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सांसद आदर्श ग्राम योजना का हालः टंकी से आता है गंदा पानी, गांव में हर ओर पसरी गंदगी

Bareily Bureau बरेली ब्यूरो
Updated Wed, 14 Sep 2022 01:21 AM IST
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सार

खीरी संसदीय सीट से पहली बार सांसद बने अजय मिश्र टेनी ने 2014-15 में अपने ही ब्लॉक के रायपुर गांव को गोद लिया था। रास्ते भी खराब हैं, लेकिन साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं।13 एलकेच 18अमर सिंह बताते हैं कि आदर्श गांव में पंचायत भवन का रंग रोगन तो कर दिया गया है, लेकिन उसके सामने ही भीषण गंदगी पसरी है। 13 एलकेएच 20गांव के ही छेद्दू बताते हैं कि सिसवारी गांव तक जाने वाली पीडब्ल्यूडी रोड का चौड़ीकरण का काम चल रहा है, किनारे की पट्टियों को चौड़ा किया गया।

Condition of MP Adarsh Gram Yojana: Dirty water comes from the tank, dirt spread everywhere in the village
आदर्श गांव रायपुर के प्राथमिक स्कूल में भरे पानी में उगी जलकुंभी।

विस्तार
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सात साल पहले 2014-15 में शुरू हुई थी सांसद आदर्श गांव योजना
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सांसद अजय मिश्र ने अपने ही ब्लॉक के गांव रायपुर को लिया था गोद
लखीमपुर खीरी/ तिकुनियां। पीएम मोदी ने 2014-15 में सांसद आदर्श ग्राम योजना शुरू की थी। मकसद था कि संसदीय क्षेत्र का कम से कम एक गांव तो ऐसा हो जो विकास की गवाही दे, बावजूद इसके सात साल में हुआ कुछ नहीं। आज भी सांसद के गोद लिए गांवों में लोग गंदा पानी पीने के मजबूर हैं तो वहीं गांव में फैली गंदगी से बीमारियों की भरमार है।
खीरी संसदीय सीट से पहली बार सांसद बने अजय मिश्र टेनी ने 2014-15 में अपने ही ब्लॉक के रायपुर गांव को गोद लिया था। लक्ष्य था आदर्श ग्राम योजना बनाने का, लेकिन दूसरे कार्यकाल में जीतने के बाद वह केंद्र में गृह राज्यमंत्री बन गए हैं, लेकिन उस गांव का सूरत-ए-हाल नहीं बदला है। आलम यह है कि गांव का सौंदर्यीकरण की कौन कहे, पुरानी समस्याएं ही जस की तस हैं। गांव में न तो साफ-सफाई है और न ही बिजली, पानी व सड़क की उचित व्यवस्था।
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गांव में प्राइमरी शिक्षा के बाद आगे की पढ़ाई के लिए इंटर कॉलेज तक नहीं है। आठवीं तक सरकारी स्कूल तो है, लेकिन वह तालाब में तब्दील है, जिससे मैदान में काई और जलकुंभी लगी रहती है। हर तरफ फैली गंदगी और टूटी फूटी नालियां गांव की हालत खुद ही बता रही हैं तो वहीं गांव में पानी की टंकी तो बन गई, लेकिन उसमें गंदा पानी आता है। कई बार पीने के पानी की अधिकारियों से शिकायत भी कई, लेकिन बदला कुछ भी नहीं। जिन सड़कों के चौड़ीकरण की बात की गई, उन रास्तों पर मिट्टी डालकर इतिश्री कर ली गई है। हैरानी की बात है कि जिस गांव में सात साल बाद भी विकास की कोई प्रगति नहीं दिखती, उस गांव को तत्कालीन नोडल अधिकारी उपायुक्त स्वत: रोजगार ने किन मानकों पर गांव को कागजों में संतृप्त दिखा दिया, यह समझ से परे है। उधर, ग्राम प्रधान रामविलास का दावा है कि पानी ठीक आ रहा है। पंचायत में विकास कार्य बारिश के बाद कराए जाएंगे। स्कूल की बाउंड्री बनवाई जाएगी।
 
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