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Meta AI: बस सोचिए और खुद टाइप हो जाएगा टेक्स्ट! Meta की ब्रेन-टाइपिंग AI तकनीक का कमाल

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नीतीश कुमार Updated Sun, 09 Mar 2025 11:45 AM IST
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सार

Meta की यह तकनीक न्यूरोसाइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के संयोजन से काम करती है। यह ब्रेन की गतिविधियों का विश्लेषण करके अनुमान लगाती है कि व्यक्ति कौन-सा अक्षर टाइप करना चाहता है।

Meta introduces brain typing ai technology that can type text while thinking
Meta AI - फोटो : Freepik
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विस्तार
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क्या हो अगर आप जो सोचें, वह अपने आप स्क्रीन पर टाइप हो जाए? सुनने में यह किसी साइंस फिक्शन फिल्म जैसा लग सकता है, लेकिन टेक्नोलॉजी की दुनिया में यह धीरे-धीरे हकीकत बनने की ओर बढ़ रही है। Facebook (अब Meta) ने 2017 में इस अनोखी ब्रेन-टाइपिंग तकनीक का कॉन्सेप्ट पेश किया था। इस टेक्नोलॉजी का मकसद है कि इंसान सिर्फ अपने दिमाग से शब्दों को टाइप कर सके, बिना किसी कीबोर्ड या स्क्रीन के।
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कैसे काम करता है Meta का ब्रेन-टाइपिंग AI?
Meta की यह तकनीक न्यूरोसाइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के संयोजन से काम करती है। यह ब्रेन की गतिविधियों का विश्लेषण करके अनुमान लगाती है कि व्यक्ति कौन-सा अक्षर टाइप करना चाहता है। इसके लिए एक खास मशीन का उपयोग किया जाता है, जो ब्रेन से निकलने वाले मैग्नेटिक संकेतों को पकड़कर उन्हें टेक्स्ट में बदलती है।
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MIT Technology Review के मुताबिक, इस तकनीक में मैग्नेटोएन्सेफलोग्राफी (MEG) मशीन का इस्तेमाल किया जाता है, जो मस्तिष्क की बेहद सूक्ष्म गतिविधियों को रिकॉर्ड करने में सक्षम है। हालांकि, यह मशीन बहुत बड़ी और महंगी होती है, जिससे इसका आम लोगों के लिए उपयोग अभी संभव नहीं है।

अभी आम जनता के लिए नहीं है उपलब्ध
भले ही यह तकनीक विज्ञान की दुनिया में एक क्रांतिकारी कदम है, लेकिन इसे रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करने के लिए अभी लंबा समय लग सकता है। MEG मशीन का वजन करीब 500 किलोग्राम है और इसकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपये बताई जाती है। इसके अलावा, इस मशीन के सही ढंग से काम करने के लिए व्यक्ति को पूरी तरह स्थिर बैठना पड़ता है, क्योंकि हल्की सी भी हरकत डेटा को गड़बड़ कर सकती है।

Meta के शोधकर्ता Jean-Remi King और उनकी टीम इस तकनीक को किसी प्रोडक्ट के रूप में लाने के बजाय ब्रेन में भाषा की प्रोसेसिंग को समझने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। यानी, फिलहाल यह तकनीक रिसर्च स्टेज में है, लेकिन भविष्य में यह इंसानों के कम्युनिकेशन का तरीका पूरी तरह बदल सकती है।
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