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राम मंदिर ध्वजारोहण : पीएम मोदी बोले-मानसिक गुलामी ने 'राम' को भी काल्पनिक बताया; पढ़ें पांच बड़ी बातें
सार
अयोध्या में पीएम मोदी ने कहा, हर कालखंड में राम के विचार ही हमारी प्रेरणा बनेगा। विकसित भारत की यात्रा को गति देने के लिए ऐसा रथ चाहिए, जिसके पहिये शौर्य और धैर्य हों।
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राम मंदिर में पीएम मोदी
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
'पिछले 11 वर्ष में महिला, दलित, पिछड़े, आदिवासी, वंचित, किसान, युवा को विकास के केंद्र में रखा गया है। रामलला प्राण प्रतिष्ठा पर राम से राष्ट्र की चर्चा की थी, हमें एक हजार वर्ष के लिए भारत की नींव मजबूत करनी है। जो सिर्फ वर्तमान सोचते हैं, वह आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय करते हैं। हमें भावी पीढ़ियों के लिए भी सोचना है, क्योंकि जब हम नहीं थे, तब भी देश था। जब हम नहीं रहेंगे तब भी देश रहेगा।'
ये बातें पीएम मोदी ने अयोध्या में कहीं। उन्होंने कहा, आज से 190 साल पहले 1835 में लार्ड मैकाले ने मानसिक गुलामी की नींव रखी थी। दस साल बाद यानी 2035 में उस अपवित्र घटना को दो सौ साल पूरे हो रहे हैं। पढ़ें पांच बड़े बयान...
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ये बातें पीएम मोदी ने अयोध्या में कहीं। उन्होंने कहा, आज से 190 साल पहले 1835 में लार्ड मैकाले ने मानसिक गुलामी की नींव रखी थी। दस साल बाद यानी 2035 में उस अपवित्र घटना को दो सौ साल पूरे हो रहे हैं। पढ़ें पांच बड़े बयान...
राम मंदिर में पीएम मोदी
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
1.अभी गुलामी की इस मानसिकता ने डेरा डाला हुआ है
पीएम मोदी ने कहा, अभी गुलामी की इस मानसिकता ने डेरा डाला हुआ है। हमने नौसेना के ध्वज से गुलामी की मानसिकता को हटाया। ये गुलामी की मानसिकता ही है, जिसने राम को नकारा है। भारतवर्ष के कण कण में भगवान राम हैं।लेकिन, मानसिक गुलामी ने राम को भी काल्पनिक बता दिया। आने वाले एक हजार वर्ष के लिए भारत की नींव तभी मजबूत होगी, जब आने वाले 10 साल में हम मैकाले की गुलामी से छुटकारा पा लेंगे। 21वीं सदी की अयोध्या विकसित भारत का मेरुदंड बनकर उभर रही है।
पीएम मोदी संबोधित करते हुए
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
2. यह डिजाइन नहीं, मानसिकता बदलने का क्षण था
पीएम मोदी ने कहा, तमिलनाडु के एक गांव में शिलालेख पर बताया है कि कैसे सरकार चुनती थी, कैसे शासन चलता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता के कारण भारत की पीढ़ियों को जानकारी से वंचित रखा गया। हर कोने में गुलामी की मानसिकता ने डेरा डाला है।नौसेना के ध्वज पर ऐसे प्रतीक बन रहे, जिन पर हमारी विरासत से कोई संबंध नहीं है। हमने गुलामी के प्रतीक को हटाया है। हमने छत्रपति महाराज की विरासत को बढ़ाया है। यह डिजाइन नहीं, मानसिकता बदलने का क्षण था। भारत अपनी शक्ति और प्रतीकों से परिभाषित करेगा, ना कि किसी ओर की विरासत से, यही परिवर्तन आज आज अयोध्या में दिखाई दे रहा है।
राम मंदिर में पीएम मोदी
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
3. अयोध्या वह भूमि, जहां आदर्श आचरण में बदलते हैं
पीएम मोदी ने कहा, अयोध्या वह भूमि है, जहां आदर्श आचरण में बदलते हैं। यह वही भूमि है, जहां राम ने जीवन शुरू किया। इसी धरती ने बताया कि एक व्यक्ति अपने समाज की शक्ति से कैसे मर्यादा पुरुषोत्तम बनता है, जब भगवान यहां से गए तो युवराज राम थे, वह लौटे तो मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर लौटे।साथियों, विकसित भारत बनाने के लिए समाज की इसी सामूहिक शक्ति की आवश्यकता है। मुझे खुशी है कि राम मंदिर का दिव्य प्रांगण भारत के चेतना स्थली बन रहा है। यहां माता शबरी का मंदिर है, जो जनजातीय समाज के प्रेम प्रेरणा की मूर्ति हैं, निषाद राज, माता अहिल्या, महर्षि वाल्मीकि, संत तुलसीदास, जटायु, गिलहरी की मूर्तियां भी हैं।
राम मंदिर में पीएम मोदी
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
4. जीत सत्य की होती है, असत्य की नहीं
पीएम मोदी ने कहा, ध्वज सत्यमेव जयते का आह्वान करेगा। यानी जीत सत्य की होती है, असत्य की नहीं। सत्य में ही धर्म स्थापित है। यह ध्वज प्रेरणा रहेगा कि प्राण जाए पर वचन नहीं जाए, जो कहा जाए वही किया जाए।जो लोग किसी कारण मंदिर नहीं आ पाते हैं, दूर से मंदिर के ध्वज को प्रणाम कर लेते हैं, उन्हें भी उतना ही पुण्य मिल जाता है। यह ध्वज भी मंदिर के ध्येय का प्रतीक है, यह दूर से ही रामलला की जन्मभूमि का दर्शन कराएगा।
राम मंदिर
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
5. जो सामने ध्वज दिख रहा है वह अयोध्या का धर्म ध्वज है
पीएम मोदी ने कहा, जो सामने ध्वज दिख रहा है वह अयोध्या का धर्म ध्वज है, जिस पर कोविदार वृक्ष अंकित है। यह वृक्ष अपने याद दिलाता है कि जब हम इसे भूलते हैं, तब अपनी पहचान खो देते हैं। आज से 190 साल पहले 1835 में मैकाले नाम के एक अंग्रेज ने भारत में मानसिक गुलामी की नींव रखी। आने वाले 10 वर्षों में उशके 200 साल होने वाले हैं। हमने संकल्प लिया है कि आने वाले 10 वर्षों में हम मानसिक गुलामी की मानसिकता से मुक्ति दिलाकर रहेंगे।
पीएम मोदी को सीएम योगी ने स्मृति चिन्ह भेंट किया
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
शुभ मुहूर्त पर हुआ ध्वजारोहण
निर्धारित शुभ मुहूर्त में प्रधानमंत्री ने राम मंदिर के मुख्य शिखर पर धर्मध्वज फहराया। जैसे ही केसरिया ध्वज पवन के संग लहराया, पूरा परिसर ‘जय श्री राम’ के उद्घोष से गूंज उठा। क्षण भर में वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया और श्रद्धालुओं की भावनाएं उमंग में बदल गईं।धर्मध्वज फहराने से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच व्यापक पूजन-अर्चन सम्पन्न हुआ। यज्ञकुंडों से उठती आहुतियों की सुगंध और नगाड़ों की गूँज ने समारोह को भव्यता प्रदान की। पीएम ने ध्वजारोहण कर राष्ट्र को सनातन परंपरा की अखंडता, आस्था और सांस्कृतिक स्वाभिमान का संदेश दिया।
प्रधानमंत्री के रोड शो के दौरान फूलों की वर्षा करते लोग
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
हजारों लोग रहे मौजूद
इस अवसर पर देश-दुनिया से आए संत-महंत, विशिष्ट अतिथि और हज़ारों श्रद्धालु मौजूद रहे। सुरक्षा के कड़े इंतज़ामों के बीच राम नगरी उत्सव के रंग में डूबी रही। मंदिर परिसर से लेकर सरयू तट तक हर ओर दीप, पुष्प और रंगोलियों से सजा माहौल इस ऐतिहासिक उत्सव का साक्षात अनुभव करा रहा था।
चार से पांच मिनट के संक्षिप्त ध्वजारोहण अनुष्ठान में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रधानमंत्री ने बटन दबाकर ध्वज फहराया। सात हजार अतिथि समारोह के साक्षी बने।, जिनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, धर्मगुरु, व्यापार जगत के प्रमुख नाम, दलित, वंचित, किन्नर और अघोरी समुदाय के प्रतिनिधि शामिल रहे।
इस अवसर पर देश-दुनिया से आए संत-महंत, विशिष्ट अतिथि और हज़ारों श्रद्धालु मौजूद रहे। सुरक्षा के कड़े इंतज़ामों के बीच राम नगरी उत्सव के रंग में डूबी रही। मंदिर परिसर से लेकर सरयू तट तक हर ओर दीप, पुष्प और रंगोलियों से सजा माहौल इस ऐतिहासिक उत्सव का साक्षात अनुभव करा रहा था।
चार से पांच मिनट के संक्षिप्त ध्वजारोहण अनुष्ठान में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रधानमंत्री ने बटन दबाकर ध्वज फहराया। सात हजार अतिथि समारोह के साक्षी बने।, जिनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, धर्मगुरु, व्यापार जगत के प्रमुख नाम, दलित, वंचित, किन्नर और अघोरी समुदाय के प्रतिनिधि शामिल रहे।