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स्मार्टफोन की लत: 13 साल से पहले फोन मिलने पर बिगड़ रही मानसिक सेहत, वैश्विक स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा
टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नीतीश कुमार
Updated Thu, 28 Aug 2025 11:54 AM IST
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सार
Smartphone Effect On Children Below 13 Years Of Age: एक नई ग्लोबल स्टडी ने चेतावनी दी है कि 13 साल की उम्र से पहले स्मार्टफोन मिलना बच्चों की मानसिक सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। शोध के अनुसार, कम उम्र में फोन पाने वाले युवाओं में आत्महत्या के विचार और आक्रामकता की संभावना बढ़ जाती है।

स्मार्टफोन
- फोटो : freepik
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विस्तार
दुनियाभर के 1 लाख से ज्यादा लोगों पर किए गए एक बड़े अध्ययन ने खुलासा किया है कि जो बच्चे 13 साल से कम उम्र में स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने लगते हैं, उनकी मानसिक सेहत और भविष्य की भलाई पर गंभीर असर पड़ता है। जर्नल ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट एंड कैपेबिलिटीज में प्रकाशित इस रिसर्च के मुताबिक, 18 से 24 साल की उम्र में पहुंच चुके वे युवा, जिन्हें बचपन में स्मार्टफोन मिला था, ज्यादा आक्रामकता, वास्तविकता से अलगाव, आत्महत्या के विचार और आत्मसम्मान की कमी जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
सोशल मीडिया और साइबरबुलिंग का असर
स्टडी में पाया गया कि यह खतरा शुरुआती उम्र में सोशल मीडिया एक्सपोजर, साइबरबुलिंग, खराब नींद और पारिवारिक रिश्तों में खटास से और बढ़ जाता है। इन कारणों से बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित होता है और बड़े होने पर उन्हें गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
यह भी पढ़ें: भारत में 70-80% मोबाइल डेटा की खपत घरों के अंदर, ट्राई चेयरपर्सन ने जताई चिंता
विशेषज्ञों की चेतावनी
सैपियन लैब्स की संस्थापक और न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. तारा थियागराजन ने कहा कि स्मार्टफोन और सोशल मीडिया की समय से पहले पहुंच मानसिक स्वास्थ्य में गहरी गिरावट ला रही है। उन्होंने सरकारों से आग्रह किया है कि बच्चों को 13 साल से पहले स्मार्टफोन न दिए जाएं और इस पर वैसी ही पाबंदियां लगाई जाएं जैसी शराब और तंबाकू पर लागू होती हैं।
दुनियाभर में उठाए जा रहे कदम
हालांकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आधिकारिक तौर पर 13 साल की उम्र सीमा तय है, लेकिन इसका पालन सही तरीके से नहीं हो पाता। फ्रांस, इटली, नीदरलैंड्स और न्यूज़ीलैंड जैसे देशों ने स्कूलों में फोन पर पाबंदी लगाई है। अमेरिका के न्यूयॉर्क ने भी हाल ही में स्कूलों में स्मार्टफोन बैन का ऐलान किया है।
यह भी पढ़ें: आत्महत्या के लिए चैटजीपीटी ने उकसाया, लड़के से कहा- 'फंदा मजबूत करने के तरीके बताऊं क्या?'
रिसर्च टीम का कहना है कि बच्चों में फोन की जल्दी पहुंच न केवल नींद और रिश्तों को प्रभावित करती है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर लंबे समय तक नकारात्मक असर डालती है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि पॉलिसी मेकर्स को तुरंत कदम उठाने चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी की मानसिक सेहत को सुरक्षित किया जा सके।

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सोशल मीडिया और साइबरबुलिंग का असर
स्टडी में पाया गया कि यह खतरा शुरुआती उम्र में सोशल मीडिया एक्सपोजर, साइबरबुलिंग, खराब नींद और पारिवारिक रिश्तों में खटास से और बढ़ जाता है। इन कारणों से बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित होता है और बड़े होने पर उन्हें गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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विशेषज्ञों की चेतावनी
सैपियन लैब्स की संस्थापक और न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. तारा थियागराजन ने कहा कि स्मार्टफोन और सोशल मीडिया की समय से पहले पहुंच मानसिक स्वास्थ्य में गहरी गिरावट ला रही है। उन्होंने सरकारों से आग्रह किया है कि बच्चों को 13 साल से पहले स्मार्टफोन न दिए जाएं और इस पर वैसी ही पाबंदियां लगाई जाएं जैसी शराब और तंबाकू पर लागू होती हैं।
दुनियाभर में उठाए जा रहे कदम
हालांकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आधिकारिक तौर पर 13 साल की उम्र सीमा तय है, लेकिन इसका पालन सही तरीके से नहीं हो पाता। फ्रांस, इटली, नीदरलैंड्स और न्यूज़ीलैंड जैसे देशों ने स्कूलों में फोन पर पाबंदी लगाई है। अमेरिका के न्यूयॉर्क ने भी हाल ही में स्कूलों में स्मार्टफोन बैन का ऐलान किया है।
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रिसर्च टीम का कहना है कि बच्चों में फोन की जल्दी पहुंच न केवल नींद और रिश्तों को प्रभावित करती है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर लंबे समय तक नकारात्मक असर डालती है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि पॉलिसी मेकर्स को तुरंत कदम उठाने चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी की मानसिक सेहत को सुरक्षित किया जा सके।