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Shamli News: छह माह पहले दे दी थी युद्ध की सूचना, दुश्मनों का कराया था सरेंडर
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शामली। वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे करने वाले जिले के पूर्व सैनिक फिर से युद्ध को तैयार है। उन्होंने कहा कि उस समय 13 दिन तक युद्ध चला था। कहा कि 1971 की तरह इस बार भी दुश्मनों को सबक सिखाया जाएगा।
शामली के दयानंद नगर के रहने वाले सेना के पूर्व सूबेदार मेजर विजयपाल सिंह का कहना है कि वह वर्ष 1971 में कुपवाड़ा में सिपाही के पद पर तैनात थे। वैसे तो छह माह पहले ही सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा गया था, मगर तीन दिसंबर 1971 को सेना के जनरल मानक शाह के आदेश पर युद्ध शुरू किया गया। उस समय वेस्टर्न बॉर्डर को भी खोल दिया गया था। मैं सपोर्टिंग टीम में था। सैनिकों को गोला बारूद आदि उपलब्ध करा रहा था। 13 दिन तक युद्ध हुआ। ढाका में 93 हजार से अधिक पाकिस्तानी जवानों को भारत की सेना के आगे सरेंडर करना पड़ा। उन्होंने अपने घुटने टेक दिया। इन 13 दिन तक कोई भी भारतीय सैनिक नहा नहीं सका था। मगर हर किसी को देश की सुरक्षा की चिंता थी। कहा कि इस बार भी युद्ध के लिए तैयार है। पूर्व सैनिकों को बार्डर पर भेजा जाएगा तो पाकिस्तान के दांत फिर से खट्टे कर दिए जाएंगे।
- 17 दुश्मनों को मार गिराया था
शामली के लाक गांव के रहने वाले रिटायर सूबेदार मेजर चरण सिंह ने बताया कि वह भी वर्ष 1971 में भारत-पाक के बीच हुए युद्ध में शामिल थे। तीन दिसंबर को वह युद्ध के लिए काला पत्थर पहुंच गए थे। जहां पर पाकिस्तानी दुश्मनों ने उनकी टीम पर हमला बोल दिया था। जिसमें हरियाणा का साथी सज्जन सिंह भी शहीद हो गया था मगर जवानों ने हिम्मत नहीं हारी। बमबारी जारी रखी। 17 दुश्मनों को उस समय मार गिराया था। 16 दिसंबर तक युद्ध चला था। अब फिर से युद्ध के लिए तैयार हैं। दुश्मनों को उनके घर में घुसकर सबक सिखाया जाएगा।
पूर्व सैनिक बृजपाल सिंह ने कहा कि देश ही उनके लिए सर्वाेपरि है। यदि आवश्यकता पड़ती तो खुद के साथ-साथ परिवार को भी युद्ध पर ले जाने को तैयार हूं। दुश्मनों को सबक सिखाया जाएगा।
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शामली के दयानंद नगर के रहने वाले सेना के पूर्व सूबेदार मेजर विजयपाल सिंह का कहना है कि वह वर्ष 1971 में कुपवाड़ा में सिपाही के पद पर तैनात थे। वैसे तो छह माह पहले ही सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा गया था, मगर तीन दिसंबर 1971 को सेना के जनरल मानक शाह के आदेश पर युद्ध शुरू किया गया। उस समय वेस्टर्न बॉर्डर को भी खोल दिया गया था। मैं सपोर्टिंग टीम में था। सैनिकों को गोला बारूद आदि उपलब्ध करा रहा था। 13 दिन तक युद्ध हुआ। ढाका में 93 हजार से अधिक पाकिस्तानी जवानों को भारत की सेना के आगे सरेंडर करना पड़ा। उन्होंने अपने घुटने टेक दिया। इन 13 दिन तक कोई भी भारतीय सैनिक नहा नहीं सका था। मगर हर किसी को देश की सुरक्षा की चिंता थी। कहा कि इस बार भी युद्ध के लिए तैयार है। पूर्व सैनिकों को बार्डर पर भेजा जाएगा तो पाकिस्तान के दांत फिर से खट्टे कर दिए जाएंगे।
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- 17 दुश्मनों को मार गिराया था
शामली के लाक गांव के रहने वाले रिटायर सूबेदार मेजर चरण सिंह ने बताया कि वह भी वर्ष 1971 में भारत-पाक के बीच हुए युद्ध में शामिल थे। तीन दिसंबर को वह युद्ध के लिए काला पत्थर पहुंच गए थे। जहां पर पाकिस्तानी दुश्मनों ने उनकी टीम पर हमला बोल दिया था। जिसमें हरियाणा का साथी सज्जन सिंह भी शहीद हो गया था मगर जवानों ने हिम्मत नहीं हारी। बमबारी जारी रखी। 17 दुश्मनों को उस समय मार गिराया था। 16 दिसंबर तक युद्ध चला था। अब फिर से युद्ध के लिए तैयार हैं। दुश्मनों को उनके घर में घुसकर सबक सिखाया जाएगा।
पूर्व सैनिक बृजपाल सिंह ने कहा कि देश ही उनके लिए सर्वाेपरि है। यदि आवश्यकता पड़ती तो खुद के साथ-साथ परिवार को भी युद्ध पर ले जाने को तैयार हूं। दुश्मनों को सबक सिखाया जाएगा।