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अयोध्या: मंदिर के शिखर दर्शन को रामनगरी में उमड़े श्रद्धालु, हर साल इस तिथि पर बदला जाएगा ध्वज; हुई चर्चा
अमर उजाला संवाद, अयोध्या
Published by: रोहित मिश्र
Updated Wed, 26 Nov 2025 06:20 PM IST
सार
Ram Mandir Flag Hoisting: अयोध्या में ध्वजारोहण के अगले दिन मंदिर आम लोगों के लिए खोल दिया गया। मंदिर परिसर में बुधवार को भारी भीड़ उमड़ी।
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अयोध्या राम मंदिर में भक्त।
- फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण के बाद बुधवार को अयोध्या में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। केसरिया आभा में नहाया राम मंदिर मानो दिव्य तेज से जगमगा रहा था। सुबह की पहली किरण जैसे ही मंदिर शिखर पर लहराते धर्मध्वज पर पड़ी, पूरा परिसर भक्तिरस से आलोकित हो उठा। ध्वजारोहण के बाद श्रद्धालुओं में रामलला के दर्शन की लालसा कई गुना बढ़ गई है। बुधवार को दो लाख लोगों ने रामलला के दर्शन किए।
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दूर-दूर से आए भक्तों ने बताया कि रामलला का दिव्य रूप पहले से अधिक अलौकिक दिखाई दिया, एक ऐसा अनुभव जिसने मन को गहन शांति, संतोष और भक्ति से भर दिया। मंदिर में गूंजते जयघोष, शंखनाद और कंचन आभा से भरा वातावरण भक्तों को भाव-विभोर करता रहा। प्रशासन ने बढ़ी भीड़ को संभालने के लिए विशेष इंतजाम किए, छह कतारों में श्रद्धालुओं को दर्शन कराए गए। मंदिर सुबह सात बजे खुलना था, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन पथ पर सुबह पांच बजे से ही जुट गई।
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राम मंदिर ट्रस्ट ने पहले घोषणा की थी कि 25 नवंबर को ध्वजारोहण समारोह के चलते आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर बंद रहेगा, लेकिन समारोह समापन व अतिथियों के मंदिर भ्रमण का कार्यक्रम पूरा होते ही मंदिर दोपहर तीन बजे ही खोल दिया गया। रात में मंदिर साढ़े नौ बजे तक खोला गया। एसपी सुरक्षा बलरामाचारी दुबे ने बताया कि ध्वजारोहण समारोह के बाद बुधवार को राम मंदिर में देर शाम तक दो लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके थे। सुबह से भीड़ जुट गई थी, हालांकि मंदिर अपने नियत समय पर ही खोला गया। श्रद्धालुओं को सुगमता पूर्वक छह कतारों में दर्शन कराए जा रहे हैं।
विजयादशमी पर बदला जाएगा राम मंदिर का ध्वज
अयोध्या के राम मंदिर में ध्वजारोहण
- फोटो : पीटीआई / अमर उजाला ग्राफिक्स
राम मंदिर के 191 फीट ऊंचे शिखर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को धर्मध्वजा फहराया। ध्वजारोहण के बाद अब ध्वज को साल में कितनी बार और कब-कब बदला जाए इस पर मंथन शुरू हो गया है। राम मंदिर में हर साल विजय दशमी पर ध्वज परिवर्तन की परंपरा है, ऐसे में यह तय है कि विजय दशमी पर धर्मध्वजा बदला जाएगा। राम मंदिर ट्रस्ट और तकनीकी विशेषज्ञों की टीम इस समय ध्वज बदलने की पूरी प्रक्रिया पर गहन मंथन कर रही है।
शिखर की ऊंचाई, हवा की दिशा, ध्वज की चौड़ाई, भार और सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए एक ऐसा सिस्टम तैयार किया जा रहा है जिससे ध्वज परिवर्तन सुरक्षित और निर्बाध रूप से संपन्न हो सके। वर्तमान ध्वज लगभग 40 किलो वजन वाले विशेष धातु आधारित दंड पर स्थापित है, जिसका ऊपरी हिस्सा आंधी और तेज हवा का दबाव झेलने में सक्षम है। ध्वज का वजन भी लगभग दो किलो , लंबाई 22 फीट व ऊंचाई 11 फीट है।
राम मंदिर के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि तकनीकी दल के अनुसार, 191 फीट की ऊंचाई पर हवा का दबाव ज़मीन की तुलना में लगभग दोगुना रहता है। इसलिए ध्वज बदलना सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक जटिल इंजीनियरिंग प्रक्रिया भी है। ध्वज परिवर्तन की प्रक्रिया को सुरक्षित, वैज्ञानिक और उच्च मानकों के अनुसार संपन्न कराने के लिए ट्रस्ट लगातार विशेषज्ञों से सलाह ले रहा है।ध्वज केवल विजय दशमी पर ही बदला जाए या फिर रामनवमी व अन्य त्योहारों पर बदलने की परंपरा शुरू की जाए इन सब पर विचार चल रहा है।
शिखर की ऊंचाई, हवा की दिशा, ध्वज की चौड़ाई, भार और सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए एक ऐसा सिस्टम तैयार किया जा रहा है जिससे ध्वज परिवर्तन सुरक्षित और निर्बाध रूप से संपन्न हो सके। वर्तमान ध्वज लगभग 40 किलो वजन वाले विशेष धातु आधारित दंड पर स्थापित है, जिसका ऊपरी हिस्सा आंधी और तेज हवा का दबाव झेलने में सक्षम है। ध्वज का वजन भी लगभग दो किलो , लंबाई 22 फीट व ऊंचाई 11 फीट है।
राम मंदिर के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि तकनीकी दल के अनुसार, 191 फीट की ऊंचाई पर हवा का दबाव ज़मीन की तुलना में लगभग दोगुना रहता है। इसलिए ध्वज बदलना सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक जटिल इंजीनियरिंग प्रक्रिया भी है। ध्वज परिवर्तन की प्रक्रिया को सुरक्षित, वैज्ञानिक और उच्च मानकों के अनुसार संपन्न कराने के लिए ट्रस्ट लगातार विशेषज्ञों से सलाह ले रहा है।ध्वज केवल विजय दशमी पर ही बदला जाए या फिर रामनवमी व अन्य त्योहारों पर बदलने की परंपरा शुरू की जाए इन सब पर विचार चल रहा है।