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बांकेबिहारी मंदिर: शरद पूर्णिमा पर बांसुरी धारण करेंगे ठाकुरजी...दर्शन को लेकर कमेटी और सेवायत आमने-सामने
संवाद न्यूज एजेंसी, मथुरा
Published by: अरुन पाराशर
Updated Sat, 04 Oct 2025 09:27 PM IST
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सार
सेवायतों ने कहा कि शरद पूर्णिमा पर ठाकुरजी के दर्शन सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार ही कराए जाएंगे। शरद पूर्णिमा के दिन शृंगार सेवा, भोग के दौरान ठाकुरजी के दर्शन गर्भगृह से होते हैं।

बांकेबिहारी मंदिर।
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विस्तार
शरद पूर्णिमा पर ठाकुर श्रीबांकेबिहारी के दर्शन को लेकर कमेटी और सेवायत आमने-सामने आ गए हैं। जहां एक ओर हाईपावर्ड कमेटी के सचिव डीएम सीपी सिंह ने आदेश दिए हैं कि शरद पूर्णिमा पर ठाकुरजी गर्भगृह से बाहर आकर जगमोहन से दर्शन देंगे। वहीं यह आदेश जैसे ही मंदिर में पहुंचे तो सेवायतों ने एलान कर दिया कि सेवा, पूजा पद्धति में बदलाव नहीं होने देंगे। ठाकुरजी जगमोहन से नहीं, बल्कि गर्भगृह से ही दर्शन देंगे।
विदित हो कि शरद पूर्णिमा पर श्रीबांकेबिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ रहती है। इस दिन ठाकुरजी के दर्शन के लिए मंदिर प्रशासन कई दिन पहले से तैयारियां करता है, जिससे किसी श्रद्धालु को परेशानी न हो। वहीं कमेटी ने अभी हाल में आदेश दे दिया कि शरद पूर्णिमा को ठाकुरजी जगमोहन में विराजकर श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे।
इस आदेश के मंदिर में आते ही सेवायतों में खलबली मच गई। मंदिर के सेवाधिकारी गौरव गोस्वामी ने प्रेसवार्ता में बताया कि शरद पूर्णिमा पर ठाकुरजी के दर्शन सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार ही कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन शृंगार सेवा, भोग के दौरान ठाकुरजी के दर्शन गर्भगृह से होते हैं। जबकि शाम के शयन भोग में ठाकुरजी को जगमोहन में विराजित कर भक्तों को दर्शन कराए जाते हैं।

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विदित हो कि शरद पूर्णिमा पर श्रीबांकेबिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ रहती है। इस दिन ठाकुरजी के दर्शन के लिए मंदिर प्रशासन कई दिन पहले से तैयारियां करता है, जिससे किसी श्रद्धालु को परेशानी न हो। वहीं कमेटी ने अभी हाल में आदेश दे दिया कि शरद पूर्णिमा को ठाकुरजी जगमोहन में विराजकर श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे।
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इस आदेश के मंदिर में आते ही सेवायतों में खलबली मच गई। मंदिर के सेवाधिकारी गौरव गोस्वामी ने प्रेसवार्ता में बताया कि शरद पूर्णिमा पर ठाकुरजी के दर्शन सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार ही कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन शृंगार सेवा, भोग के दौरान ठाकुरजी के दर्शन गर्भगृह से होते हैं। जबकि शाम के शयन भोग में ठाकुरजी को जगमोहन में विराजित कर भक्तों को दर्शन कराए जाते हैं।
गौरव गोस्वामी ने कहा कि परंपरा में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा समय निर्धारण को लेकर एक स्थगन आदेश पारित किया गया है, जिसका उल्लंघन न्यायालय की अवमानना होगी। उन्होंने कहा कि 2023 में शरद पूर्णिमा के दौरान, ठाकुरजी जगमोहन में विराजे थे, जिससे करीब 35 मिनट तक श्रद्धालु दर्शन से वंचित रहे थे और मंदिर परिसर में अव्यवस्था फैल गई थी। प्रेस वार्ता में हिमांशु गोस्वामी, संतु गोस्वामी, देव गोस्वामी, लाले गोस्वामी और मयूर गोस्वामी उपस्थित रहे।
शरद पूर्णिमा पर मोरमुकुट पहन बांसुरी धारण करेंगे श्रीबांकेबिहारी
शरद पूर्णिमा की रात में श्रीबांकेबिहारी मंदिर एक बार फिर दिव्य और अद्भुत दृश्य का साक्षी बनेगा। इस दिन ठाकुरजी स्वयं बांसुरी की मधुर तान छेड़ेंगे और चंद्रमा की शीतल किरणें उनके चरणों की वंदना करेंगी। वर्ष भर में इसी दिन एक बार मोरमुकुट पहनकर ठाकुरजी बांसुरी धारण करते हैं। एक ओर मंदिर प्रबंधन ने इस विशेष आयोजन की तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं। साल में केवल एक बार, शरद पूर्णिमा की रात ही ठाकुरजी बांसुरी धारण करते हैं।
वहीं सेवायतों द्वारा इस दिन ठाकुरजी का विशेष शृंगार किया जाता है। श्वेत रंग की पोशाक पहने ठाकुरजी मनोहरी रूप में दर्शन देकर श्रद्धालुओं पर अमृतकृपा बरसाते हैं। इस दिन ठाकुरजी की झलक पाने के लिए हर कोई आतुर रहता है। देश-विदेश से श्रद्धालुओं दो दिन पहले से ही वृंदावन में आना शुरू कर दिया है। होटल और धर्मशालाओं की एडवांस में बुकिंग शुरू हो गई हैं। गौरतलब है कि शरद पूर्णिमा को रासलीला और चंद्रमा की विशेष महत्ता से जोड़ा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणें अमृतमयी मानी जाती हैं।
शरद पूर्णिमा की रात में श्रीबांकेबिहारी मंदिर एक बार फिर दिव्य और अद्भुत दृश्य का साक्षी बनेगा। इस दिन ठाकुरजी स्वयं बांसुरी की मधुर तान छेड़ेंगे और चंद्रमा की शीतल किरणें उनके चरणों की वंदना करेंगी। वर्ष भर में इसी दिन एक बार मोरमुकुट पहनकर ठाकुरजी बांसुरी धारण करते हैं। एक ओर मंदिर प्रबंधन ने इस विशेष आयोजन की तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं। साल में केवल एक बार, शरद पूर्णिमा की रात ही ठाकुरजी बांसुरी धारण करते हैं।
वहीं सेवायतों द्वारा इस दिन ठाकुरजी का विशेष शृंगार किया जाता है। श्वेत रंग की पोशाक पहने ठाकुरजी मनोहरी रूप में दर्शन देकर श्रद्धालुओं पर अमृतकृपा बरसाते हैं। इस दिन ठाकुरजी की झलक पाने के लिए हर कोई आतुर रहता है। देश-विदेश से श्रद्धालुओं दो दिन पहले से ही वृंदावन में आना शुरू कर दिया है। होटल और धर्मशालाओं की एडवांस में बुकिंग शुरू हो गई हैं। गौरतलब है कि शरद पूर्णिमा को रासलीला और चंद्रमा की विशेष महत्ता से जोड़ा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणें अमृतमयी मानी जाती हैं।