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घोषणा पत्र जमा करने में किसान पीछे
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बीसलपुर। क्षेत्र के कुल 98 हजार में से अभी तक केवल 20 हजार गन्ना किसानों ने ही अपने घोषणा पत्र जमा किए हैं। जबकि घोषणा पत्र जमा होने की अंतिम तिथि 30 सितंबर है। ऐसे विपरीत हालातों में सभी घोषणा पत्र निर्धारित अवधि तक जमा होने के आसार नहीं लग रहे हैं।
गन्ना अधिनियम के अनुसार सभी गन्ना उत्पादकों को गन्ना परिषद कार्यालय में घोषणा पत्र जमा करने की बाध्यता होती है। अभी तक ये घोषणा पत्र गन्ना परिषद कार्यालय में ऑफलाइन जमा होते थे लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते गन्ना आयुक्त ने ऑनलाइन जमा करने का प्रावधान बना रखा है। इस तहसील क्षेत्र में पांच मई से घोषणा पत्र ऑनलाइन जमा होने का कार्य शुरू हो गया था। अब तक साढ़े चार माह में 98 हजार के विपरीत केवल 19700 घोषणा पत्र ही जमा हो पाए हैं। करीब 78 हजार घोषणा पत्र जमा होना अभी बाकी है। 78 हजार घोषणा पत्र 11 दिनों में कैसे जमा हो पाएंगे, किसी की समझ में नहीं आ रहा है। जब साढ़े चार माह में केवल 19700 घोषणा पत्र जमा हो पाए हैं तो 11 दिनों में शेष 78 हजार घोषणा पत्र जमा होने का सवाल ही पैदा नहीं हो रहा। घोषणा पत्र जमा होने की यदि यही गति रही तो शेष घोषणा पत्र अगले डेढ़ वर्ष में जमा हो पाएंगे, जबकि नवंबर से गन्ना सत्र शुरू हो जाएगा। गन्ना आयुक्त ने यह भी फरमान जारी कर रखा है कि जिन किसानों के घोषणा पत्र नहीं जमा हो पाएंगे, उन्हें गन्ने की पर्चियां नहीं मिलेगी। इन विपरीत परिस्थितियों को लेकर गन्ना विभाग के अधिकारी काफी असमंजस में हैं। हालांकि गन्ना विभाग के स्थानीय अधिकारी और कर्मचारी वंचित किसानों को लगातार घोषणा पत्र जमा करने को प्रेरित कर रहे हैं लेकिन किसान बेहद धीमी गति से ही घोषणा पत्र जमा कर रहे हैं। ऐसे में शेष 78 हजार घोषणा पत्र निर्धारित अवधि में जमा होने के कोई आसार नहीं लग रहे हैं।
यह वजह बताई जा रही है घोषणा पत्र न जमा करने की
कोरोना संक्रमण के चलते पहली बार ऑनलाइन घोषणा पत्र जमा होने का प्रावधान बनाया गया है। काफी किसानों के पास एंड्राइड फोन नहीं है। वे किसान साइबर कैफे पर जाकर आनलाइन घोषणा पत्र जमा करने से बच रहे हैं। साइबर कैफे पर शुल्क भी देना पड़ेगा। किसानों का मानना है कि गन्ना विभाग के कर्मचारी स्वयं किसानों के घर आकर अपने एंड्राइड फोन से उनके घोषणा पत्र भरकर भेज दें। संभवत: इसी वजह से घोषणा पत्र जमा होने की गति बेहद धीमी है ।
तहसील क्षेत्र में अब तक 98 हजार के विपरीत 19700 किसानों के घोषणा पत्र जमा हो चुके हैं। वंचित किसानों को घोषणा पत्र जमा करने के लिए लगातार प्रेरित किया जा रहा है।- जितेंद्र कुमार मिश्रा, डीसीओ पीलीभीत
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गन्ना अधिनियम के अनुसार सभी गन्ना उत्पादकों को गन्ना परिषद कार्यालय में घोषणा पत्र जमा करने की बाध्यता होती है। अभी तक ये घोषणा पत्र गन्ना परिषद कार्यालय में ऑफलाइन जमा होते थे लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते गन्ना आयुक्त ने ऑनलाइन जमा करने का प्रावधान बना रखा है। इस तहसील क्षेत्र में पांच मई से घोषणा पत्र ऑनलाइन जमा होने का कार्य शुरू हो गया था। अब तक साढ़े चार माह में 98 हजार के विपरीत केवल 19700 घोषणा पत्र ही जमा हो पाए हैं। करीब 78 हजार घोषणा पत्र जमा होना अभी बाकी है। 78 हजार घोषणा पत्र 11 दिनों में कैसे जमा हो पाएंगे, किसी की समझ में नहीं आ रहा है। जब साढ़े चार माह में केवल 19700 घोषणा पत्र जमा हो पाए हैं तो 11 दिनों में शेष 78 हजार घोषणा पत्र जमा होने का सवाल ही पैदा नहीं हो रहा। घोषणा पत्र जमा होने की यदि यही गति रही तो शेष घोषणा पत्र अगले डेढ़ वर्ष में जमा हो पाएंगे, जबकि नवंबर से गन्ना सत्र शुरू हो जाएगा। गन्ना आयुक्त ने यह भी फरमान जारी कर रखा है कि जिन किसानों के घोषणा पत्र नहीं जमा हो पाएंगे, उन्हें गन्ने की पर्चियां नहीं मिलेगी। इन विपरीत परिस्थितियों को लेकर गन्ना विभाग के अधिकारी काफी असमंजस में हैं। हालांकि गन्ना विभाग के स्थानीय अधिकारी और कर्मचारी वंचित किसानों को लगातार घोषणा पत्र जमा करने को प्रेरित कर रहे हैं लेकिन किसान बेहद धीमी गति से ही घोषणा पत्र जमा कर रहे हैं। ऐसे में शेष 78 हजार घोषणा पत्र निर्धारित अवधि में जमा होने के कोई आसार नहीं लग रहे हैं।
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यह वजह बताई जा रही है घोषणा पत्र न जमा करने की
कोरोना संक्रमण के चलते पहली बार ऑनलाइन घोषणा पत्र जमा होने का प्रावधान बनाया गया है। काफी किसानों के पास एंड्राइड फोन नहीं है। वे किसान साइबर कैफे पर जाकर आनलाइन घोषणा पत्र जमा करने से बच रहे हैं। साइबर कैफे पर शुल्क भी देना पड़ेगा। किसानों का मानना है कि गन्ना विभाग के कर्मचारी स्वयं किसानों के घर आकर अपने एंड्राइड फोन से उनके घोषणा पत्र भरकर भेज दें। संभवत: इसी वजह से घोषणा पत्र जमा होने की गति बेहद धीमी है ।
तहसील क्षेत्र में अब तक 98 हजार के विपरीत 19700 किसानों के घोषणा पत्र जमा हो चुके हैं। वंचित किसानों को घोषणा पत्र जमा करने के लिए लगातार प्रेरित किया जा रहा है।- जितेंद्र कुमार मिश्रा, डीसीओ पीलीभीत