एक्सक्लूसिव: लॉकडाउन का दिखा बड़ा असर, पेपर मिलों में कच्चे माल का संकट, पढ़िए पूरी रिपोर्ट

कोरोना की दूसरी लहर फिर से कारोबार को अपनी चपेट में लेने लगी है। यूरोप में पुन: तालाबंदी से भारतीय पेपर मिलों के सामने कच्चे माल का संकट खड़ा हो गया है। पेपर मिलों को नया कागज बनाने के लिए पुराने, खराब कागज की जरूरत होती है। जो विदेशों से आयात किया जाता है। लेकिन बंदी के कारण कच्चे माल की आपूर्ति नहीं हो रही। बंदरगाहों पर ही कंसाइनमेंट रुके हैं। माल भारत तक नहीं आ रहा। पेपर मिलों के सामने कच्चे माल की आपूर्ति की मुश्किल खड़ी हो गई है।

मेरठ सहित एनसीआर की पेपर मिलों में पैकिंग पेपर, स्टेशनरी, लिफाफा, क्राफ्ट और प्रिंटिंग पेपर बड़े पैमाने पर तैयार किया जाता है। यहां की पेपर मिलों में तैयार पेपर चीन सहित अन्य देशों में निर्यात भी होता है। पेपर मिलें नया पेपर बनाने के लिए बड़ी मात्रा में विदेशों से पुराने इस्तेमाल किए हुए पेपर को कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल करती हैं। मगर लॉकडाउन से विदेशों से कच्चे माल की सप्लाई ठप हो चुकी है।
15 फीसद तक महंगा हुआ कच्चा माल
कोरोना सीजन के बाद से ही पेपर मिलों के लिए कच्चे माल का संकट खड़ा हो गया है। मेरठ की पेपर मिलें स्क्रैप पेपर से फ्रेश पेपर तैयार करती हैं। नया पेपर बनाने में इस्तेमाल होने वाले पुराने पेपर को मिलें यूरोप से आयात करती हैं। क्योंकि वहां के स्क्रैप की गुणवत्ता भारतीय पेपर से अच्छी होती है। कोरोना के कारण भारतीय, विदेशी दोनों ही कच्चे माल की कीमतों में 15 फीसद तक का इजाफा हुआ है। यूरोप से कच्चा माल आने में दिक्कत के कारण भारतीय कच्चे माल की कीमतें भी बढ़ गई हैं।
कच्चे माल की समस्या से मिलें बंद
कच्चे माल की पूर्ति में आ रहे संकट का असर पेपर निर्माण पर आ रहा है। जो मिलें एक दिन में 15 टन पेपर तैयार करती थी, अब उनकी उत्पादन क्षमता घटकर आठ से दस टन पर आ गई है। मांग है मगर माल का उत्पादन नहीं हो रहा। इसके कारण कई समूहों ने अपनी कुछ इकाईयों को बंद करना शुरू कर दिया है।
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नया पेपर बनाने में दिक्कत
चीन से बड़ी मात्रा में फ्रेश पेपर निर्यात करते हैं, लेकिन यूरोप में लॉकडाउन होने से हमें कच्चा माल नहीं मिल रहा। इसकी वजह से नया पेपर बनाने में दिक्कत आ रही है और काम प्रभावित हो रहा है। - अरविंद अग्रवाल, एमडी पसवाड़ा पेपर मिल, अध्यक्ष एनसीआर पेपर मिल एसोसिएशन
गुणवत्ता अच्छी नहीं
निर्यात के पेपर में 70 फीसद स्क्रैप पेपर विदेशी इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि भारतीय स्क्रैप पेपर की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती। बड़ी कंपनियों को पैकिंग के लिए जो पेपर चाहिए उसका निर्माण भारतीय स्क्रैप पेपर से नहीं कर सकते। लेकिन विदेशों में लॉकडाउन के कारण कच्चा माल नहीं मिल रहा। उत्पादन में समस्या आ रही है। - सुरेश गुप्ता, एमडी देवप्रिया इंडस्ट्रीज
आपूर्ति में बड़ी समस्या
विदेशों में बंदी से कच्चे माल की आपूर्ति में बहुत समस्या है। अमेरिका, यूरोप से कच्चा माल मंगाते हैं। भारतीय कच्चे माल में गुणवत्ता का अभाव है। विदेशों से कच्चा माल मिल नहीं रहा इसलिए कारोबार में गिरावट है। - हिमांशु सिंघल, एमडी संघल पेपर मिल
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