UP News: प्रधानमंत्री मोदी आज करेंगे वर्चुअल संवाद, लखीमपुर के थारू समुदाय की जगी उम्मीदें
लखीमपुर खीरी जिले के दो ब्लाकों में थारू जनजाति के लोग बसे हैं। इनमें 24 गांव पलिया ब्लॉक में और दो गांव निघासन ब्लॉक में हैं। इन ग्राम पंचायतों में कुल 41 मजरे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को इस समुदाय से वर्चुअल संवाद करेंगे।

विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को जनजातियों से वर्चुअल संवाद करेंगे। इससे लखीमपुर खीरी के थारू जनजाति के लोगों को विकास की उम्मीद जगी है। पीएम के संवाद से जनपद के 41 गांवों में निवास करने वाली 60 हजार से ज्यादा थारू आबादी को उम्मीदों के पंख लग गए हैं। पलिया के चंदनचौकी में इसको लेकर कार्यक्रम भी आयोजित किया जा रहा है। खीरी के थारू समुदाय से भी पीएम संवाद कर सकते हैं, जिसको लेकर तैयारियां पूरी हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनजातियों के साथ दोपहर तीन बजे से 4.30 बजे तक वर्चुअल संवाद करेंगे। यूं तो इस संवाद में सिर्फ प्रधानमंत्री को बोलना और सभी को सुनना है, लेकिन लिंक में एक विकल्प ऐसा भी है, जिससे प्रधानमंत्री किसी से बात भी कर सकते हैं। प्रधानमंत्री मुख्य रूप से आदिवासियों में होने वाली बीमारी सिकल सेल एनीमिया के बारे में बात करेंगे।
ये भी पढ़ें- UCC: मौलाना तौकीर रजा का बड़ा बयान, कहा- कोई भी कानून बना लें, मुसलमान निकाह की जगह फेरे तो नहीं लेगा
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी भी चंदन चौकी में थारुओं के बीच मौजूद रहेंगे। टेनी चंदनचौकी में सीएचसी का उद्घाटन और आठ प्रसव केंद्रों का वर्चुअल लोकार्पण भी करेंगे। इसके साथ ही बजाही गांव में इंटरलॉकिंग रोड और सोलर स्ट्रीट लाइट का लोकार्पण करेंगे। चंदनचौकी में थारूओं को बीमारी के प्रति जागरूक करेंगे।
ओडीओपी में शामिल हैं थारू उत्पाद
लखीमपुर खीरी जिले के दो ब्लाकों में थारू जनजाति के लोग बसे हैं। इनमें 24 गांव पलिया ब्लॉक में और दो गांव निघासन ब्लॉक में हैं। इन ग्राम पंचायतों में कुल 41 मजरे हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, जिले में थारू आबादी करीब 53716 थी, जो अब बढ़कर अब 60000 से ज्यादा है। इन सभी गांवों में एकीकृत जनजाति विकास योजना के तहत विकास योजनाएं चलाकर थारू समाज को समाज की मुख्य धारा में लाने की कोशिश की जा रही है।
ये भी पढ़ें- Sawan 2023: 19 वर्ष बाद सावन में आठ सोमवार, भगवान शिव और माता पार्वती की बरसेगी कृपा; बन रहे खास संयोग
थारू जनजाति को शिक्षित करने पर बल
शैक्षिक विकास के लिए थारू क्षेत्र के सोनहा चंदनचौकी में एकलव्य मॉडल स्कूल संचालित है। कक्षा छह से 12 तक के इस विद्यालय से शिक्षित बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में अच्छी सफलता हासिल कर रहे हैं। इसके अलावा तीन आश्रम पद्धति विद्यालय चंदनचौकी, बेला परसुआ और छाउछ में चल रहा है। थारू बालिकाओं के लिए पलिया में एक छात्रावास तैयार है, जिसमें 100 छात्राओं के रहने की व्यवस्था है। बालकों के लिए एक छात्रावास निघासन में निर्माणाधीन है। पुरैना में एक पुस्तकालय की स्थापना की गई है।

ओडीओपी से थारूओं का हुआ आर्थिक विकास
थारू हस्तशिल्प को एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) में चयनित किया गया है। इसके तहत थारू महिलाओं के स्वयं सहायता समूह गठित कर थारू हस्तशिल्प उत्पादन किया जा रहा है। बांस, जूट और घास फूस और कपड़ों से बने यह उत्पाद देश में ही नहीं विदेशों में भी अपनी धाक जमा रहे हैं। स्थानीय स्तर पर लगने वाली प्रदर्शनियों के अलावा महानगरों में थारू महिलाएं अपने स्टॉल लगाकर अपने उत्पाद बेच रही हैं। इसका सालाना टर्नओवर एक करोड़ से अधिक है। इसमें करीब 5000 महिलाओं को रोजगार मिला है।ये भी पढ़ें- बरेली में किशोरी की मौत: पिता बोला- मेरे भाई और भाभी ने बेटी को पिलाया जहर, फिर फंदे से लटकाया
बदलेगी गांवों की बदलेगी तस्वीर
जिले की सभी 26 थारू बहुल ग्राम पंचायतों को प्रधानमंत्री आदि आदर्श गांव योजना में शामिल किया गया है। इन ग्राम पंचायतों को वर्ष 2025 तक सभी योजनाओं से संतृप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत इन पंचायतों में सर्वे कराया जा रहा है कि इन गांवों में किन योजनाओं का लाभ नहीं मिला है, जो योजनाएं इन गांवों में नहीं पहुंची हैं। उन योजनाओं को संबंधित विभाग के जरिए इन गांवों में लाकर थारूओं को लाभान्वित किया जाएगा।जिले में थारू जनजााति की स्थिति
- थारू ग्राम पंचायत - 26
- कुल मजरा गांव - 41
- थारू आबादी- करीब 60000
- एकलव्य मॉडल स्कूल - 01
- आश्रम पद्धति विद्यालय - 03
- पुस्तकालय - 01
- छात्रावास - 01
- निर्माणाधीन छात्रावास - 01
परियोजना अधिकारी यूके सिंह ने बताया कि एकीकृत जनजाति विकास परियोजना के तहत थारू जनजाति के लोगों का आर्थिक और सामाजिक विकास कर उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। विभिन्न विकास योजनाओं से थारू समाज तेजी से उन्नति कर रहा है।
क्या है सिकल सेल एनीमिया
पल्स पोलियो और कोरोना महामारी के बाद अब भारत सरकार सिकल सेल एनीमिया बीमारी को अभियान के रूप में ले रही है। सरकार का लक्ष्य है कि साल 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को भारत से खत्म कर दिया जाए। अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहडोल (मध्य प्रदेश) से बीती 27 जून को कर चुके हैं।
बता दें सिकल सेल एनीमिया एक प्रकार की आनुवांशिक बीमारी है। सिकल सेल में रोगी की लाल रक्त कोशिकाएं हंसिए के आकार में परिवर्तित हो जाती हैं। हंसिए के आकार के ये कण शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंचकर रुकावट पैदा करते हैं। इस जन्मजात रोग से ग्रसित बच्चा शिशु अवस्था से बुखार, सर्दी, पेट दर्द, जोड़ों एवं घुटनों में दर्द, सूजन और कभी रक्त की कमी से परेशान रहता है।