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प्रभात गुप्ता हत्याकांड: मृतक के भाई बोले- हाईकोर्ट में हार गया, अब सुप्रीम कोर्ट में करूंगा अपील

संवाद न्यूज एजेंसी, लखीमपुर खीरी Published by: बरेली ब्यूरो Updated Sat, 20 May 2023 01:12 PM IST
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सार

प्रभात गुप्ता हत्याकांड में गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को बरी करने के फैसले को बरकरार रखने पर वादी और मृतक प्रभात के भाई राजीव गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि कई सबूत हैं, जिन्हें अदालत ने नहीं माना।

prabhat gupta brothers says now I will appeal in the Supreme Court
प्रभात गुप्ता का फाइल फोटो, उनके भाई राजीव गुप्ता - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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लखीमपुर खीरी के 23 साल पुराने प्रभात हत्याकांड में हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच का फैसला आने के बाद बरी होने वाले पक्ष में खुशी है, वहीं पीड़ित परिवार के घाव फिर हरे हो गए हैं। मामले में वादी और केस की पैरवी कर रहे प्रभात के भाई राजीव गुप्ता ने अदालत के फैसले के बाद कहा कि वह अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

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प्रभात गुप्ता हत्याकांड में गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को बरी करने के फैसले को बरकरार रखने के हाईकोर्ट के निर्णय पर वादी और मृतक प्रभात के भाई राजीव गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि कई सबूत है, जिन्हें अदालत ने नहीं माना। इसे ही आधार बनाकर वह सुप्रीम कोर्ट में लड़ेंगे।
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राजीव गुप्ता ने बताया कि हत्याकांड में तीन गवाहों ने गवाही दी। पहले गवाह संजीव गुप्ता ने कहा कि पहली टेनी ने और दूसरी गोली सुभाष ने मारी। दूसरे गवाह जगदीश ने भी यही बात दोहराई। जबकि, तीसरे गवाह विनोद गुप्ता ने कहा कि दोनों गोली सुभाष ने मारी और इस दौरान टेनी, शशीभूषण, राकेश डालू साथ में थे।

राजीव गुप्ता ने बयान जारी कर कहा कि तत्कालीन जिला जज आर पी सिंह ने अपने आदेश में पेज नंबर 34 पर लिखा है कि लखीमपुर निवासी विनोद गुप्ता को टेनी के भाई विजय मिश्रा राजू ने धमकाया था। इसलिए विनोद ने गवाही बदली, लेकिन चारों लोग मौका-ए-वारदात पर मौजूद थे। ऐसे बहुत से सबूत हैं, जिन्हें नहीं माना गया।

 

जुलाई, वर्ष 2000 में दिनदहाड़े हुई थी हत्या

23 साल पहले सात जुलाई 2000 को सपा नेता रहे प्रभात गुप्ता की हत्या उस वक्त कर दी गई थी, जब वह घर से दुकान जा रहे थे। मृतक के पिता की तरफ से दर्ज कराई एफआईआर में बताया गया कि बीच रास्ते में ही अजय मिश्र टेनी ने अपने साथी शशि भूषण, राकेश डालू और सुभाष मामा के साथ रोक लिया था। इसके बाद पहली गोली अजय मिश्र टेनी ने चलाई जो कि सीधे उनकी कनपटी पर लगी। 

दूसरी गोली सुभाष मामा ने प्रभात के सीने पर मारी। प्रभात गुप्ता की मौके पर ही मौत हो गई थी। दर्ज एफआईआर में बताया गया कि पंचायत चुनाव की रंजिश की वजह से हत्या की गई थी। आरोपी असलहे लहराते हुए चिल्लाकर कह रहे थे कि कोई भी पास में आए तो उसे भी गोली मार दो। वारदात को दो नामजद गवाहों समेत कई अन्य ने भी देखा था।

कब, क्या हुआ

  • 7 जुलाई 2000 को प्रभात गुप्ता की गोली मारकर हत्या।
  • 8 जुलाई 2000 को तिकुनिया थाने में अजय मिश्र टेनी समेत चार नामजद आरोपियों पर मुकदमा
  • 13 दिसंबर 2000 को हत्याकांड में पुलिस ने चार्जशीट लगाई, जिसके बाद आरोपियों ने हाइकोर्ट से स्टे ले लिया।
  • 5 जनवरी 2001 को हाईकोर्ट ने टेनी का अरेस्ट स्टे खारिज कर दिया।
  • 10 मई 2001 को हाइकोर्ट ने अजय मिश्र की गिरफ्तारी का आदेश जारी किया
  • 25 जून 2001 को अजय मिश्र ने एडीजे कोर्ट में सरेंडर किया, लेकिन बीमारी के आधार पर उन्हें अस्पताल भेजा गया।
  • 26 जून 2001 को अजय मिश्र को सेशन कोर्ट से जमानत मिल गई।
  • 29 अप्रैल 2004 को अजय मिश्र समेत चारों आरोपियों को निचली अदालत ने बरी कर दिया।
  • 2004 से 2018 तक लखनऊ हाईकोर्ट में सुनवाई चली।
  • मार्च 2018 में लखनऊ हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
  • 2 अप्रैल 2022 को अंतिम तिथि की सुनवाई 16 मई 2022 लगी
  • 19 मई 2023 को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने चारों आरोपियों को बरी कर दिया।

तीन बार रिजर्व किया गया फैसला

19 साल चली सुनवाई में हाईकोर्ट ने तीन बार फैसला रिजर्व किया। राजीव गुप्ता ने बताया कि पहली बार 12 मार्च 2018 को जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और दिनेश कुमार सिंह ने फ़ैसला रिजर्व किया। दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 10 नवंबर 2022 को जस्टिस रमेश सिन्हा और रेनु अग्रवाल ने फैसला रिजर्व किया। तीसरी बार 21 फरवरी 2023 को फ़ैसला जस्टिस अट्टू रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने फैसला रिजर्व किया। अब जस्टिस अट्टू रहमान मसूदी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला ने फैसला सुनाया।

हत्याकांड के वक्त जिला सहकारी बैंक के उपाध्यक्ष थे टेनी

दो दशक पहले भाजपा में जिला महामंत्री का पद संभालने वाले अजय मिश्र टेनी अब केंद्र में गृह राज्यमंत्री हैं। पहले भाजपा के कार्यकर्ता और तत्कालीन सहकारिता मंत्री राम कुमार वर्मा के खासमखास थे। 2000 में जिला सहकारी बैंक के उपाध्यक्ष बने थे। 2006 में निघासन से जिला पंचायत सदस्य चुने गए। 2012 में विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने। 

दो साल बाद 2014 में भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए। 2019 में दोबारा सांसद बने और फिर जुलाई 2021 में केंद्र में गृह राज्यमंत्री का पद मिला। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के प्रवक्ता अंबरीष सिंह ने बताया कि सच्चाई की जीत हुई है। न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। जो साजिश रची जा रही थी, वह असफल हुई है।
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