सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Technology ›   Tech Diary ›   Online users in the US top the world in creating explicit deepfake images India ranks second

AI Tool: गंदी तस्वीरें बनाने में AI का हो रहा सबसे ज्यादा इस्तेमाल, ये देश हैं टॉप पर

टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: प्रदीप पाण्डेय Updated Tue, 31 Dec 2024 02:55 PM IST
विज्ञापन
सार

Misuse of AI Tool: जापान जैसे देशों में, जहां डीपफेक प्लेटफॉर्म का उपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है, ऐसे कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, जनजागरूकता अभियान और शैक्षिक पहल डिजिटल जिम्मेदारी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

Online users in the US top the world in creating explicit deepfake images India ranks second
Misuse of AI - फोटो : ADOBE STOCK
loader
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

डिजिटल दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते दुष्प्रभाव के साथ एक चिंताजनक प्रवृत्ति सामने आई है और वह अश्लील डीपफेक तस्वीरों का निर्माण और प्रसार। एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि जापान उन शीर्ष तीन देशों में शामिल है, जहां इस प्रकार की सामग्री बनाने वाले वेबसाइटों पर सबसे अधिक ट्रैफिक दर्ज किया गया है।

Trending Videos

जापान में डीपफेक सामग्री का बढ़ता चलन

योमिउरी शिंबुन द्वारा डिजिटल एनालिटिक्स फर्म सिमिलरवेब लिमिटेड के साथ मिलकर किए गए सर्वेक्षण में दिसंबर 2023 से नवंबर 2024 तक डेटा का विश्लेषण किया गया। इस दौरान, 41 ऐसी वेबसाइटें सामने आईं, जहां उपयोगकर्ता किसी व्यक्ति की तस्वीरें अपलोड करके अश्लील डीपफेक तस्वीरेंबना सकते हैं। इन वेबसाइटों पर जापान से सालभर में 1.8 करोड़ से अधिक विजिट दर्ज किए गए।

विज्ञापन
विज्ञापन

AI की मदद से अश्लील तस्वीरें बनाने वाले टॉप-5 देश

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका: 5.97 करोड़
  2. भारत: 2.45 करोड़
  3. जापान: 1.84 करोड़
  4. रूस: 1.75 करोड़
  5. जर्मनी: 1.68 करोड़

जापान में हर महीने लगभग 4.1 लाख उपयोगकर्ता इन साइट्स पर पहुंचते हैं, जिनमें से 80% स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं। डीपफेक तकनीक के विकास के साथ अश्लील सामग्री निर्माण में तेजी आई है। अमेरिकी साइबर सुरक्षा फर्म सिक्योरिटी हीरो के अनुसार, 2023 में ऑनलाइन 95,820 डीपफेक वीडियो का पता लगाया गया, जो 2019 की तुलना में साढ़े पांच गुना अधिक था।

रोकने के लिए नहीं है कोई ठोस कानूून

विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकांश देशों में मौजूदा कानून AI-जनित सामग्री की जटिलताओं को संबोधित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। जापान में, डीपफेक अश्लील सामग्री के निर्माण या वितरण को सीधे लक्षित करने वाले कोई विशेष कानूनी प्रावधान नहीं हैं। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर इचिरो सातो ने इस मुद्दे पर ध्यान दिलाते हुए कहा, “डीपफेक तकनीक को नियंत्रित करने के लिए विशेष कानून बनाए जाने चाहिए, ताकि व्यक्तियों को शोषण से बचाया जा सके।”

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News App अपने मोबाइल पे|
Get all Tech News in Hindi related to live news update of latest mobile reviews apps, tablets etc. Stay updated with us for all breaking news from Tech and more Hindi News.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed