पीलीभीत में बीते दिनों हुए हुए सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड ने एक बार फिर महिला सुरक्षा के मुद्दे पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। मंगलवार को आगामी विधानसभा चुनाव के विशेष कवरेज के लिए निकला अमर उजाला का चुनावी रथ 'सत्ता का संग्राम' पीलीभीत पहुंचा। यहां सुबह आठ बजे आम जनता के साथ चाय पर चर्चा हुई, जिसमें स्थानीय लोगों ने यातायात, मेडिकल और पानी की समस्या के अलावा अन्य मुद्दों पर तो सरकार के काम से संतुष्टि जताई, लेकिन इसी बीच कार्यक्रम में पहुंचीं एक शिक्षिका ने महिला सुरक्षा और शिक्षा व्यवस्था का मुद्दा उठाकर सबकी आंखें खोल दीं।
शीतल मौर्य नाम की युवती ने बताया कि वह पेशे से शिक्षिका हैं और फिलहाल ट्रेनिंग कर रही हैं। इसके बाद उन्होंने स्पष्ट कहा कि बरखेड़ा की दुष्कर्म की घटना वाकई भयभीत करने वाली है। जब बरखेड़ा ब्लॉक जैसी जगह में इस तरह की वारदात हो सकती है तो हम खुद को सुरक्षित कैसे मान लें।
महिलाओं के प्रति समाज की ऐसी मानसिकता को बदलने की जरूरत है। सबसे पहले इसे बदलें उसके बाद ही समाज में बदलाव हो सकेगा। आज मुझे छात्र कॉलेज में पढ़ाने के लिए आना था, लेकिन इसके लिए अपने घर से अनुमति लेनी पड़ी। यह स्थिति क्यों है समाज में।
शिक्षा की लचर व्यवस्था पर भी उठाए सवाल
इसके साथ ही शीतल ने कहा कि सरकारी स्कूलों और कॉलेजों की बदहाली देखने लायक है। कोई मां-बाप अपने बच्चों को सरकार स्कूल कॉलेज में पढ़ाना नहीं चाहते। लोग सरकारी शिक्षक तो बनना चाहते हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहते। यह हालत क्यों है? क्योंकि सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों के लिए कुछ किया ही नहीं जाता। यूपी सरकार भी इसपर ध्यान नहीं देती। अगर शिक्षक समय से और सही तरीके से पढ़ाने आएंगे तो बच्चे क्यों नहीं पढ़ेंगे।
मामला बरखेड़ा थानाक्षेत्र के एक गांव का है, जहां कक्षा 12वीं की 16 वर्षीय छात्रा शनिवार सुबह पौने सात बजे घर से कोचिंग पढ़ने के लिए निकली थी, लेकिन वह कोचिंग नहीं पहुंची और न ही कोचिंग के बाद स्कूल पहुंची। जब शाम साढ़े पांच बजे तक वह घर नहीं लौटी तो परिजनों को चिंता हुई। परिवार वालों ने पहले सहेलियों और शिक्षकों से पूछा, लेकिन जब कहीं कुछ पता नहीं चल सका तो रात 9 बजे पुलिस को सूचना दी। परिजनों ने गांव के ही युवक के सचिन के खिलाफ बहला फुसला कर भगा ले जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई।
इसके बाद गांव में फिर से तलाश की गई। रात करीब 11 बजे गांव के बाहर नहर के किनारे गन्ने के खेत में नग्न अवस्था में छात्रा का शव मिला। उसके मुंह में कपड़ा ठूंसा हुआ था। प्राइवेट पार्ट से खून निकल रहा था। उसके शरीर पर और मुंह में भी चोटें थीं।
स्कूल बैग, साइकिल और छात्रा के जूते पास में ही पड़े थे। बीयर की चार खाली बोतलें, नमकीन के खाली पैकेट और अधजली सिगरेट पड़ीं थीं। इस घटना ने पीलीभीत को भीतर तक झकझोर कर रख दिया है।
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पीलीभीत में बीते दिनों हुए हुए सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड ने एक बार फिर महिला सुरक्षा के मुद्दे पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। मंगलवार को आगामी विधानसभा चुनाव के विशेष कवरेज के लिए निकला अमर उजाला का चुनावी रथ 'सत्ता का संग्राम' पीलीभीत पहुंचा। यहां सुबह आठ बजे आम जनता के साथ चाय पर चर्चा हुई, जिसमें स्थानीय लोगों ने यातायात, मेडिकल और पानी की समस्या के अलावा अन्य मुद्दों पर तो सरकार के काम से संतुष्टि जताई, लेकिन इसी बीच कार्यक्रम में पहुंचीं एक शिक्षिका ने महिला सुरक्षा और शिक्षा व्यवस्था का मुद्दा उठाकर सबकी आंखें खोल दीं।
शीतल मौर्य नाम की युवती ने बताया कि वह पेशे से शिक्षिका हैं और फिलहाल ट्रेनिंग कर रही हैं। इसके बाद उन्होंने स्पष्ट कहा कि बरखेड़ा की दुष्कर्म की घटना वाकई भयभीत करने वाली है। जब बरखेड़ा ब्लॉक जैसी जगह में इस तरह की वारदात हो सकती है तो हम खुद को सुरक्षित कैसे मान लें।
महिलाओं के प्रति समाज की ऐसी मानसिकता को बदलने की जरूरत है। सबसे पहले इसे बदलें उसके बाद ही समाज में बदलाव हो सकेगा। आज मुझे छात्र कॉलेज में पढ़ाने के लिए आना था, लेकिन इसके लिए अपने घर से अनुमति लेनी पड़ी। यह स्थिति क्यों है समाज में।
शिक्षा की लचर व्यवस्था पर भी उठाए सवाल
इसके साथ ही शीतल ने कहा कि सरकारी स्कूलों और कॉलेजों की बदहाली देखने लायक है। कोई मां-बाप अपने बच्चों को सरकार स्कूल कॉलेज में पढ़ाना नहीं चाहते। लोग सरकारी शिक्षक तो बनना चाहते हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहते। यह हालत क्यों है? क्योंकि सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों के लिए कुछ किया ही नहीं जाता। यूपी सरकार भी इसपर ध्यान नहीं देती। अगर शिक्षक समय से और सही तरीके से पढ़ाने आएंगे तो बच्चे क्यों नहीं पढ़ेंगे।