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Hathras News: चिप्सोना की जगह लेगी आलू की नई प्रजाति कुफरी चिप भारत
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केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) ने आलू की पुरानी प्रजातियों 3797 और चिप्सोना को नई प्रजातियों से बदलने की तैयारी शुरू कर दी है। इनके विकल्प के रूप में कुफरी रतन, कुफरी तेजस, कुफरी चिपभारत-1 और कुफरी चिपभारत-2 प्रजातियों की बुवाई सादाबाद में शुरू कराई गई है।
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि लगातार एक ही प्रजाति की लंबे समय तक बुवाई होने से उनकी गुणवत्ता और पैदावार प्रभावित होने लगती है। इसके चलते केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र शिमला में विकल्प के तौर विकसित की गई नई प्रजातियों की बुवाई के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
आलू अनुसंधान केंद्र शिमला के वैज्ञानिक डॉक्टर आलोक ने बताया कि आलू की चारों प्रजातियां सादाबाद क्षेत्र की जलवायु के अनुकूल है और अधिक उपज देने वाली है। इनकी रोग प्रतिरोधक और भंडारण क्षमता भी अधिक है। इससे फसल की उत्पादकता और कृषि आय में वृद्धि होगी। गुणवत्ता अच्छी होने से बाजार में कीमत भी अधिक मिलेंगी।
चारों प्रजातियों की खास बात
कुफरी रतन- मध्यम अवधि की लगभग 90 दिन में तैयार होने वाली किस्म है और प्रति हेक्टेयर 37 से 39 टन तक उपज देती है।
कुफरी तेजस- गर्मी से सहनशील और जल्दी पकने वाली किस्म है, जो लगभग 90 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 40 टन तक हो सकती है। सिंचाई भी कम होती है।
कुफरी चिपभारत-1 -प्रोसेसिंग, विशेषकर चिप्स बनाने के लिए लगभग 100 दिनों में परिपक्व होती है। इसकी पैदावार भी अधिक होती है।
कुफरी चिपभारत-2 भी जल्दी पकने वाली प्रजाति है, जो 90 दिनों में तैयार हो जाती है। यह प्रति हेक्टेयर 35 से 37 टन तक उपज देती है।
सात किसानों को दिए बीज
सादाबाद के छह किसानों और सहपऊ के एक किसान को इन प्रजातियों के बीज उपलब्ध कराए गए हैं। प्रत्येक किसान को 10-10 कट्टे बीज दिया गया है। किसान इससे बीज तैयार कर अगले साल अन्य किसानों को देंगे।
इस बार नई किस्म कुफरी चिपभारत-1 की बुवाई की है। यह चिप्स बनाने के लिए उपयुक्त है और कंपनियों में भी मांग है।रोगों के प्रति सहनशील बताई गई हैं।लाटरी सिस्टम के आधार पर कुफरी तेजस, कुफरी रत्न,कुफरी चिप्सभारत 1 प्रजाति का बीज मिला है, 25 बीघा में बुवाई चल रही है।
गंभीर सिंह, किसान, ढकरई।
गर्मी के प्रति सहनशील होने के कारण कुफरी तेजस की बुवाई की है। कभी-कभी अचानक तापमान बढ़ने से पैदावार पर असर पड़ता है। ऐसी स्थिति में यह प्रजाति अधिक उपयोगी बताई जा रही है। इसमें सिंचाई की आवश्यकता भी कम होती है। कुफरी तेजस पांच बीघा में चिप्स भारत 2 की छह बीघा में बुवाई की है।
चंद्रेश चौधरी, बिसावर।
वैज्ञानिकों की उपलब्धि आलू क्षेत्र को नई दिशा देगी।अब तक आलू की 80 किस्म विकसित हो चुकी हैं। कुफरी चिपभारत-एक व कुफरी चिपभारत-दो ब्रीडर के तौर पर बीज सादाबाद क्षेत्र के किसानों को दिया गया है आलू के क्षेत्र में ये किस्में किसानों को लाभान्वित करेंगी
डॉ. ब्रजेश सिंह, निदेशक, सीपीआरआई।
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आलू अनुसंधान केंद्र शिमला के वैज्ञानिक डॉक्टर आलोक ने बताया कि आलू की चारों प्रजातियां सादाबाद क्षेत्र की जलवायु के अनुकूल है और अधिक उपज देने वाली है। इनकी रोग प्रतिरोधक और भंडारण क्षमता भी अधिक है। इससे फसल की उत्पादकता और कृषि आय में वृद्धि होगी। गुणवत्ता अच्छी होने से बाजार में कीमत भी अधिक मिलेंगी।
चारों प्रजातियों की खास बात
कुफरी रतन- मध्यम अवधि की लगभग 90 दिन में तैयार होने वाली किस्म है और प्रति हेक्टेयर 37 से 39 टन तक उपज देती है।
कुफरी तेजस- गर्मी से सहनशील और जल्दी पकने वाली किस्म है, जो लगभग 90 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 40 टन तक हो सकती है। सिंचाई भी कम होती है।
कुफरी चिपभारत-1 -प्रोसेसिंग, विशेषकर चिप्स बनाने के लिए लगभग 100 दिनों में परिपक्व होती है। इसकी पैदावार भी अधिक होती है।
कुफरी चिपभारत-2 भी जल्दी पकने वाली प्रजाति है, जो 90 दिनों में तैयार हो जाती है। यह प्रति हेक्टेयर 35 से 37 टन तक उपज देती है।
सात किसानों को दिए बीज
सादाबाद के छह किसानों और सहपऊ के एक किसान को इन प्रजातियों के बीज उपलब्ध कराए गए हैं। प्रत्येक किसान को 10-10 कट्टे बीज दिया गया है। किसान इससे बीज तैयार कर अगले साल अन्य किसानों को देंगे।
इस बार नई किस्म कुफरी चिपभारत-1 की बुवाई की है। यह चिप्स बनाने के लिए उपयुक्त है और कंपनियों में भी मांग है।रोगों के प्रति सहनशील बताई गई हैं।लाटरी सिस्टम के आधार पर कुफरी तेजस, कुफरी रत्न,कुफरी चिप्सभारत 1 प्रजाति का बीज मिला है, 25 बीघा में बुवाई चल रही है।
गंभीर सिंह, किसान, ढकरई।
गर्मी के प्रति सहनशील होने के कारण कुफरी तेजस की बुवाई की है। कभी-कभी अचानक तापमान बढ़ने से पैदावार पर असर पड़ता है। ऐसी स्थिति में यह प्रजाति अधिक उपयोगी बताई जा रही है। इसमें सिंचाई की आवश्यकता भी कम होती है। कुफरी तेजस पांच बीघा में चिप्स भारत 2 की छह बीघा में बुवाई की है।
चंद्रेश चौधरी, बिसावर।
वैज्ञानिकों की उपलब्धि आलू क्षेत्र को नई दिशा देगी।अब तक आलू की 80 किस्म विकसित हो चुकी हैं। कुफरी चिपभारत-एक व कुफरी चिपभारत-दो ब्रीडर के तौर पर बीज सादाबाद क्षेत्र के किसानों को दिया गया है आलू के क्षेत्र में ये किस्में किसानों को लाभान्वित करेंगी
डॉ. ब्रजेश सिंह, निदेशक, सीपीआरआई।