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राम मंदिर आंदोलन: गोलीकांड से भी नहीं डिगा था योद्धा डॉ. वेदांती का संकल्प, बयान से कोर्ट में मच गई थी हलचल

नितिन मिश्र, संवाद न्यूज एजेंसी, अयोध्या Published by: भूपेन्द्र सिंह Updated Tue, 16 Dec 2025 08:36 AM IST
सार

राम मंदिर आंदोलन के योद्धा डॉ. वेदांती का परलोक गमन हो गया है। ऐसे में लोग उनकी बातों और उनके साथ बिताए समय को याद कर रहे हैं। उनके शिष्य ने बताया कि गोलीकांड और राजनीतिक दबाव से भी उनका संकल्प नहीं डिगा था। उनके बयान से कोर्ट में हलचल मच गई थी। आगे पढ़ें पूरी खबर...

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Ram Temple movement stalwart Dr. Vedanti said in court that we demolished ruins of temple not mosque
राम मंदिर आंदोलन के योद्धा डॉ. राम विलास दास वेदांती का निधन। - फोटो : अमर उजाला/संवाद न्यूज एजेंसी
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रामनगरी अयोध्या में पूर्व सांसद डॉ. राम विलास दास वेदांती लंबे समय तक राम मंदिर आंदोलन के अग्रिम पंक्ति के योद्धा बने रहे। वह मंदिर आंदोलन के अहम किरदारों में से एक थे। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उन्होंने मंदिर आंदोलन की लौ बुझने नहीं दी। अब उस योद्धा का परलोक गमन हो गया है तो मंदिर आंदोलन में उनके योगदान को याद करना मौजू हो उठता है। छह दिसंबर 1992 को हुई बाबरी विध्वंस की घटना के मुख्य आरोपियों में वह शामिल थे। वह हमेशा कहते थे कि हमने मस्जिद नहीं मंदिर के खंडहर को तोड़ा।
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उनके शिष्य व उत्तराधिकारी डॉ. राघवेश दास वेदांती बताते हैं कि बाबरी विध्वंस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और उनके गुरु राम विलास दास वेदांती समेत 32 लोग आरोपी थे। बाबरी विध्वंस मामले में फैसला आने के चार माह पूर्व उन्होंने कोर्ट में बयान दिया था। 
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खंडहर तोड़कर नया मंदिर बनवाने का लिया था संकल्प

अपने बयान में उन्होंने कहा था कि मैंने मंदिर के खंडहर को गिराया था। वहां धनुष-बाण, शंख, चक्र, गदा के चिह्न थे। किसी भी मस्जिद में हिंदू देवी-देवताओं के चिह्न नहीं होते हैं। वहां केवल और केवल मंदिर था, जिसे राजा विक्रमादित्य ने 84 कसौटी के खंभे पर बनवाया था। वह खंडहर हो चुका था, इसलिए हमने खंडहर को तोड़कर नया मंदिर बनवाने का संकल्प लिया था।

डॉ. राघवेश ने बताया कि गुरुजी का मानना था कि अयोध्या के राम मंदिर का आंदोलन आजादी के बाद किसी मंदिर के लिए सबसे लंबी लड़ाई वाला आंदोलन रहा है। राम मंदिर के हक में सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद उन्होंने कहा था कि अशोक सिंहल से लेकर महंत अवेद्यनाथ और रामचंद्र दास परमहंस ने राम मंदिर का जो सपना देखा था, उसे पीएम मोदी ने साकार करके दिखाया। उनका कहना था कि अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर दुनिया में सबसे भव्य होगा और एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप उभरेगा।

विध्वंस से लेकर मंदिर निर्माण तक रहे साक्षी

डॉ राम विलास दास वेदांती बाबरी विध्वंस से लेकर मंदिर निर्माण तक के साक्षी रहे। नौ नवंबर 1989 को राम मंदिर निर्माण के लिए पहली बार शिलान्यास किया गया था। शिलान्यास के दौरान स्वामी वामदेव, महंत अवेद्यनाथ, परमहंस रामचंद्र दास, नृत्य गोपाल दास, अशोक सिंहल के साथ डॉ राम विलास दास वेदांती भी मौजूद रहे। 

मंदिर आंदोलन के लिए लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 में जब रथयात्रा निकाली तो वेदांती भी उस यात्रा का हिस्सा रहे। यह यात्रा 30 अक्तूबर को अयोध्या में कारसेवा के साथ खत्म होनी थी। 30 अक्तूबर को बड़ी संख्या में रामभक्त अयोध्या पहुंचे, जिन पर यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने गोली चलवा दी। दो नवंबर को रामभक्त फिर उमड़े तो फिर गोली चलवाई।

कभी अपने संकल्प से समझौता नहीं किया

विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा बताते हैं कि संघ और भाजपा के लिए वर्ष 2002 से 2014 का दौर राजनीतिक और वैचारिक रूप से चुनौतीपूर्ण माना जाता है। उस समय भी राम मंदिर निर्माण की आवाज को बुलंद रखने वाले प्रमुख संत नेताओं में डॉ. रामविलास दास वेदांती अग्रिम पंक्ति में खड़े रहे। कठिन परिस्थितियों, राजनीतिक दबावों और कानूनी संघर्षों के दौर में भी उन्होंने कभी अपने संकल्प से समझौता नहीं किया। 

इस दौर में जब मंदिर मुद्दा राजनीतिक हाशिये पर धकेलने की कोशिशें हो रही थीं, तब डॉ. वेदांती ने संत समाज और राम भक्तों को निरंतर जागृत किया। अयोध्या में धरना–प्रदर्शन, संत सभाएं, धर्मसभाएं और प्रवचनों के माध्यम से उन्होंने यह स्पष्ट संदेश दिया कि राम मंदिर केवल चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्र की सांस्कृतिक अस्मिता का प्रश्न है।

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