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Tech Layoffs: आईबीएम के सीईओ का बड़ा बयान, कहा- AI नहीं, महामारी के दौर की ओवरहायरिंग है छंटनी की वजह
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Thu, 04 Dec 2025 02:32 PM IST
सार
Tech Layoffs: IBM के CEO अरविंद कृष्णा ने साफ कहा है कि टेक इंडस्ट्री में हो रही बड़ी पैमाने की छंटनियों को AI से जोड़ना सही नहीं है। उनका कहना है कि 2020 से 2023 के बीच कंपनियों द्वारा की गई अत्यधिक भर्तियों की अब नेचुरल करेक्शन हो रही है।
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छंटनियों के पीछे AI नहीं- आईबीएम सीईओ
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
IBM के CEO अरविंद कृष्णा ने टेक सेक्टर में चल रही छंटनियों के दौर को लेकर बड़ा बयान दिया है। अरविंद कृष्णा का कहना है कि मौजूदा लेऑफ का बड़ा कारण AI नहीं, बल्कि कोविड के वर्षों में टेक इंडस्ट्री में की गई तेज भर्ती है। 'द वर्ज' को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान कई कंपनियों ने स्टाफ संख्या में 30 से 100% तक इजाफा किया, जिसका असर अब दिख रहा है।
कृष्णा के मुताबिक, “जब इंडस्ट्री जरूरत से ज्यादा ऊपर चली जाती है, तो बाद में उसे नीचे आकर संतुलन बनाना ही पड़ता है। यह एक नैचुरल करेक्शन है।” इस साल की शुरुआत में IBM ने घोषणा की थी कि वह 2025 की चौथी तिमाही तक अपनी वैश्विक वर्कफोर्स का लगभग 1% (करीब 2,700 कर्मचारी) कम करेगा। कंपनी ने कहा था कि यह प्रक्रिया सामान्य व्यवसायिक समायोजन का हिस्सा है।
यह भी पढ़ें: AI नहीं है असली विलेन, जानिए क्यों Amazon, TCS और Microsoft ने काटे हजारों जॉब्स
AI से नौकरी जाएगी, लेकिन विनाशकारी नहीं होगी
लंबी अवधि में AI का रोजगार पर असर बताते हुए कृष्णा ने कहा कि अगले कुछ वर्षों में 10% लोग अपनी नौकरियों से हाथ धो बैठेंगे, लेकिन यह डराने वाली स्थिति नहीं होगी। उनके मुताबिक, यह 30-40% की बड़ी कटौती नहीं है। यह अधिकतर कुछ खास क्षेत्रों में केंद्रित होगी।
कंपनियां नए रोल्स में करेंगी हायरिंग
कृष्णा का कहना है कि AI के कारण कंपनियां जरूर कुछ एंट्री-लेवल काम मशीनों को देंगी, लेकिन इससे नए अवसर भी पैदा होंगे। उन्होंने कहा, “उत्पादकता बढ़ने पर कंपनियां और लोगों को रोजगार देंगी, बस रोल बदल जाएंगे। एंट्री-लेवल टास्क AI करेगा, लेकिन रणनीतिक और क्रिएटिव काम इंसान करेंगे।”
यह भी पढ़ें: एचपी में 6000 कर्मचारियों की छंटनी, एपल भी इतने पद खत्म करने की तैयारी में, जानें क्या है वजह
उन्होंने उन कंपनियों की आलोचना भी की जो AI को सिर्फ कॉस्ट कटिंग टूल मानकर एंट्री-लेवल हायरिंग घटा रही हैं। कृष्णा ने कहा, "AI के साथ नया युवा कर्मचारी 10 साल के अनुभवी जैसा काम कर सकता है। अगर एंट्री-लेवल लोग ही नहीं होंगे, तो कल नई टेक्नोलॉजी कौन बनाएगा?”
आईबीएम बढ़ाएगा कैंपस हायरिंग
पिछले महीने कृष्णा ने कहा था कि IBM अगले साल कॉलेज छात्रों की भर्ती को और बढ़ाएगा। उनके अनुसार, “जब बाकी कंपनियां हायरिंग रोक रही हैं, हम उल्टा कदम उठा रहे हैं। अगले 12 महीनों में हम पिछले वर्षों से ज्यादा नए ग्रेजुएट्स को नौकरी देंगे।”
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कृष्णा के मुताबिक, “जब इंडस्ट्री जरूरत से ज्यादा ऊपर चली जाती है, तो बाद में उसे नीचे आकर संतुलन बनाना ही पड़ता है। यह एक नैचुरल करेक्शन है।” इस साल की शुरुआत में IBM ने घोषणा की थी कि वह 2025 की चौथी तिमाही तक अपनी वैश्विक वर्कफोर्स का लगभग 1% (करीब 2,700 कर्मचारी) कम करेगा। कंपनी ने कहा था कि यह प्रक्रिया सामान्य व्यवसायिक समायोजन का हिस्सा है।
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AI से नौकरी जाएगी, लेकिन विनाशकारी नहीं होगी
लंबी अवधि में AI का रोजगार पर असर बताते हुए कृष्णा ने कहा कि अगले कुछ वर्षों में 10% लोग अपनी नौकरियों से हाथ धो बैठेंगे, लेकिन यह डराने वाली स्थिति नहीं होगी। उनके मुताबिक, यह 30-40% की बड़ी कटौती नहीं है। यह अधिकतर कुछ खास क्षेत्रों में केंद्रित होगी।
कंपनियां नए रोल्स में करेंगी हायरिंग
कृष्णा का कहना है कि AI के कारण कंपनियां जरूर कुछ एंट्री-लेवल काम मशीनों को देंगी, लेकिन इससे नए अवसर भी पैदा होंगे। उन्होंने कहा, “उत्पादकता बढ़ने पर कंपनियां और लोगों को रोजगार देंगी, बस रोल बदल जाएंगे। एंट्री-लेवल टास्क AI करेगा, लेकिन रणनीतिक और क्रिएटिव काम इंसान करेंगे।”
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उन्होंने उन कंपनियों की आलोचना भी की जो AI को सिर्फ कॉस्ट कटिंग टूल मानकर एंट्री-लेवल हायरिंग घटा रही हैं। कृष्णा ने कहा, "AI के साथ नया युवा कर्मचारी 10 साल के अनुभवी जैसा काम कर सकता है। अगर एंट्री-लेवल लोग ही नहीं होंगे, तो कल नई टेक्नोलॉजी कौन बनाएगा?”
आईबीएम बढ़ाएगा कैंपस हायरिंग
पिछले महीने कृष्णा ने कहा था कि IBM अगले साल कॉलेज छात्रों की भर्ती को और बढ़ाएगा। उनके अनुसार, “जब बाकी कंपनियां हायरिंग रोक रही हैं, हम उल्टा कदम उठा रहे हैं। अगले 12 महीनों में हम पिछले वर्षों से ज्यादा नए ग्रेजुएट्स को नौकरी देंगे।”