें। इससे पहले भी गूगल अपने डेटा प्रैक्टिसेज को लेकर कई जांचों और मुकदमों का सामना कर चुका है। Gemini AI विवाद अब इस बहस को और तेज कर सकता है कि क्या टेक दिग्गजों को एआई के इस्तेमाल के लिए सख्त कानूनों के तहत लाना जरूरी है।
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‘सीक्रेट एक्टिवेशन’ से बढ़ी चिंता
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि गूगल ने पहले जहां Gemini को ‘ऑप्ट-इन’ विकल्प के रूप में रखा था, वहीं अब इसे अपने आप एक्टिव कर दिया गया है। यूजर्स के पास इसे बंद करने का विकल्प तो है, लेकिन वह सेटिंग्स में इतनी गहराई में छिपा है कि ज्यादातर लोग इसे ढूंढ ही नहीं पाते। इसे यूजर्स की निजता का गंभीर उल्लंघन बताया गया है।
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गूगल की चुप्पी और बढ़ता दबाव
फिलहाल गूगल ने इस मुकदमे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। कंपनी का कहना है कि Gemini का उद्देश्य केवल यूजर अनुभव और उत्पादकता बढ़ाना है तथा यह उसकी प्राइवेसी पॉलिसी के दायरे में काम करता है। हालांकि, टेक विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला एआई एथिक्स और यूजर ऑटोनॉमी पर बड़े सवाल खड़े करता है।
AI और प्राइवेसी पर बढ़ता विवाद
यह मामला केवल गूगल तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी टेक इंडस्ट्री के लिए एक चेतावनी है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दौड़ में कंपनियां यूजर्स की सहमति और गोपनीयता को नजरअंदाज न करें। इससे पहले भी गूगल अपने डेटा प्रैक्टिसेज को लेकर कई जांचों और मुकदमों का सामना कर चुका है। Gemini AI विवाद अब इस बहस को और तेज कर सकता है कि क्या टेक दिग्गजों को एआई के इस्तेमाल के लिए सख्त कानूनों के तहत लाना जरूरी है।