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Raebareli News: टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ प्रदर्शन
संवाद न्यूज एजेंसी, रायबरेली
Updated Tue, 16 Sep 2025 01:20 AM IST
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रायबरेली। बेसिक शिक्षा के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत अध्यापकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करना अनिवार्य करने के आदेश के खिलाफ विरोध चल रहा है। ज्यादातर संगठन बिगुल फूंक चुके हैं।
सोमवार को राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने आवाज बुलंद की। विकास भवन परिसर में जुटे शिक्षकों ने जोरदार प्रदर्शन किया, फिर पैदल मार्च करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे और प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा। संगठन के पदाधिकारियों ने कानून में संशोधन करने की मांग की। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवशंकर सिंह ने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने से पहले से काफी संख्या में शिक्षक कार्यरत हैं।
इस कानून के लागू होने के बाद नई भर्ती में टीईटी अनिवार्य किया गया, लेकिन अब आए आदेश ने पहले से नियुक्त शिक्षकों के लिए भी टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया है। पहले से कार्यरत शिक्षकों ने भर्ती के समय सभी अर्हता पूरी की थी। अब नया आदेश शिक्षकों के सम्मान के खिलाफ है। इस मुद्दे को लेकर आखिरी दम तक महासंघ शिक्षकों की लड़ाई लड़ेगा।
जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने कहा कि नियुक्ति के समय सभी शिक्षकों ने आवश्यक योग्यताएं पूरी की थीं। टीईटी की अनिवार्यता शिक्षा का अधिकार अधिनियम के साथ लागू हुई थी। हाल ही में आए कोर्ट के आदेश से प्रभावित होने वाले शिक्षकों में ज्यादातर 50 से 55 वर्ष की आयु वाले हैं। इस उम्र में टीईटी की अनिवार्यता को थोपना उचित नहीं है। ऐसे में शिक्षकों पर नौकरी जाने का खतरा मंडराने लगा है। प्रदेश मंत्री डॉ. श्वेता ने कहा कि कानून में संशोधन किया जाना चाहिए, ताकि शिक्षकों को राहत मिल सके।
जिला महामंत्री संजय कनौजिया एवं जिला संगठन मंत्री मधुकर सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर कानून में संशोधन करने की मांग की गई है। यदि इस मामले में कोई राहत नहीं मिली तो बड़े आंदोलन की तैयारी की जाएगी। इस मौके पर इरफान अहमद, अखिलेश सिंह, संजय कुमार सिंह, विजयपाल सिंह, जय करन, वीरेंद्र बहादुर चौधरी, राजेश मौर्या, हरिमोहन यादव, शशी देवी, प्रतिमा सिंह, सुनीता वर्मा, अमित चौहान, अनूप सिंह, मोहित पटेल, अनुराग राठौर, आशुतोष शुक्ल, अनुराग मिश्रा, आनंद प्रताप सिंह आदि मौजूद रहे।

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सोमवार को राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने आवाज बुलंद की। विकास भवन परिसर में जुटे शिक्षकों ने जोरदार प्रदर्शन किया, फिर पैदल मार्च करते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे और प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा। संगठन के पदाधिकारियों ने कानून में संशोधन करने की मांग की। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवशंकर सिंह ने कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने से पहले से काफी संख्या में शिक्षक कार्यरत हैं।
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इस कानून के लागू होने के बाद नई भर्ती में टीईटी अनिवार्य किया गया, लेकिन अब आए आदेश ने पहले से नियुक्त शिक्षकों के लिए भी टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया है। पहले से कार्यरत शिक्षकों ने भर्ती के समय सभी अर्हता पूरी की थी। अब नया आदेश शिक्षकों के सम्मान के खिलाफ है। इस मुद्दे को लेकर आखिरी दम तक महासंघ शिक्षकों की लड़ाई लड़ेगा।
जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने कहा कि नियुक्ति के समय सभी शिक्षकों ने आवश्यक योग्यताएं पूरी की थीं। टीईटी की अनिवार्यता शिक्षा का अधिकार अधिनियम के साथ लागू हुई थी। हाल ही में आए कोर्ट के आदेश से प्रभावित होने वाले शिक्षकों में ज्यादातर 50 से 55 वर्ष की आयु वाले हैं। इस उम्र में टीईटी की अनिवार्यता को थोपना उचित नहीं है। ऐसे में शिक्षकों पर नौकरी जाने का खतरा मंडराने लगा है। प्रदेश मंत्री डॉ. श्वेता ने कहा कि कानून में संशोधन किया जाना चाहिए, ताकि शिक्षकों को राहत मिल सके।
जिला महामंत्री संजय कनौजिया एवं जिला संगठन मंत्री मधुकर सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर कानून में संशोधन करने की मांग की गई है। यदि इस मामले में कोई राहत नहीं मिली तो बड़े आंदोलन की तैयारी की जाएगी। इस मौके पर इरफान अहमद, अखिलेश सिंह, संजय कुमार सिंह, विजयपाल सिंह, जय करन, वीरेंद्र बहादुर चौधरी, राजेश मौर्या, हरिमोहन यादव, शशी देवी, प्रतिमा सिंह, सुनीता वर्मा, अमित चौहान, अनूप सिंह, मोहित पटेल, अनुराग राठौर, आशुतोष शुक्ल, अनुराग मिश्रा, आनंद प्रताप सिंह आदि मौजूद रहे।