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‘बुद्ध की मूल विधारधारा को बचाना चुनौती’
siddharthnagar
Published by: राकेश पांडेय
Updated Mon, 17 Dec 2018 10:43 PM IST
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दि बौद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया की ओर से जिला कारागार के मैदान में सोमवार को महाधम्म सम्मेलन का आयोजन हुआ।
- फोटो : अमर उजाला

सिद्धार्थनगर। दि बौद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया की ओर से जिला कारागार के मैदान में सोमवार को महाधम्म सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मेलन में दि बौद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष व डॉ. भीम राव राम जी आंबेडकर के प्रपौत्र भीमराव यशवंत राव आंबेडकर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। कहा कि बुद्ध की मूल विधारधारा को बचाए रखना आज की सबसे बड़ी चुनौती है। आज भारत भूमि पर यह धर्म बढ़ने के बजाय विलुप्तीकरण के कगार पर जा पहुंचा है और भारत में यह संक्रमण काल के दौर से गुजर रहा है। इसे रोकना होगा। सावधान होकर बुद्ध की मूल विधारधारा को बचाए रखना आज की सबसे बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म दुनिया का पहला ऐसा धर्म है, जो विज्ञान पर आधारित है। इसमें समता, स्वतंत्रता, और बंधुत्व का समावेश है। आज यह धर्म दुनिया के 36 देशों में फैला है। कहा कि वर्तमान समय में दुनिया में जो शांति, हिंसा, अत्याचार, अंधकारवाद, आतंकवाद के संकट के बादल मंडरा रहे हैं और दुनिया में नफरत का माहौल कायम होता जा रहा है। इसका निदान बौद्ध धर्म से ही है। कहा कि 14 अक्टूबर 1956 में बाबा साहब ने नागपुर में पांच लाख से ज्यादा लोगों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। और इस सूखे हुए गुलिस्ते को फिर से गुलजार बनाया। सम्मेलन में सैकड़ों की संख्या में बौद्ध धर्मावलंबी उपस्थित रहे।
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उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म दुनिया का पहला ऐसा धर्म है, जो विज्ञान पर आधारित है। इसमें समता, स्वतंत्रता, और बंधुत्व का समावेश है। आज यह धर्म दुनिया के 36 देशों में फैला है। कहा कि वर्तमान समय में दुनिया में जो शांति, हिंसा, अत्याचार, अंधकारवाद, आतंकवाद के संकट के बादल मंडरा रहे हैं और दुनिया में नफरत का माहौल कायम होता जा रहा है। इसका निदान बौद्ध धर्म से ही है। कहा कि 14 अक्टूबर 1956 में बाबा साहब ने नागपुर में पांच लाख से ज्यादा लोगों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। और इस सूखे हुए गुलिस्ते को फिर से गुलजार बनाया। सम्मेलन में सैकड़ों की संख्या में बौद्ध धर्मावलंबी उपस्थित रहे।
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