{"_id":"69359680518b88175d08447b","slug":"scientists-working-to-develop-new-wheat-varieties-that-can-tolerate-high-temperatures-ayodhya-news-c-13-1-jam1008-1505666-2025-12-07","type":"story","status":"publish","title_hn":"Ayodhya News: उच्च तापमान सहने वाली गेहूं की नई प्रजाति विकसित करने में जुटे विज्ञानी","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Ayodhya News: उच्च तापमान सहने वाली गेहूं की नई प्रजाति विकसित करने में जुटे विज्ञानी
संवाद न्यूज एजेंसी, अयोध्या
Updated Sun, 07 Dec 2025 08:30 PM IST
विज्ञापन
29- आचार्य नरेंद्रदेव कृषि विवि में परियोजना का शुभारंभ करते विज्ञानी
विज्ञापन
कुमारगंज। जलवायु परिवर्तन के दौर में अधिक तापमान सहने वाली गेहूं की नई प्रजाति विकसित करने में कृषि विज्ञानी जुट गए हैं। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में यह शोध कार्य शुरू किया गया है। गेहूं की फसल में अत्यधिक तापमान की परिस्थितियों में होने वाले शारीरिक एवं जैव-रासायनिक परिवर्तनों का अध्ययन के लिए इस परियोजना को शुरू किया गया है। यह परियोजना बढ़ते वैश्विक तापमान एवं जलवायु परिवर्तन की गंभीर चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।परियोजना के मुख्य अन्वेषक व फसल कार्यकी विज्ञान विभाग के डॉ. आलोक कुमार सिंह ने बताया कि इस शोध का मुख्य उद्देश्य गेहूं की फसल पर अत्यधिक तापमान (टर्मिनल हीट स्ट्रेस) के दौरान होने वाले शारीरिक, जैव-रासायनिक एवं आणविक परिवर्तनों को समझना है। उन्होंने कहा कि भविष्य में जलवायु परिवर्तन की गति के अनुरूप ऐसी प्रजातियों का विकास किया जाना आवश्यक है, जो उच्च तापमान को सहन करने में सक्षम हों, ताकि उत्पादन और गुणवत्ता दोनों सुरक्षित रह सके। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के किसानों के लिए बदलते जलवायु परिवर्तन एवं उच्च तापमान के प्रति सहनशील प्रजातियों के विकास करना है जो आने वाले समय में किसान के गेहूं उत्पादकके लिए हेतु जरूरी है।
गेहूं उत्पादक क्षेत्रों के लिए होगा लाभकारी
विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डॉ शंभू प्रसाद ने शोध फॉर्म पर बोआई करके परियोजना की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण गेहूं जैसी महत्वपूर्ण रबी फसलें सबसे अधिक प्रभावित हो रही हैं। ऐसे में इस प्रकार के वैज्ञानिक शोध तंत्र कृषि उत्पादन को स्थिर रखने और किसानोें की आय एवं उनकी उत्पादन की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने शोध टीम को गुणवत्ता-उन्मुख एवं वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रोफेसर धीरेंद्र सिंह से बताया कि यह शोध कार्य उत्तर प्रदेश सहित देश के समस्त गेहूं उत्पादक क्षेत्रों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा तथा जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
मुख्य अन्वेषक डॉ. आलोक कुमार सिंह ने बताया कि शोध का उद्देश्य गेहूं की ऐसी प्रजाति विकसित करना है जो अत्यधिक गर्मी सहन करने की क्षमता रखती हो। यह गेहूं उत्पादक किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है। परियोजना कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह की प्रेरणा एवं उपकार लखनऊ के महानिदेशक डॉ. संजय सिंह के सहयोग से उत्तर प्रदेश के किसानों को बदलते जलवायु परिवर्तन के अनुरूप बेहतर विकल्प के लिए संचालित हो रही है।
Trending Videos
गेहूं उत्पादक क्षेत्रों के लिए होगा लाभकारी
विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डॉ शंभू प्रसाद ने शोध फॉर्म पर बोआई करके परियोजना की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण गेहूं जैसी महत्वपूर्ण रबी फसलें सबसे अधिक प्रभावित हो रही हैं। ऐसे में इस प्रकार के वैज्ञानिक शोध तंत्र कृषि उत्पादन को स्थिर रखने और किसानोें की आय एवं उनकी उत्पादन की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने शोध टीम को गुणवत्ता-उन्मुख एवं वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रोफेसर धीरेंद्र सिंह से बताया कि यह शोध कार्य उत्तर प्रदेश सहित देश के समस्त गेहूं उत्पादक क्षेत्रों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा तथा जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
विज्ञापन
विज्ञापन
मुख्य अन्वेषक डॉ. आलोक कुमार सिंह ने बताया कि शोध का उद्देश्य गेहूं की ऐसी प्रजाति विकसित करना है जो अत्यधिक गर्मी सहन करने की क्षमता रखती हो। यह गेहूं उत्पादक किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है। परियोजना कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह की प्रेरणा एवं उपकार लखनऊ के महानिदेशक डॉ. संजय सिंह के सहयोग से उत्तर प्रदेश के किसानों को बदलते जलवायु परिवर्तन के अनुरूप बेहतर विकल्प के लिए संचालित हो रही है।