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सचिवों पर कसा शिंकजा, सबसे अधिक यूरिया खरीदने वाले पांच-पांच किसानों का मांगा गया नाम
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यूरिया की कालाबाजारी करने वाले साधन सहकारी समितियों के सचिवों पर शासन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। समिति से सबसे अधिक यूरिया खरीदने वाले पांच-पांच किसानों का नाम मांगा है।
शासन ने अफसरों से जिले में सबसे अधिक यूरिया खरीदने वाले बीस किसानों से बात करने को भी कहा है। ऐसे में उन सचिवों पर गाज गिर सकती है, जिन्होंने समिति से खाद बेचकर किसी किसान के नाम खारिज कर दिया है।
जिले में खरीफ की सीजन में यूरिया का लक्ष्य 17,905 मीट्रिक टन है। इस बार सीजन में लक्ष्य से ज्यादा 18,890 मीट्रिकटन यूरिया की आपूर्ति हो चुकी है। इसके बाद भी जिले में यूरिया के लिए मारामारी है। साधन सहकारी समितियों पर एक भी दाना यूरिया नहीं है।
खुले बाजार में अधिक दाम पर बेची जा रही है। शासन का मानना है कि यूरिया बिक्री में साधन सहकारी समितियों में बड़ा खेल हुआ है। दरअसल, इस वर्ष खाद का वितरण ई-पॉस मशीन से होना था, मगर कोरोना संक्रमण तेज होने से सचिवों को ई-पॉस की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई। इससे सचिवों ने कुछ किसानों के आधारकार्ड पर बिक्री की गई यूरिया को खारिज कर दिया है। इसमें ऐसे भी किसान हैं जिनके पास जमीन कम है और उनके नाम खाद अधिक दी गई है।
शासन ने अफसरों को पत्र भेजकर सबसे अधिक यूरिया खरीदने वाले बीस किसानों से बात करने और यह पता लगाने को कहा है कि जितनी खाद उनके नाम से दिखाई गई है उसे उन्होंने खरीदा है या नहीं। अगर खरीदा है तो क्या उनके पास उतनी जमीन है। फिलहाल गेहूं खरीद और धान खरीद में शासन का शिकंजा काम आया। राजस्व विभाग से वेबसाइट लिंक होने के कारण अब कोई भूमिहीन व्यक्ति गेहूं और धान बेचकर मलाई नहीं काट पा रहा है। उसी तर्ज पर अब साधन सहकारी समितियों के सचिवों पर भी शिकंजा कसा जाएगा।
जिले में लक्ष्य से अधिक यूरिया की आपूर्ति होने के बाद भी कमी बनी हुई है। शासन ने हकीकत का पता लगाने के लिए समितियों में सबसे अधिक यूरिया खरीदने वाले किसानों का डाटा तलब किया है।
डा. अश्विनी सिंह, जिला कृषि अधिकारी

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शासन ने अफसरों से जिले में सबसे अधिक यूरिया खरीदने वाले बीस किसानों से बात करने को भी कहा है। ऐसे में उन सचिवों पर गाज गिर सकती है, जिन्होंने समिति से खाद बेचकर किसी किसान के नाम खारिज कर दिया है।
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जिले में खरीफ की सीजन में यूरिया का लक्ष्य 17,905 मीट्रिक टन है। इस बार सीजन में लक्ष्य से ज्यादा 18,890 मीट्रिकटन यूरिया की आपूर्ति हो चुकी है। इसके बाद भी जिले में यूरिया के लिए मारामारी है। साधन सहकारी समितियों पर एक भी दाना यूरिया नहीं है।
खुले बाजार में अधिक दाम पर बेची जा रही है। शासन का मानना है कि यूरिया बिक्री में साधन सहकारी समितियों में बड़ा खेल हुआ है। दरअसल, इस वर्ष खाद का वितरण ई-पॉस मशीन से होना था, मगर कोरोना संक्रमण तेज होने से सचिवों को ई-पॉस की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई। इससे सचिवों ने कुछ किसानों के आधारकार्ड पर बिक्री की गई यूरिया को खारिज कर दिया है। इसमें ऐसे भी किसान हैं जिनके पास जमीन कम है और उनके नाम खाद अधिक दी गई है।
शासन ने अफसरों को पत्र भेजकर सबसे अधिक यूरिया खरीदने वाले बीस किसानों से बात करने और यह पता लगाने को कहा है कि जितनी खाद उनके नाम से दिखाई गई है उसे उन्होंने खरीदा है या नहीं। अगर खरीदा है तो क्या उनके पास उतनी जमीन है। फिलहाल गेहूं खरीद और धान खरीद में शासन का शिकंजा काम आया। राजस्व विभाग से वेबसाइट लिंक होने के कारण अब कोई भूमिहीन व्यक्ति गेहूं और धान बेचकर मलाई नहीं काट पा रहा है। उसी तर्ज पर अब साधन सहकारी समितियों के सचिवों पर भी शिकंजा कसा जाएगा।
जिले में लक्ष्य से अधिक यूरिया की आपूर्ति होने के बाद भी कमी बनी हुई है। शासन ने हकीकत का पता लगाने के लिए समितियों में सबसे अधिक यूरिया खरीदने वाले किसानों का डाटा तलब किया है।
डा. अश्विनी सिंह, जिला कृषि अधिकारी