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Muharram 2025: यूपी के इस जिले में मुहर्रम के मातमी जुलूस में क्यों फोड़ी जाती है मटकी, बड़ी रोचक है ये कहानी

अमरेंद्र पांडेय, संवाद न्यूज एजेंसी, चंदौली। Published by: प्रगति चंद Updated Mon, 07 Jul 2025 02:19 PM IST
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सार

Muharram 2025: चंदौली जिले के कूढ़े खुर्द गांव के ताजिए में सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं। यहां हिंदू परिवार मुहर्रम के अवसर पर घर में खिचड़ा बनाकर मुस्लिम बंधुओं को खिलाता है। 

Muharram 2025 story of tradition of breaking pot in procession with Hindu Muslim unity in Chandauli
मुहर्रम के जुलूस में गोविंद ने फोड़ी मटकी - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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मुहर्रम पर जिले में 400 से ज्यादा ताजिए निकले, लेकिन उनमें कूढ़े खुर्द गांव का ताजिया सबसे अनूठा और अद्भुत रहा। यहां जुलूस में मुस्लिम भाईयों के साथ हिंदू युवाओं ने मातम किया और करतब दिखाए। गोविंद यादव और विजय यादव ने आग से भरी मटकी को एक दूसरे के सिर पर फोड़ा। वहीं आग के गोले के बीच शमशेर, विजय, बरकत और निजामुद्दीन ने सिने पर पत्थर फोड़कर मातम मनाया। युद्ध के दृश्य में भी सभी धर्मों के लोग एक साथ दिखे।

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नियमताबाद विकासखंड स्थित कूढ़े खुर्द गांव सांप्रदायिक सौहार्द और गंगा-जमुनी तहजीब का बेमिसाल उदाहरण है। इस गांव में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी धर्मों के लोग मिल- जुलकर रहते हैं और एक-दूसरे के त्योहारों, पर्वों व पारिवारिक आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। गांव में विवाह, पर्व और धार्मिक आयोजन सिर्फ किसी एक समुदाय की नहीं, बल्कि पूरे गांव की साझी विरासत बन चुकी है। इसी साझा संस्कृति की झलक रविवार को मोहर्रम के मौके पर देखने को मिली, जब गांव के हिंदू और मुस्लिम युवाओं ने साथ मिलकर मातम में हिस्सा लिया। 
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जुलूस के दौरान विजय यादव और गोविंद यादव ने भरे हुए मटके को एक-दूसरे के सिर पर फोड़कर दर्द का साझा प्रदर्शन किया, तो वहीं बरकत अली, निजामुद्दीन, शमशेर और विजय ने मिलकर गोविंद के गले में पत्थर तोड़ने जैसी रस्म को पूरा किया। यह दृश्य गांव की आपसी एकता और भाईचारे की भावना को दर्शाता है।

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हिंदू परिवार मुस्लिम बंधुओं को कराते हैं खिचड़ा भोज

कूड़े खुर्द गांव आज केवल चंदौली जिले ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए आपसी भाईचारे और सामाजिक समरसता की एक जीवंत मिसाल है। यहां की मिट्टी में मोहब्बत, सद्भाव और साझा विरासत की खुशबू रची-बसी है, जो पूरे देश के लिए प्रेरणा है। जब पूरा देश सांप्रदायिक तनाव की खबरों से जूझ रहा होता है, तब कूड़े खुर्द जैसे गांव उम्मीद और एकता की रौशनी फैलाते हैं
 
कूड़े खुर्द गांव में मोहर्रम के दिन एक और प्राचीन परंपरा निभाई जाती है। जब मुस्लिम परिवार मातम में डूबे होते हैं और उनके घरों में चूल्हा नहीं जलता, तो गांव के हिंदू परिवार खिचड़ा पकाते हैं और पूरे सम्मान के साथ मुस्लिम भाइयों को अपने घर बुलाकर भोजन कराते हैं। इस अनोखी परंपरा में धर्म नहीं, इंसानियत और साझा संस्कृति की सेवा की जाती है। यह परंपरा हर वर्ष निभाई जाती है और नई पीढ़ी भी इसमें पूरे दिल से भागीदारी करती है।

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