Bareilly News: सरहद पार निकाह... तलाक ने छीन ली महिला की पहचान, बेटी की जिंदगी भी दस्तावेजों में उलझी
बरेली में 14 साल से कैंट में रह रही महिला को न भारत की नागरिकता मिली और न ही उसके पास पाकिस्तान का वीजा है। उसने पाकिस्तान के युवक से निकाह किया था। लेकिन एक साल में उसने तलाक दे दिया। इसके बाद महिला वापस भारत आ गई थी।

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बरेली के सुभाषनगर इलाके में महिला 14 साल से गुमनामी के अंधेरे में जिंदगी गुजार रही है। निकाह, तलाक और भारत-पाकिस्तान की सरहद ने उसे ऐसा दर्द दिया है कि वह अपनी पहचान भूल चुकी है। उसकी 13 साल की बेटी के पास भी कोई दस्तावेज नहीं है। उसने एक वकील के सहारे भारतीय नागरिकता लेने के लिए कानूनी कवायद शुरू की है।

अमर उजाला से बात करते हुए शमा (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उसका जन्म भारत में हुआ था। डेढ़ दशक पहले उसका निकाह पाकिस्तान निवासी युवक से हुआ तो वह सरहद पार कर गई। उसे वहां की नागरिकता भी मिल गई, पर एक साल के भीतर ही उसका तलाक हो गया। इसके बाद वह भारत लौटी और बरेली में बस गई।
महिला ने बताया कि बरेली लौटकर उसने बेटी को जन्म दिया जो अब 13 साल की हो चुकी है। वह भारत में जन्मी है, लेकिन किसी भी आधिकारिक दस्तावेज में उसका नाम दर्ज नहीं है। स्कूल में दाखिले से लेकर स्वास्थ्य सेवाओं तक, हर जगह उसे पहचान की कमी महसूस होती है। महिला लोगों के घरों में काम करके बेटी को भी पाल रही है।
नाम की गलती पैदा कर रही अड़चन
महिला के वकील ने बताया कि उसके पाकिस्तान जाने या हिंदुस्तान की स्थायी नागरिकता मिलने में सबसे बड़ी बाधा उसके नाम की है। उसके पाकिस्तानी पासपोर्ट में दर्ज नाम में जो गलती हुई है, उसकी वजह से उसके वीजा के सभी प्रयास असफल हो रहे हैं। कोई वैध भारतीय दस्तावेज न होने से वह न घर की रही, न घाट की। वहीं, महिला का कहना है कि उसे भारत की सरजमीं से प्यार है। अफसोस ये है कि आज तक वह मुकम्मल तरीके से इसका हिस्सा नहीं बन पाई।