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Basti News: खंभे सही हुए न तार दुरुस्त...सब चकाचक होने की रिपोर्ट तैयार

संवाद न्यूज एजेंसी, बस्ती Updated Sun, 21 Dec 2025 12:32 AM IST
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Neither the poles were repaired nor the wires were fixed...a report is ready stating that everything is in perfect condition.
रौतापार मोहल्ले में पेट्रोल पंप के निकट खुले में ट्रांसफार्मर और नीचे की ओर लटक रहे लोहे के पोल
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बस्ती। गर्मी के सीजन में बिजली कटौती से किरकिरी के बाद धरातल पर निगम की कसरत आधी-अधूरी रह गई। अगस्त से लेकर नवंबर तक चली मुहिम में पोल-तार दुरुस्त नहीं हुए। ट्रांसफार्मर भी असुरक्षित छोड़ दिए गए हैं। उपकेंद्रवार मरम्मत कार्य करके सबकुछ चकाचक होने की रिपोर्ट भले ही तैयार कर ली गई है लेकिन, असलियत अलग है। लोहे के खंभे जर्जर अवस्था में ही छोड़ दिए हैं। अधिकांश ट्रांसफार्मर बिना सुरक्षा घेरे के हैं। शहर से लेकर गांव तक तार भी ढीले पड़े हैं।
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इस बार भीषण गर्मी के दौरान बिजली कटौती ने उपभोक्ताओं को खूब रूलाया था। यह समस्या सड़क से सदन तक छाई रही। निगम के प्रति ऊर्जा मंत्री के तेवर तल्ख हो गए थे। अधिकारियों को सख्त हिदायत दी गई थी कि अगस्त से नवंबर तक युद्ध स्तर पर लाइन, ट्रांसफार्मर, खंभों का मरम्मत कार्य करके आपूर्ति व्यवस्था सुचारू कर ली जाए। इस आदेश के बाद जिले भर में यह मुहिम छेड़ी गई। उपकेंद्रवार ठेकेदारों को मरम्मत कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके अलावा पेड़ों की कटाई छटाई के लिए निगम की टीमें लगाई गई।
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जानकार बता रहे हैं कि केवल कुछ जगहों पर बिजली के तारों के आसपास पेड़ों की टहनियों की कटाई करके कोरम पूरा किया गया है। इसके अलावा न तो जरूरत के हिसाब से ट्रांसफार्मरों की क्षमता बढ़ाई गई और न ही जर्जर तार बदले गए। लोहे के जंग खाकर खोखले हो चुके पुराने पोल तक नहीं दुरुस्त किए गए। कई जगहों पर लोहे के पोल लटकते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। वहीं निगम के रिकार्ड में सबकुछ चकाचक हो चुका है।
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18 हजार ट्रांसफार्मरों का होना सुदृढ़ीकरण
जिले में निगम के चार डिवीजन में कुल छोटे-बड़े 18 हजार ट्रांसफार्मर क्रियाशील हैं। इन सभी ट्रांसफार्मरों का सुदृढ़ीकरण होना था। इसमें नए सिरे अर्थिंग कराई जानी थी। प्रोटेक्शन के लिए नए यंत्र लगाने थे। इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से सभी ट्रांसफार्मरों पर जाल लगाकर घेराबंदी की जानी थी। ताकि गर्मी में अधिक भार बढ़ने पर ट्रांसफाॅर्मरों के फुंकने या उसमें यांत्रिक खराबी जैसे दोष न आने पाएं। प्रथम चरण में शहरी क्षेत्र के 495 छोटे-बड़े ट्रांसफाॅर्मरों की घेराबंदी कराया जाना था। अंदरखाने से मिली जानकारी के अनुसार गिनती के भी ट्रांसफार्मरों को छोड़ दें तो अधिकांश की हालत पहले जैसी ही है। जानकार बताते हैं कि एक-दो जगह कुछ हद तक कार्य हुआ तो संबंधित उपकेंद्र से जुड़े कई जगहों पर मरम्मत कार्य का रिपोर्ट तैयार कर दिया गया है। यहीं वजह है शहरी क्षेत्र के अधिकांश ट्रांसफार्मर अभी भी बिना सुरक्षा कवच के दिखाई पड़ रहे हैं। पुराने अर्थिंग पर ही वह संचालित हो रहे हैं। जबकि इस कार्य के भुगतान के लिए उपकेंद्रवार बिल भी प्रेषित हो चुकी है। कुछ जगहों से बजट का डिमांड भी कर दिया गया है।
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जर्जर हो चुके हैं लोहे के पोल, जंग खाकर दिख रहे खोखले
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक लगे लोहे के पुराने पोल जमीन पर मिट्टी के संपर्क में आने से जंग खाकर खोखले हो चुके हैं। कुछ जगहों पर यह पोल लटक भी गए हैं। मरम्मत कार्य के दौरान इन पोलों के क्षतिग्रस्त हिस्से न तो बिल्डिंग कराई गई और न ही इन्हें बदले गए। जबकि लोहे के पोल पर 11 एवं 33 केवी लाइन का भार है। इसके अलावा पीसीसी पोल भी ठीक से ग्राॅउटिंग न होने के कारण कई जगहों पर लटके हुए दिखाई पड़ रहे हैं। निगम कार्यालय के निकट स्थित पेट्रोल पंप के पास लगा ट्रांसफार्मर खुले में छोड़ दिया गया है। यहां जिस दो लोहे के पोल से ट्रांसफार्मर में 11 केवी की लाइन उतारी गई हैं वह किसी वाहन के ठोकर लगने से क्षतिग्रस्त होकर लटक गए हैं। निगम कार्यालय से रोडवेज की तरफ बढ़ने पर 50 कदम की दूरी पर एक लोहे के पोल का निचला जंग खाकर खोखला हो चुका है। इसकी बिल्डिंग तक नहीं हुई है। इसी तरह अन्य जगहों पर भी क्षतिग्रस्त पोल दिखने के बाद मरम्मत कार्य पर सवाल उठ रहे हैं। गांधीनगर क्षेत्र में सबसे ज्यादा लापरवाही देखने को मिल रही है। हनुमानगढ़ी से लेकर कंपनीबाग तक एक दर्जन लोहे के पोल लटके हुए नजर आ रहे हैं। यहां सुरक्षा की दृष्टि से तारों के नीचे जाल भी बनवाया गया है। जबकि यह सबसे भीड़भाड़ वाला क्षेत्र हैं।
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डीटी मीटर से नहीं पकड़े बिजली चोरी
निगम मुख्यालय के निर्देश पर ट्रांसफार्मरों में डीटी मीटर लगाने की मुहिम छेड़ी गई थी। इससे बिजली चोरी पर अंकुश लगाने की कोशिश थी। लगभग दो सौ ट्रांसफार्मरों पर यह मीटर लग चुका है। लेकिन, दो-तीन महीने बीतने के बाद भी यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि किस डीटी मीटर में बिजली की अधिक खपत हो रही है। जानकारों के अनुसार इसकी मॉनीटरिंग ठीक ढंग से नहीं की जा रही है।
कोट
शहर के सात और ग्रामीण अंचल के 32 समेत जिले के सभी 39 उपकेंद्र, उससे जुड़ी लाइन, पोल, ट्रांसफार्मर के मरम्मत का कार्य युद्ध स्तर पर कराया गया है। यदि कहीं खामियां हैं तो इसकी जांच कराई जाएगी। जहां तक डीटी मीटर की बात हैं तो इसकी रीडिंग का मिलान उपभोक्ता मीटर से कराया जाएगा।
-विजय कुमार गुप्ता, मुख्य अभियंता, विद्युत निगम।
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