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जीवत्पुत्रिका व्रत आज: संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए ऐसे करें पूजन, जानें सही विधि

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी Published by: उत्पल कांत Updated Wed, 29 Sep 2021 01:50 PM IST
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सार

बीएचयू संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि इस वर्ष अष्टमी 29 सितंबर को दिन में 4.55 बजे तक है। 

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जीवत्पुत्रिका व्रत - फोटो : फाइल
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विस्तार
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आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पुत्र के लिए आयु, आरोग्य, लाभ तथा सर्वविध कल्याण के लिए जीवत्पुत्रिका का व्रत विधान बुधवार को मनाया जाएगा। परंपरा के अनुसार व्रत में फलों को चढ़ावा चढ़ाने के साथ ही उसे पुरोहित को दान भी किया जाता है। इसको देखते हुए ही बनारस में फलों का बाजार सजा  है। मंडुवाडीह, सुंदरपुर, अर्दली बाजार, छित्तूपुर आदि जगहों पर सेब, अनानाश, मौसमी, केला, नारियल के साथ ही पूजन सामग्रियों की खरीदारी बीते दिन से जारी है। 

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ऐसे करें पूजन 
गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीप कर स्वच्छ कर दें। छोटा-सा तालाब भी जमीन खोदकर बना लें। तालाब के निकट एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ा कर दें। शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति जल (या मिट्टी) के पात्र में स्थापित कर पीली और लाल रूई से अलंकृत करें तथा धूप, दीप, अक्षत, फूल माला एवं विविध प्रकार के नैवेद्यों से पूजन करें।
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पढ़ेंः कलियुग में मां काली की उपासना से होता है सभी दुखों का निवारण, जीवित्पुत्रिका पर बन रहा खास संयोग
मिट्टी तथा गाय के गोबर से चिल्ली या चिल्होड़िन (मादा चील) और सियारिन की मूर्ति बनाकर उनके मस्तकों को लाल सिंदूर से भूषित कर दें। अपने वंश की वृद्धि और प्रगति के लिए उपवास कर बांस के पत्रों से पूजन करना चाहिए। इसेक बाद व्रत माहात्म्य की कथा का श्रवण करना चाहिए।

कल होगा पारण

प्रदोष काल व्यापिनी अष्टमी को जीमूत वाहन का पूजन होता है। इस व्रत के लिए यह भी आवश्यक है कि पूर्वाह्न काल में पारण के लिए नवमी तिथि प्राप्त हो। बीएचयू संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि इस वर्ष अष्टमी 29 सितंबर को दिन में 4.55 बजे तक है।

इसलिए पूर्व दिन सप्तमी को प्रदोष व्यापिनी अष्टमी में व्रत करने पर पारण करने के लिए दूसरे दिन पूर्वाह्न में नवमी प्राप्त नहीं हो रही है। अत: उदया अष्टमी बुधवार को उपवास पूर्वक प्रदोष काल में ही जीमूतवाहन की पूजा करके नवमी में बृहस्पतिवार को सुबह पारण करना चाहिए। इसलिए 29 सितंबर को जीवत्पुत्रिका का उपवास तथा प्रदोष काल में (शाम 4.28 से रात्रि 7.32तक) पूजन होगा। 30 सितंबर गुरुवार को व्रत का पारण होगा।

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