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Maharajganj News: चार कोच के सहारे हर खेल में कोहिनूर तराशने का जिम्मा
संवाद न्यूज एजेंसी, महाराजगंज
Updated Thu, 03 Jul 2025 01:09 AM IST
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महराजगंज। शासन खेलकूद में युवाओं को अग्रणी बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। खेल से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है जैसे प्रेरक स्लोगन युवाओं के जेहन में बिठाकर रुचि बढ़ाई जा रही है, लेकिन धरातल पर स्थिति यह है कि पर्याप्त खेल कोच ही नहीं हैं। ऐसे में युवाओं को तराश कर कोहिनूर की शक्ल देने की कवायद जिले में अधूरी है।
जनपद के युवा क्रिकेट, बैडमिंटन, कबड्डी, खोखो सहित अन्य खेलों में न सिर्फ रुचि रखते हैं, बल्कि इसके खिलाड़ी भी हैं। बावजूद इन खेलों के कोच नहीं हैं। जिले में कुश्ती, वालीबॉल, हाकी और फुटबॉल के कोच हैं जो अपने खेलों के प्रति रुचि व दक्षता बढ़ा रहे हैं, जबकि अन्य खेल के खिलाड़ी निजी जानकारी के अनुसार ही खेल में आगे बढ़ने को विवश हैं।
धर्मेन्द्र के तबादले बाक्सिंग कोच भी छिना
मई 2025 तक जनपद में पंच कोच थे। उप क्रीड़ा अधिकारी धर्मेन्द्र कुमार बाक्सिंग के कोच भी थे। जून मु उनका स्थानांतरण भदोही कर दिया गया जिससे जनपद के खिलाड़ियों से बाक्सिंग का कोच भी छिन गया। उनके तबादले से बेटियां काफी मायूस हैं जो बाक्सिंग सीखने का जज्बा पाल बैठी थीं। राजकीय कन्या इंटर कालेज धनेवा की छात्रा अनुराधा व रागिनी ने बताया कि हम लोग धर्मेन्द्र सर से शाम के वक्त स्टेडियम के बाक्सिंग रिंग में सीखने पहुंचते थे, लेकिन इस माह से प्रैक्टिस बंद है।
दांवपेंच के लिए कोच जरूरी
राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ी श्यामकरन यादव कहते हैं कि प्रत्येक खेल के लिए कोच जरूरी है। बिना कोच के खेल का दांव पेंच नहीं सीखा जा सकता। जिस खेल के कोच रहते हैं उन्हीं खेलों में उम्मीद होती है।
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धर्मेन्द्र के तबादले बाक्सिंग कोच भी छिना
मई 2025 तक जनपद में पंच कोच थे। उप क्रीड़ा अधिकारी धर्मेन्द्र कुमार बाक्सिंग के कोच भी थे। जून मु उनका स्थानांतरण भदोही कर दिया गया जिससे जनपद के खिलाड़ियों से बाक्सिंग का कोच भी छिन गया। उनके तबादले से बेटियां काफी मायूस हैं जो बाक्सिंग सीखने का जज्बा पाल बैठी थीं। राजकीय कन्या इंटर कालेज धनेवा की छात्रा अनुराधा व रागिनी ने बताया कि हम लोग धर्मेन्द्र सर से शाम के वक्त स्टेडियम के बाक्सिंग रिंग में सीखने पहुंचते थे, लेकिन इस माह से प्रैक्टिस बंद है।
दांवपेंच के लिए कोच जरूरी
राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ी श्यामकरन यादव कहते हैं कि प्रत्येक खेल के लिए कोच जरूरी है। बिना कोच के खेल का दांव पेंच नहीं सीखा जा सकता। जिस खेल के कोच रहते हैं उन्हीं खेलों में उम्मीद होती है।