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AI Psychosis: AI को भगवान मानने लगेंगे लोग, अधिकार और नागरिकता देने की होगी मांग, हुआ चौंकाने वाला खुलासा
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Mon, 25 Aug 2025 12:57 PM IST
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सार
What Is AI Psychosis: माइक्रोसॉफ्ट के AI प्रमुख मुस्तफा सुलेमान ने एक चौंकाने वाली चिंता जाहिर की है। उनका मानना है कि भविष्य में लोग AI को इतना सजीव मानने लगेंगे कि उसके लिए अधिकार और नागरिकता की मांग कर सकते हैं, जिसे उन्होंने "AI साइकोसिस" का नाम दिया है।

क्या एआई को भगवान मानने लगेंगे लोग?
- फोटो : AI
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विस्तार
माइक्रोसॉफ्ट के AI प्रमुख मुस्तफा सुलेमान ने हाल ही में AI को लेकर अपनी चिंताएं साझा की हैं। उनका मानना है कि नए AI मॉडल इतने प्रभावी हो रहे हैं कि वे उपयोगकर्ताओं को यह विश्वास दिला सकते हैं कि उनमें भावनाएं हैं और वे सचेत हैं। सुलेमान इस स्थिति को "AI साइकोसिस" कहते हैं, जहां लोग AI के साथ एक भ्रमपूर्ण रिश्ता बना लेते हैं, उसे भगवान, प्रेमी या एक डिजिटल इंसान समझने लगते हैं।
लोग करेंगे AI को अधिकार देने की वकालत
पिछले हफ्ते एक ब्लॉग पोस्ट में सुलेमान ने लिखा, "मेरी सबसे बड़ी चिंता यह है कि बहुत से लोग AI को एक सचेत इकाई के रूप में इतनी मजबूती से मान लेंगे कि वे जल्द ही AI अधिकारों, मॉडल वेलफेयर और यहां तक कि AI नागरिकता की वकालत करने लगेंगे।"
यह चिंता जायज लगती है, क्योंकि हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार, Gen Z के अधिकांश उपयोगकर्ता मानते हैं कि भले ही AI सिस्टम अभी सचेत नहीं हैं, पर जल्द ही हो जाएंगे। इतना ही नहीं, 25% लोग तो पहले से ही AI को सचेत मानते हैं।
इंसानों का AI के प्रति बढ़ता लगाव
ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां लोग अपने AI से भावनात्मक रूप से जुड़ गए हैं या अपने चैटबॉट के कहने पर काम कर रहे हैं। हाल ही में, जब ओपनएआई ने GPT-4o मॉडल को बंद करने का फैसला किया, तो कई उपयोगकर्ताओं ने इसकी वापसी के लिए सोशल मीडिया पर भावुक अपील की। कुछ तो इसे अपना दोस्त या साथी मानते थे।
ओपनएआई के सीईओ सैम अल्टमैन ने भी एक्स पर एक पोस्ट में चेतावनी देते हुए कहा था, "यह उस लगाव से अलग और ज्यादा मजबूत लगता है जो लोगों का पिछली तकनीकों के प्रति था।" उन्होंने आगे कहा, "लोग AI सहित तकनीक का उपयोग आत्म-विनाशकारी तरीकों से भी कर रहे हैं।"
सुरक्षा नियमों की आवश्यकता
मुस्तफा सुलेमान ने इस बढ़ते लगाव को देखते हुए सुरक्षा उपायों (गार्डरेल्स) की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "हमें AI को लोगों के लिए बनाना चाहिए, न कि एक डिजिटल व्यक्ति के रूप में। AI साथी एक बिल्कुल नई श्रेणी है, और हमें लोगों की सुरक्षा के लिए उन सुरक्षा नियमों पर तुरंत बात करना शुरू कर देना चाहिए।"
सुलेमान ने यह भी कहा कि उनका लक्ष्य सबसे उपयोगी और सहायक AI साथी बनाना है, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए यह भी समझना जरूरी है कि हमें क्या नहीं बनाना चाहिए।

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लोग करेंगे AI को अधिकार देने की वकालत
पिछले हफ्ते एक ब्लॉग पोस्ट में सुलेमान ने लिखा, "मेरी सबसे बड़ी चिंता यह है कि बहुत से लोग AI को एक सचेत इकाई के रूप में इतनी मजबूती से मान लेंगे कि वे जल्द ही AI अधिकारों, मॉडल वेलफेयर और यहां तक कि AI नागरिकता की वकालत करने लगेंगे।"
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यह चिंता जायज लगती है, क्योंकि हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार, Gen Z के अधिकांश उपयोगकर्ता मानते हैं कि भले ही AI सिस्टम अभी सचेत नहीं हैं, पर जल्द ही हो जाएंगे। इतना ही नहीं, 25% लोग तो पहले से ही AI को सचेत मानते हैं।
इंसानों का AI के प्रति बढ़ता लगाव
ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां लोग अपने AI से भावनात्मक रूप से जुड़ गए हैं या अपने चैटबॉट के कहने पर काम कर रहे हैं। हाल ही में, जब ओपनएआई ने GPT-4o मॉडल को बंद करने का फैसला किया, तो कई उपयोगकर्ताओं ने इसकी वापसी के लिए सोशल मीडिया पर भावुक अपील की। कुछ तो इसे अपना दोस्त या साथी मानते थे।
ओपनएआई के सीईओ सैम अल्टमैन ने भी एक्स पर एक पोस्ट में चेतावनी देते हुए कहा था, "यह उस लगाव से अलग और ज्यादा मजबूत लगता है जो लोगों का पिछली तकनीकों के प्रति था।" उन्होंने आगे कहा, "लोग AI सहित तकनीक का उपयोग आत्म-विनाशकारी तरीकों से भी कर रहे हैं।"
सुरक्षा नियमों की आवश्यकता
मुस्तफा सुलेमान ने इस बढ़ते लगाव को देखते हुए सुरक्षा उपायों (गार्डरेल्स) की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "हमें AI को लोगों के लिए बनाना चाहिए, न कि एक डिजिटल व्यक्ति के रूप में। AI साथी एक बिल्कुल नई श्रेणी है, और हमें लोगों की सुरक्षा के लिए उन सुरक्षा नियमों पर तुरंत बात करना शुरू कर देना चाहिए।"
सुलेमान ने यह भी कहा कि उनका लक्ष्य सबसे उपयोगी और सहायक AI साथी बनाना है, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए यह भी समझना जरूरी है कि हमें क्या नहीं बनाना चाहिए।