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मंच बदला, स्क्रिप्ट पुरानी...वही किसान, खाद-पानी
अरुण चन्द, अमर उजाला, गोरखपुर।
Updated Mon, 28 Nov 2016 12:53 AM IST
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पीएम मोदी को रैली के दौरान भगवान बुद्ध की प्रतिमा भेंट करते स्वामी प्रसाद मौर्य।
- फोटो : Amar Ujala
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पूर्वांचल में किसानों की नब्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उंगलियां बराबर बनी हुई हैं। यही वजह है कि पूर्वांचल की सभी सभाओं में जगह, तारीख और मंच भले बदले लेकिन पीएम की तकरीर के केंद्र में किसान ही रहे।
रविवार को कसया की सभा में पीएम ने नोटबंदी के फायदे गिनाते हुए उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाने की पुरजोर कोशिश की कि उनकी लड़ाई किसानों, गरीबों के हक के लिए ही है। काले धन के खिलाफ की गई कार्रवाई का सीधा लाभ उन्हें ही मिलेगा। जो कालाधन अमीरों के पास था वह अब गरीबों के विकास में खर्च होगा। अब किसान व शोषित वर्ग के बच्चे भी अच्छे स्कूलों में पढ़ सकेंगे। घर में बिजली पहुंचेगी और खेतों में पानी और खाद। करीब 40 मिनट के संबोधन में आधे समय तक मोदी किसानों को ही सहेजते रहे। भारत को कृषि प्रधान देश बताते हुए उन्होंने किसानों को देश का रीढ़ बताया। बड़े नोट पर लगी रोक से सर्वाधिक परेशानी ग्रामीण इलाकों में देख पोस्टर के जरिए नए एप के इस्तेमाल से प्लास्टिक मनी का अभ्यास बढ़ाने का आह्वान भी किया।
इससे पहले गोरखपुर के मानबेला मैदान पर इसी साल 22 जुलाई को हुई सभा में भी उन्होंने पूर्वांचल के विकास में किसानों और प्रदेश के विकास में पूर्वांचल की अहमियत पर जोर दिया था। कुशीनगर से पहले 13 नवंबर को भाजपा की सत्ता परिवर्तन यात्रा के तहत गाजीपुर में हुई सभा में भी किसान, खाद और पानी का ही मुद्दा पीएम के संबोधन के केंद्र में था।
खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए नीमकोटिंग के हथियार का जिक्र करना मोदी रविवार की कुशीनगर की सभा में भी नहीं भूले। गोरखपुर और गाजीपुर की सभाओं में भी उन्होंने खाद की कालाबाजारी पर रोक को केंद्र सरकार की बड़ी उपलब्धि के तौर पर रखा था। साथ ही गन्ना किसानों के बकाया 22 हजार करोड़ की भारी भरकम रकम में से ज्यादातर का भुगतान हो जाने की बात भी उन्होंने पूर्वांचल की बाकी सभाओं की तरह कुशीनगर की सभा में भी दोहराई।
गोरखपुर की सभा में नदियों के पानी को साफ कराने की मुहिम को अंजाम तक पहुंचाने का दावा था तो कुशीनगर में गंडक नहर और नदी के उद्धार के लिए केंद्र के सहयोग को तरजीह न देने का आरोप लगाते हुए यूपी की सपा सरकार को घेरा।

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रविवार को कसया की सभा में पीएम ने नोटबंदी के फायदे गिनाते हुए उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाने की पुरजोर कोशिश की कि उनकी लड़ाई किसानों, गरीबों के हक के लिए ही है। काले धन के खिलाफ की गई कार्रवाई का सीधा लाभ उन्हें ही मिलेगा। जो कालाधन अमीरों के पास था वह अब गरीबों के विकास में खर्च होगा। अब किसान व शोषित वर्ग के बच्चे भी अच्छे स्कूलों में पढ़ सकेंगे। घर में बिजली पहुंचेगी और खेतों में पानी और खाद। करीब 40 मिनट के संबोधन में आधे समय तक मोदी किसानों को ही सहेजते रहे। भारत को कृषि प्रधान देश बताते हुए उन्होंने किसानों को देश का रीढ़ बताया। बड़े नोट पर लगी रोक से सर्वाधिक परेशानी ग्रामीण इलाकों में देख पोस्टर के जरिए नए एप के इस्तेमाल से प्लास्टिक मनी का अभ्यास बढ़ाने का आह्वान भी किया।
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इससे पहले गोरखपुर के मानबेला मैदान पर इसी साल 22 जुलाई को हुई सभा में भी उन्होंने पूर्वांचल के विकास में किसानों और प्रदेश के विकास में पूर्वांचल की अहमियत पर जोर दिया था। कुशीनगर से पहले 13 नवंबर को भाजपा की सत्ता परिवर्तन यात्रा के तहत गाजीपुर में हुई सभा में भी किसान, खाद और पानी का ही मुद्दा पीएम के संबोधन के केंद्र में था।
खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए नीमकोटिंग के हथियार का जिक्र करना मोदी रविवार की कुशीनगर की सभा में भी नहीं भूले। गोरखपुर और गाजीपुर की सभाओं में भी उन्होंने खाद की कालाबाजारी पर रोक को केंद्र सरकार की बड़ी उपलब्धि के तौर पर रखा था। साथ ही गन्ना किसानों के बकाया 22 हजार करोड़ की भारी भरकम रकम में से ज्यादातर का भुगतान हो जाने की बात भी उन्होंने पूर्वांचल की बाकी सभाओं की तरह कुशीनगर की सभा में भी दोहराई।
गोरखपुर की सभा में नदियों के पानी को साफ कराने की मुहिम को अंजाम तक पहुंचाने का दावा था तो कुशीनगर में गंडक नहर और नदी के उद्धार के लिए केंद्र के सहयोग को तरजीह न देने का आरोप लगाते हुए यूपी की सपा सरकार को घेरा।