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बुद्धस्टि कान्क्लेव-2021....
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विश्व शांति व सौहार्द में प्रासंगिक हैं बुद्ध के विचार
कसया ( कुशीनगर)। कुशीनगर मुख्य महापरिनिर्वाण मंदिर परिसर में उत्तर प्रदेश पर्यटन व संस्कृति व अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान की संयुक्त अगुवाई में आयोजित तीन दिवसीय बुद्धिस्ट कान्क्लेव-2021 में बृहस्पतिवार को दूसरे दिन प्रथम सत्र में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
प्रथम सत्र में वैश्विक शांति और सौहार्द्र स्थापित करने में बौद्ध धर्म की प्रासंगिकता विषय पर संगोष्ठी हुई। दूसरे सत्र में विश्व शांति में बौद्ध धर्म व भारत का योग विषय पर समूह चर्चा हुई।
इस संगोष्ठी का शुभारंभ बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। बृहस्पतिवार को नई दिल्ली से आए भदंत धम्मानंद विवेचन ने कहा कि भगवान बुद्ध का विचार वर्तमान में भी उतना ही प्रासंगिक हैं, जो हजारों वर्ष पहले था। विश्व के सभी पंथ व धर्म के अनुयायी उनके सिद्धांतों को जीवन में उतारें, तो वैश्विक शांति की स्थापना होगी। यही बौद्ध धर्म करुणा, शांति व मैत्री का संदेश देता है। आज इसकी महती जरूरत है।
कान्क्लेव में हिमालय बौद्ध संस्कृति संघ नई दिल्ली के लामा छोसफेल जोतपा, सारनाथ से आए भदंत डॉ. के. सिरीसुमेध तेरो ने भी बुद्ध के जीवन व उनके उपदेशों को विस्तार से बौद्ध भिक्षुओं के बीच रखा। भोजनावकाश के बाद कान्क्लेव का दूसरा सत्र शुरू हुआ। इसमें विश्व शांति में बौद्ध धर्म व भारत का योग विषय पर समूह चर्चा हुई। इसमें बहाई मत, नई दिल्ली की नीलाक्षी राजखोवा ने कहा कि पूरी पृथ्वी ही एक देश है और मानवता इसके नागरिक हैं। कहा कि बहाई मत के अनुसार भगवान बुद्ध ही नहीं, बल्कि सभी अवतार एक ही हैं। कहा कि सभी मत करुणा और मानवता का संदेश देने वाले हैं।
राष्ट्रीय सिख संगत लखनऊ के सरदार मंजीत सिंह ने कहा कि भगवान बुद्ध के संदेश का पालन करने से मानव जीवन का विकास व उत्थान संभव है। आर्य प्रतिनिधि सभा लखनऊ की कांति कुमार, डॉ. हरिप्रसाद दीक्षित, प्रो. राजेश चंद्रा ने भी संबोधित किया। अध्यक्षता बीएचयू के डॉ. हरिशंकर शुक्ल व संचालन गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ. दीपक त्यागी ने किया। निदेशक डॉ. राकेश सिंह ने अतिथियों को सम्मानित करते हुए आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर पर डॉ. गौरव तिवारी, संजीव कुमार उपाध्याय, अमित कुमार द्विवेदी, धनंजय राय, अरुणेश कुमार मिश्र, अमरेंद्र त्रिपाठी तथा बौद्ध भिक्षु मौजूद थे।
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कसया ( कुशीनगर)। कुशीनगर मुख्य महापरिनिर्वाण मंदिर परिसर में उत्तर प्रदेश पर्यटन व संस्कृति व अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान की संयुक्त अगुवाई में आयोजित तीन दिवसीय बुद्धिस्ट कान्क्लेव-2021 में बृहस्पतिवार को दूसरे दिन प्रथम सत्र में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
प्रथम सत्र में वैश्विक शांति और सौहार्द्र स्थापित करने में बौद्ध धर्म की प्रासंगिकता विषय पर संगोष्ठी हुई। दूसरे सत्र में विश्व शांति में बौद्ध धर्म व भारत का योग विषय पर समूह चर्चा हुई।
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इस संगोष्ठी का शुभारंभ बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। बृहस्पतिवार को नई दिल्ली से आए भदंत धम्मानंद विवेचन ने कहा कि भगवान बुद्ध का विचार वर्तमान में भी उतना ही प्रासंगिक हैं, जो हजारों वर्ष पहले था। विश्व के सभी पंथ व धर्म के अनुयायी उनके सिद्धांतों को जीवन में उतारें, तो वैश्विक शांति की स्थापना होगी। यही बौद्ध धर्म करुणा, शांति व मैत्री का संदेश देता है। आज इसकी महती जरूरत है।
कान्क्लेव में हिमालय बौद्ध संस्कृति संघ नई दिल्ली के लामा छोसफेल जोतपा, सारनाथ से आए भदंत डॉ. के. सिरीसुमेध तेरो ने भी बुद्ध के जीवन व उनके उपदेशों को विस्तार से बौद्ध भिक्षुओं के बीच रखा। भोजनावकाश के बाद कान्क्लेव का दूसरा सत्र शुरू हुआ। इसमें विश्व शांति में बौद्ध धर्म व भारत का योग विषय पर समूह चर्चा हुई। इसमें बहाई मत, नई दिल्ली की नीलाक्षी राजखोवा ने कहा कि पूरी पृथ्वी ही एक देश है और मानवता इसके नागरिक हैं। कहा कि बहाई मत के अनुसार भगवान बुद्ध ही नहीं, बल्कि सभी अवतार एक ही हैं। कहा कि सभी मत करुणा और मानवता का संदेश देने वाले हैं।
राष्ट्रीय सिख संगत लखनऊ के सरदार मंजीत सिंह ने कहा कि भगवान बुद्ध के संदेश का पालन करने से मानव जीवन का विकास व उत्थान संभव है। आर्य प्रतिनिधि सभा लखनऊ की कांति कुमार, डॉ. हरिप्रसाद दीक्षित, प्रो. राजेश चंद्रा ने भी संबोधित किया। अध्यक्षता बीएचयू के डॉ. हरिशंकर शुक्ल व संचालन गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ. दीपक त्यागी ने किया। निदेशक डॉ. राकेश सिंह ने अतिथियों को सम्मानित करते हुए आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर पर डॉ. गौरव तिवारी, संजीव कुमार उपाध्याय, अमित कुमार द्विवेदी, धनंजय राय, अरुणेश कुमार मिश्र, अमरेंद्र त्रिपाठी तथा बौद्ध भिक्षु मौजूद थे।