Amroha: गबन में फंसे यूपीसीडा के तीन सेवानिवृत्त अफसर, वसूले जाएंगे तीस करोड़, तीनों के खिलाफ प्राथमिकी
यूपीसीडा में औद्योगिक क्षेत्र की जमीन के अधिग्रहण से जुड़े करीब 30 करोड़ रुपये के गबन मामले में फंसे तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों से धनराशि की वसूली की तैयारी की जा रही है। आरोप है कि वर्ष 2013 में बिना जमीन का बैनामा कराए किसानों को मुआवजा बांट दिया गया। इस मामले में पिछले साल एफआईआर दर्ज हुई थी।
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तीस करोड़ रुपये के गबन में फंसे यूपीसीडा के तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों से गबन की राशि वसूल की जाएगी। तीनों के खिलाफ साल भर पूर्व एफआईआर दर्ज की गई थी। उन पर आरोप है कि उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र में जमीन का बैनामा कराए बिना ही किसानों को उनसे अधिग्रहण की गई भूमि का 30 करोड़ रुपये मुआवजा वितरण कर दिया।
खंड-11 यूपीसीडा बरेली के क्षेत्रीय प्रबंधक मंसूर कटियार ने बताया कि पिछले साल नवंबर माह में यूपीसीडा के प्रबंधक गाेपाल प्रसाद ने गबन की एफआईआर दर्ज दर्ज कराई थी। उन्होंने निर्माण खंड-4 अलीगढ़ के तत्कालीन अधिशासी अभियंता अजीत सिंह, तत्कालीन क्षेत्रीय प्रबंधक अलीगढ़ तेजवीर सिंह व तत्कालीन अधिशासी अभियंता निर्माण खंड-4 अलीगढ़ के दीपचंद को नामजद कराया था।
तीनों के नेतृत्व में यूपीसीडा ने नाईपुरा खादर व फाजलपुर गौसाईं गांव की 151 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया। जिसके बाद तीनों ने वर्ष 2013 में किसानों को उस समय मुआवजे के रूप में करीब 30 करोड़ रुपये का वितरण कर दिया। मगर लापरवाही बरतते हुए अधिग्रहण की गई जमीन का बैनामा नहीं कराया।
मामला खंड-11 यूपीसीडा बरेली के वरिष्ठ प्रबंधक राजीव कुमार व क्षेत्रीय प्रबंधक मंसूर कटियार के सामने आया। दोनों ने बारीकी से जांच की तो पता चला कि तीनों सेवानिवृत्त अधिकारियों ने 30 करोड़ रुपये का गबन किया है। जिसकी उनसे वसूली की जाएगी। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू की।
जिसे साल भर बीत गया है, लेकिन अभी तक जांच पूरी कर यूपीसीडा के अफसरों को उसकी रिपोर्ट नहीं सौंपी। इस बीच यूपीसीडा ने सेवानिवृत्त तीनों अफसरों से गबन की धनराशि वसूल करने की तैयारी कर ली है। क्षेत्रीय प्रबंधक मंसूर कटियार का कहना है कि तीनों से गबन की धनराशि वसूल की जाएगी। इसकी तैयारी चल रही है। जल्द ही गबन की राशि को वसूल कर लिया जाएगा।
पूर्व में अलीगढ़ के अधीन आता था गजरौला औद्योगिक क्षेत्र
यूपीसीडा के प्रबंधक धर्मेंद्र कुशवाहा ने बताया कि गजरौला औद्योगिक क्षेत्र पूर्व में निर्माण खंड-4 अलीगढ़ के अधीन आता था। इसलिए अलीगढ़ के अधिकारी-कर्मचारी ही औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहण करने और अन्य कार्य देखते थे। नवंबर-23 में निर्माण खंड-11 बरेली बना। जिसके बाद गजरौला औद्योगिक क्षेत्र को अलीगढ़ से लेकर बरेली के अधीन कर दिया गया। तब से बरेली के अधिकारी ही अधिग्रहण से लेकर अन्य सभी कार्य देखते हैं।
इस जमीन की खरीद फरोख्त पर लगाई रोक
यूपीसीडा के सेवानिवृत हुए तीनों अफसरों द्वारा जिस जमीन का बैनामा कराए बिना ही मुआवजा वितरण किया गया, उसकी खरीद फरोख्त पर रोक लगाने के लिए मौजूदा अफसरों ने डीएम से गुहार लगाई है। इसके लिए यूपीसीडा के वरिष्ठ प्रभारी प्रबंधक (सिविल) ने इसी साल 17 अगस्त को डीएम को पत्र लिखा था।
डीएम निधि गुप्ता वत्स ने एडीएम वित्त एवं राजस्व को इस बावत निर्देश दिए थे। जिसके बाद एडीएम वित्त एवं राजस्व ने धनौरा तहसील के सब रजिस्ट्रार को निर्देश दिए थे कि 152 एकड़ जमीन के बैनामा नहीं किए जाएं। उसकी खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी गई।
