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जीएसटी चोरी के खेल का भंडाफोड़: नामी स्टील कंपनियों ने कच्चे बिल के सहारे लगाई 100 करोड़ की चपत
संवाद न्यूज एजेंसी, झांसी
Published by: दीपक महाजन
Updated Mon, 03 Nov 2025 10:01 AM IST
सार
झांसी एवं दतिया की आधा दर्जन स्टील कंपनियों ने कच्चे बिल के सहारे करीब 100 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी कर डाली। पिछले करीब तीन साल से यह खेल चल रहा था।
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जीएसटी चोरी का मामला
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
झांसी एवं दतिया की आधा दर्जन स्टील कंपनियों ने कच्चे बिल के सहारे करीब 100 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी कर डाली। पिछले करीब तीन साल से यह खेल चल रहा था। इस खुलासे के बाद अब जीएसटी के निशाने पर झांसी में स्टील का काम करने वाली डेढ़ दर्जन से अधिक फर्म आ गई हैं। इनकी भी बैलेंस शीट खंगाली जा रही है, इनमें कई नामी स्टील कंपनियों का काम करने वाली फर्म शामिल हैं। नए सिरे से जांच पड़ताल करने से कारोबारियों में खलबली मची है।
वस्तु एवं सेवाकर महानिदेशालय (डीजीजीआई) एवं राज्य कर विभाग की एसआईबी की छानबीन में झांसी, दतिया में कच्चे बिल के नाम पर जीएसटी चोरी के खेल का भंडाफोड़ हुआ था। झांसी में काम बंद कर दतिया में काम करने वाली एजेंसी ने झांसी की कंपनी के नाम पर कच्चे बिल काटकर करोड़ों रुपये की जीएसटी चोरी की। छानबीन में मालूम चला कि आईटीसी क्लेम करने के बाद कच्चे बिल फाड़कर फेंक दिए जाते थे। यह खेल झांसी, दतिया, सागर समेत झांसी के आसपास मध्य प्रदेश के कई जिलों में चल रहा था।
सितंबर 2019 से जून 2023 के बीच कामधेनु और के-2 ब्रांड सरिया समेत मीनाक्षी मेटल इंडस्ट्रीज, मीना काशी मेटल इंडस्ट्रीज एलएलपी (झांसी व सागर यूनिट), मीना काशी री-रोलर्स प्राइवेट लिमिटेड (दतिया) को यह गड़बड़ी करते पकड़ा गया। जीएसटी अफसरों का कहना है कि सभी फर्मों से मिलाकर करीब सौ करोड़ रुपये की टैक्स चोरी उजागर हुई। अब यहां काम करने वाली जगदंबा स्टील, जय दुर्गा स्टील्स, समैया स्टील्स, वर्धमान स्टील्स, नेहा स्टील्स, ओएस स्टील्स, आर्यन स्टील्स समेत डेढ़ दर्जन स्टील कंपनियां भी जांच के दायरे में आ गईं। डिप्टी कमिश्नर पुनीत अग्निहोत्री का कहना है कि स्टील कंपनियों की ओर से की जा रही गड़बड़ी सेंट्रल टीम ने पकड़ी। राज्य इकाई भी छानबीन कर रही है।
बोगस फर्मों की भी शुरू हुई तलाश
जीएसटी चोरी के लिए फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद अब नए सिरे से बोनस फर्मों की फिर से तलाश शुरू हुई है। वस्तु एवं सेवा कर विभाग के झांसी मंडल में 20 हजार से अधिक फर्म पंजीकृत हैं। कच्चे बिल से चोरी करने में बोगस फर्म का अधिक इस्तेमाल होता है। ऐसे में सभी फर्मों के लेनदेन समेत जीएसटी रिटर्न की समीक्षा हो रही है। मल्टी स्टेप और डेटा आधारित प्रक्रिया के सहारे बोगस फर्म तलाशी जा रही हैं। डेटा विश्लेषण के जरिये एक पैन नंबर पर कई जीएसटी पंजीकरण का पता लगाया जा रहा है। अधूरे एवं गलत पते पर पंजीकरण के साथ अचानक से बड़ी मात्रा में इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने वाली फर्म का पता लगाया जा रहा है। जीएसटी अफसरों का कहना है कि पहले भी बोगस फर्म की पड़ताल की गई थी।
वस्तु एवं सेवाकर महानिदेशालय (डीजीजीआई) एवं राज्य कर विभाग की एसआईबी की छानबीन में झांसी, दतिया में कच्चे बिल के नाम पर जीएसटी चोरी के खेल का भंडाफोड़ हुआ था। झांसी में काम बंद कर दतिया में काम करने वाली एजेंसी ने झांसी की कंपनी के नाम पर कच्चे बिल काटकर करोड़ों रुपये की जीएसटी चोरी की। छानबीन में मालूम चला कि आईटीसी क्लेम करने के बाद कच्चे बिल फाड़कर फेंक दिए जाते थे। यह खेल झांसी, दतिया, सागर समेत झांसी के आसपास मध्य प्रदेश के कई जिलों में चल रहा था।
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सितंबर 2019 से जून 2023 के बीच कामधेनु और के-2 ब्रांड सरिया समेत मीनाक्षी मेटल इंडस्ट्रीज, मीना काशी मेटल इंडस्ट्रीज एलएलपी (झांसी व सागर यूनिट), मीना काशी री-रोलर्स प्राइवेट लिमिटेड (दतिया) को यह गड़बड़ी करते पकड़ा गया। जीएसटी अफसरों का कहना है कि सभी फर्मों से मिलाकर करीब सौ करोड़ रुपये की टैक्स चोरी उजागर हुई। अब यहां काम करने वाली जगदंबा स्टील, जय दुर्गा स्टील्स, समैया स्टील्स, वर्धमान स्टील्स, नेहा स्टील्स, ओएस स्टील्स, आर्यन स्टील्स समेत डेढ़ दर्जन स्टील कंपनियां भी जांच के दायरे में आ गईं। डिप्टी कमिश्नर पुनीत अग्निहोत्री का कहना है कि स्टील कंपनियों की ओर से की जा रही गड़बड़ी सेंट्रल टीम ने पकड़ी। राज्य इकाई भी छानबीन कर रही है।
बोगस फर्मों की भी शुरू हुई तलाश
जीएसटी चोरी के लिए फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद अब नए सिरे से बोनस फर्मों की फिर से तलाश शुरू हुई है। वस्तु एवं सेवा कर विभाग के झांसी मंडल में 20 हजार से अधिक फर्म पंजीकृत हैं। कच्चे बिल से चोरी करने में बोगस फर्म का अधिक इस्तेमाल होता है। ऐसे में सभी फर्मों के लेनदेन समेत जीएसटी रिटर्न की समीक्षा हो रही है। मल्टी स्टेप और डेटा आधारित प्रक्रिया के सहारे बोगस फर्म तलाशी जा रही हैं। डेटा विश्लेषण के जरिये एक पैन नंबर पर कई जीएसटी पंजीकरण का पता लगाया जा रहा है। अधूरे एवं गलत पते पर पंजीकरण के साथ अचानक से बड़ी मात्रा में इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने वाली फर्म का पता लगाया जा रहा है। जीएसटी अफसरों का कहना है कि पहले भी बोगस फर्म की पड़ताल की गई थी।