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Hariyali Teej: स्वर्ण झूले में विराजेंगे ठाकुरजी...वर्ष में एकबार होते हैं ऐसे दर्शन, उमड़ेगा भक्तों का हुजूम
संवाद न्यूज एजेंसी, मथुरा
Published by: अरुन पाराशर
Updated Sat, 26 Jul 2025 09:37 PM IST
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सार
हरियाली तीज के दिन बांकेबिहारी मंदिर में ठाकुरजी को विशेष रूप से सजे सोने-चांदी के झूले में विराजमान किया जाता है। वर्ष 1947 में इस झूले का निर्माण कराया गया था।

बांकेबिहारी मंदिर में उमड़ी भीड़
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विस्तार
सावन मास की हरियाली तीज पर वृंदावन में मनाया जाने वाला झूलनोत्सव इस बार रविवार को मनाया जाएगा। ब्रज की परंपराओं और सांस्कृतिक आभा से ओतप्रोत इस उत्सव के लिए वृंदावन के मंदिरों में तैयारियां पूरी हो गईं हैं। विशेष रूप से बांकेबिहारी मंदिर में ठाकुरजी स्वर्ण-रजत झूले में विराजमान होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाएंगे।
हरियाली तीज के अवसर पर पूरे वृंदावन में धार्मिक उल्लास का वातावरण है। मंदिरों के बाहर फूलों, केले के पत्तों और पारंपरिक बंदनवारों से सजावट की गई। दुकानों पर शृंगार सामग्री, सिंदारा और पूजन-सामग्री लेने को देर रात तक भीड़ रही। श्रीहरिदास पीठाधीश्वर आचार्य प्रहलाद वल्लभ गोस्वामी के अनुसार, यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की स्मृति में मनाया जाता है।

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हरियाली तीज के अवसर पर पूरे वृंदावन में धार्मिक उल्लास का वातावरण है। मंदिरों के बाहर फूलों, केले के पत्तों और पारंपरिक बंदनवारों से सजावट की गई। दुकानों पर शृंगार सामग्री, सिंदारा और पूजन-सामग्री लेने को देर रात तक भीड़ रही। श्रीहरिदास पीठाधीश्वर आचार्य प्रहलाद वल्लभ गोस्वामी के अनुसार, यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की स्मृति में मनाया जाता है।
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मान्यता है कि शिवजी ने अपनी जटाओं से झूला बनाकर मां पार्वती को झुलाया था। तभी से देवालयों में आराध्य देवों को झूला झुलाने की परंपरा चली आ रही है। हरियाली तीज के दिन बांकेबिहारी मंदिर में ठाकुरजी को विशेष रूप से सजे सोने-चांदी के झूले में विराजमान किया जाता है। वर्ष 1947 में इस झूले का निर्माण कराया गया था। सेवायतों के अनुसार, पूरे वर्ष में केवल इसी दिन ठाकुरजी दोनों समय–मंगल आरती और संध्या आरती में झूलते हैं।
प्रशासन ने भी किए हैं इंतजाम
अतिरिक्त पुलिस बल से लेकर पार्किंग, जूता घरों की संख्या बढ़ाई है। पुलिस प्रशासन ने भी अपनी ओर से पूरी तैयारी की है। किसी भी तरह की कोई परेशानी न खड़ी हो इसका विशेष ध्यान रखा गया है।
प्रशासन ने भी किए हैं इंतजाम
अतिरिक्त पुलिस बल से लेकर पार्किंग, जूता घरों की संख्या बढ़ाई है। पुलिस प्रशासन ने भी अपनी ओर से पूरी तैयारी की है। किसी भी तरह की कोई परेशानी न खड़ी हो इसका विशेष ध्यान रखा गया है।
ठाकुरजी की थकान मिटाने के लिए सजाई जाती है सुख सेज
मान्यता है कि ठाकुरजी लगातार कई घंटे तक खड़े रहने से थक जाते हैं और शुष्क मौसम होने से ठाकुरजी का मनमोहनी सजीला शृंगार अव्यवस्थित हो जाता है। अपने आराध्य को सुख प्रदान करने के उद्देश्य से अंगसेवी सेवायत गोस्वामीजन गर्भगृह में सुख सेज सजाते हैं। विविध प्रकार के सुगंधित पुष्पों की लड़ी पिरोकर सेज के चहुंओर लगाई जाती है। गुलाबी मखमली सेज पर गुलाब की पंखुड़ियों को बिखेरा जाता है। रजत निर्मित सेज के समीप चांदी का नक्काशीदार शीशा व शृंगारिक प्रसाधन रखा जाता है।
साथ ही चांदी के थाल में पान की बीड़ी, मोतीचूर के लड्डू, केशरमिश्रित दूध आदि निवेदित किए जाते हैं। शयन आरती के उपरांत गोस्वामी जन ठाकुरजी के श्री विग्रह को पद गायन करते हुए सुख सेज पर ले जाते हैं। थकान उतारने के उद्देश्य से ठाकुरजी के श्री विग्रह की सुगंधित इत्र द्रव्यों से मालिश कर शयन पदों का सस्वर गायन कर विश्राम कराया जाता है। ठाकुरजी की सुखसेज के दर्शन भक्तों को सुलभ नहीं होते हैं।
ये भी पढ़ें-श्रीबांकेबिहारी मंदिर: भवनों के सत्यापन के बाद तैयार हो रहा काॅरिडोर का थ्रीडी नक्शा, जीपीएस सर्वे की ली मदद
मान्यता है कि ठाकुरजी लगातार कई घंटे तक खड़े रहने से थक जाते हैं और शुष्क मौसम होने से ठाकुरजी का मनमोहनी सजीला शृंगार अव्यवस्थित हो जाता है। अपने आराध्य को सुख प्रदान करने के उद्देश्य से अंगसेवी सेवायत गोस्वामीजन गर्भगृह में सुख सेज सजाते हैं। विविध प्रकार के सुगंधित पुष्पों की लड़ी पिरोकर सेज के चहुंओर लगाई जाती है। गुलाबी मखमली सेज पर गुलाब की पंखुड़ियों को बिखेरा जाता है। रजत निर्मित सेज के समीप चांदी का नक्काशीदार शीशा व शृंगारिक प्रसाधन रखा जाता है।
साथ ही चांदी के थाल में पान की बीड़ी, मोतीचूर के लड्डू, केशरमिश्रित दूध आदि निवेदित किए जाते हैं। शयन आरती के उपरांत गोस्वामी जन ठाकुरजी के श्री विग्रह को पद गायन करते हुए सुख सेज पर ले जाते हैं। थकान उतारने के उद्देश्य से ठाकुरजी के श्री विग्रह की सुगंधित इत्र द्रव्यों से मालिश कर शयन पदों का सस्वर गायन कर विश्राम कराया जाता है। ठाकुरजी की सुखसेज के दर्शन भक्तों को सुलभ नहीं होते हैं।
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