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Champawat News: मैदानी रूट पर चलाई जा रहीं पहाड़ में आयु पूरी कर चुकी 19 बसें
संवाद न्यूज एजेंसी, चम्पावत
Updated Thu, 27 Nov 2025 11:29 PM IST
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टनकपुर में रोडवेज की कार्यशाला में मरम्मत के लिए खड़ी बसें। संवाद
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टनकपुर (चंपावत)। टनकपुर डिपो से पुरानी बसों के सहारे यात्रियों को मंजिल तक पहुंचाया जा रहा है। इसमें पहाड़ में अपनी उम्र पार कर चुकीं 19 बसें मैदान में दौड़ाई जा रही हैं। 2019 से एक भी नई बस नहीं मिली हैं। जैसे-तैसे पुरानी बसों का संचालन हो रहा है। पुरानी बसों की खिड़कियां भी टूटी हैं।
बृहस्पतिवार को संवाद न्यूज एजेंसी की टीम रोडवेज बसों की स्थिति का जायजा लेते हुए पड़ताल की। सुबह करीब 11 बजे टीम रोडवेज बस स्टेशन पहुंची। टनकपुर डिपो की हल्द्वानी रूट की बस पहुंची तो चालाक प्रताप सिंह बिष्ट ने बताया कि पुरानी बसों को मरम्मत कर दौड़ा रहे हैं। मैकेनिक कम होने से पुरानी बसों को ठीक करने में काफी समय लग जाता। दोपहर रोडवेज कार्यशाला में चालक तानसेन ने बताया कि वह तीन से चार दिन से खराब बस को ठीक कराने में जुटे हैं। पहाड़ पर चलने के मानक पूरे कर चुकी बस को अब मैदान में संचालित किया जा रहा है।
बताया कि मैकेनिक और पार्ट्स की कमी से बस ठीक कराने के लिए संघर्ष भी करना पड़ता है। पुरानी बस होने पर खिड़की के रबर टूट जाते हैं। अब सर्दी का मौसम है और दिक्कतें होंगी। बता दें डिपो से प्रतिदिन रुटीन में 71 बसों का संचालन विभिन्न रूटों पर किया जाता है। रूट से आने के बाद इसकी मरम्मत जरूरी होती है। वरना न जाने यह कब खराब हो जाए।
16 मैकेनिकों की कमी
डिपो में 50 मैकेनिक के सापेक्ष 34 ही तैनात हैं। 16 मैकेनिकों की जरूरत है। इससे कभी-कभी बसों की मरम्मत में एक दिन के बजाय दो दिन भी लग जाते हैं। 118 बसों में 93 निगम और 25 अनुबंधित हैं। कई बसें रास्ते में चलते-चलते खराब हो जाती हैं।
कोट
मैकेनिकों की कमी से बसों की मरम्मत में देरी होती है। 2019 से पुरानी बसों से ही काम चलाया जा रहा है। निरंतर डिपो के लिए नई बसों की डिमांड भेजी जा रही है।
- केएस राणा, एआरएम, टनकपुर डिपो, रोडवेज
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बृहस्पतिवार को संवाद न्यूज एजेंसी की टीम रोडवेज बसों की स्थिति का जायजा लेते हुए पड़ताल की। सुबह करीब 11 बजे टीम रोडवेज बस स्टेशन पहुंची। टनकपुर डिपो की हल्द्वानी रूट की बस पहुंची तो चालाक प्रताप सिंह बिष्ट ने बताया कि पुरानी बसों को मरम्मत कर दौड़ा रहे हैं। मैकेनिक कम होने से पुरानी बसों को ठीक करने में काफी समय लग जाता। दोपहर रोडवेज कार्यशाला में चालक तानसेन ने बताया कि वह तीन से चार दिन से खराब बस को ठीक कराने में जुटे हैं। पहाड़ पर चलने के मानक पूरे कर चुकी बस को अब मैदान में संचालित किया जा रहा है।
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बताया कि मैकेनिक और पार्ट्स की कमी से बस ठीक कराने के लिए संघर्ष भी करना पड़ता है। पुरानी बस होने पर खिड़की के रबर टूट जाते हैं। अब सर्दी का मौसम है और दिक्कतें होंगी। बता दें डिपो से प्रतिदिन रुटीन में 71 बसों का संचालन विभिन्न रूटों पर किया जाता है। रूट से आने के बाद इसकी मरम्मत जरूरी होती है। वरना न जाने यह कब खराब हो जाए।
16 मैकेनिकों की कमी
डिपो में 50 मैकेनिक के सापेक्ष 34 ही तैनात हैं। 16 मैकेनिकों की जरूरत है। इससे कभी-कभी बसों की मरम्मत में एक दिन के बजाय दो दिन भी लग जाते हैं। 118 बसों में 93 निगम और 25 अनुबंधित हैं। कई बसें रास्ते में चलते-चलते खराब हो जाती हैं।
कोट
मैकेनिकों की कमी से बसों की मरम्मत में देरी होती है। 2019 से पुरानी बसों से ही काम चलाया जा रहा है। निरंतर डिपो के लिए नई बसों की डिमांड भेजी जा रही है।
- केएस राणा, एआरएम, टनकपुर डिपो, रोडवेज