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UP: मंत्री सुरेश खन्ना मामले में कोर्ट सख्त...पुलिस की रिपोर्ट पर जताई नाराजगी, तीन दिन में जवाब देने के आदेश
संवाद न्यूज एजेंसी, मथुरा
Published by: अरुन पाराशर
Updated Mon, 12 May 2025 09:29 PM IST
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सार
मथुरा में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के खिलाफ दायर याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दाैरान कोर्ट ने सख्त रुख दिखाया। पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए।

कोर्ट
- फोटो : ANI

विस्तार
मथुरा के वृंदावन में उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को मथुरा की विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट में सुनवाई हुई। यह याचिका कथावाचक कौशल किशोर ठाकुर द्वारा संचालित संस्था सनातन धर्म रक्षापीठ वृंदावन की ओर से दाखिल की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मंत्री सुरेश खन्ना ने विजिलेंस जांच को प्रभावित करने, भ्रष्टाचारियों को बचाने और भूमाफिया को संरक्षण देने का काम किया है।
कोर्ट ने पूर्व में वृंदावन पुलिस से इस मामले में रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन पुलिस द्वारा एफआईआर संख्या 0227 की रिपोर्ट पेश की गई जो किसी अन्य मामले से संबंधित थी। कोर्ट ने इसे गुमराह करने का प्रयास मानते हुए कड़ी नाराजगी जताई और पूछा कि क्या इस याचिका के संबंध में कोई एफआईआर दर्ज की गई है या नहीं? इस पर पुलिस ने एक और एफआईआर पेश की जो एक फर्जी वसीयत से संबंधित थी और फिलहाल उसकी जांच चल रही इससे भी कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई।
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कोर्ट ने पूर्व में वृंदावन पुलिस से इस मामले में रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन पुलिस द्वारा एफआईआर संख्या 0227 की रिपोर्ट पेश की गई जो किसी अन्य मामले से संबंधित थी। कोर्ट ने इसे गुमराह करने का प्रयास मानते हुए कड़ी नाराजगी जताई और पूछा कि क्या इस याचिका के संबंध में कोई एफआईआर दर्ज की गई है या नहीं? इस पर पुलिस ने एक और एफआईआर पेश की जो एक फर्जी वसीयत से संबंधित थी और फिलहाल उसकी जांच चल रही इससे भी कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई।
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अदालत ने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि तीन दिन के भीतर एफआईआर संख्या 04/2022 से संबंधित सही रिपोर्ट पेश की जाए, जिसमें यह स्पष्ट हो कि मंत्री सुरेश खन्ना के हस्तक्षेप को लेकर कोई मुकदमा पंजीकृत है या नहीं।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता रीना एन सिंह ने ललिता कुमारी बनाम राज्य के ऐतिहासिक निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि जब कोई ऐसा अपराध सामने आता है तो एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य होता है, इसके लिए प्रारंभिक जांच की कोई जरूरत नहीं होती। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कानून का पालन नहीं होगा तो मंत्री जैसे प्रभावशाली लोग अपराधियों को संरक्षण देकर कानून व्यवस्था को कमजोर करते रहेंगे। सुनवाई में मथुरा बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ठाकुर किशन सिंह विशेष रूप से मौजूद रहे।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता रीना एन सिंह ने ललिता कुमारी बनाम राज्य के ऐतिहासिक निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि जब कोई ऐसा अपराध सामने आता है तो एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य होता है, इसके लिए प्रारंभिक जांच की कोई जरूरत नहीं होती। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कानून का पालन नहीं होगा तो मंत्री जैसे प्रभावशाली लोग अपराधियों को संरक्षण देकर कानून व्यवस्था को कमजोर करते रहेंगे। सुनवाई में मथुरा बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ठाकुर किशन सिंह विशेष रूप से मौजूद रहे।