{"_id":"681cf0825e05b09f1a0e7425","slug":"there-was-a-blackout-throughout-the-night-to-avoid-the-enemy-bijnor-news-c-27-1-bij1007-149419-2025-05-08","type":"story","status":"publish","title_hn":"Bijnor News: दुश्मन से बचने के लिए रात भर रहता था ब्लैक आउट","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Bijnor News: दुश्मन से बचने के लिए रात भर रहता था ब्लैक आउट
संवाद न्यूज एजेंसी, बिजनौर
Updated Thu, 08 May 2025 11:27 PM IST
विज्ञापन


Trending Videos
अफजलगढ़। भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की आशंका से 1971 का दौर देख चुके लोगों की यादें ताजा हो गईं हैं। उस समय का अनुभव सुनाते हुए अशोक शर्मा, जितेंद्र कुमार जैन, आनंदवीर रस्तोगी, अनिल रस्तोगी, चेतराम तोमर आदि बताते हैं कि तब सुरक्षात्मक उपाय अपनाने की क्रिया जीवन का अंग बन गई थी।
युद्ध के नुकसान की भरपाई को सरकार ने प्रत्येक वस्तु पर पोस्टकार्ड से लेकर माचिस तक अतिरिक्त कर लेवी लगाई थी। जो दो दशक तक चलती रही थी। वे बताते हैं कि भारत-पाक युद्ध के दौरान सरकार द्वारा सुझाए गए आपातकालीन सुरक्षात्मक उपायों में बम आदि की किरणों से बचने के लिए जमीन में डेढ़ से दो फीट गहरा गड्ढा खोदना, खुले स्थान होने पर पेड़ो के नीचे, झाड़ियां, मकानों में छिपना शामिल था। इसके अलावा मकानों को सुरक्षित करने के लिए खिड़कियों पर गहरे रंग के पर्दे लगाने की सलाह दी गई थी। रात में शत्रु से बचने के लिए ब्लैक आउट रखा जाता था।
विज्ञापन
Trending Videos
युद्ध के नुकसान की भरपाई को सरकार ने प्रत्येक वस्तु पर पोस्टकार्ड से लेकर माचिस तक अतिरिक्त कर लेवी लगाई थी। जो दो दशक तक चलती रही थी। वे बताते हैं कि भारत-पाक युद्ध के दौरान सरकार द्वारा सुझाए गए आपातकालीन सुरक्षात्मक उपायों में बम आदि की किरणों से बचने के लिए जमीन में डेढ़ से दो फीट गहरा गड्ढा खोदना, खुले स्थान होने पर पेड़ो के नीचे, झाड़ियां, मकानों में छिपना शामिल था। इसके अलावा मकानों को सुरक्षित करने के लिए खिड़कियों पर गहरे रंग के पर्दे लगाने की सलाह दी गई थी। रात में शत्रु से बचने के लिए ब्लैक आउट रखा जाता था।
विज्ञापन
विज्ञापन