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पशु चिकित्सकों का टोटा, कैसे पूरा होगा टीकों का कोटा
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सरकार की ओर से पशुपालन विभाग को एक माह में करीब पौने तीन लाख पशुओं को खुरपका-मुंहपका टीकाकरण करने का लक्ष्य तो दे दिया गया है, लेकिन विभाग के पास पशु चिकित्सकों का टोटा बना हुआ है। आलम यह है कि डॉक्टरों और पशुधन प्रसार अधिकारियों के पदों के सापेक्ष आधे ही तैनात हैं। ऐसे में टीकाकरण के कोटे का लक्ष्य कैसे पूूरा किया जाएगा।
कोरोना काल के दो साल बाद पशुओं (गाय और भैंस) में खुरपका और मुंहपका बीमारी से बचाव के टीकाकरण शुरू किया गया है। 25 जून से शुरू हुए टीकाकरण अभियान में पशुपालन विभाग को शासन की ओर से 27 जुलाई तक दो लाख 70 हजार पशुओं को टीकाकरण करने का लक्ष्य दिया गया है।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए चिकित्सकों की टीम गांव-गांव जाकर टीकाकरण भी कर रही है, लेकिन पशुपालन विभाग में डॉक्टरों की स्थिति को देखा जाए तो जनपद में कुल 17 पशु चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं। उनमें से अब मात्र नौ डॉक्टर तैनात हैं, जबकि पशु सेवा केंद्रों की संख्या भी 39 है, जिनमें महज 20 पशुधन प्रसार अधिकारी ही काम कर रहे हैं। इसकी वजह से डॉक्टरों और पशुधन प्रसार अधिकारियों को दो-दो क्षेेेत्रों का कार्यभार देखना पड़ रहा है। इसका असर टीकाकरण पर पड़ने से लक्ष्य को पूरा करने में डॉक्टरों को पसीने आ रहे हैं। उधर, ऐसे में अगर समय से टीकाकरण नहीं हो पाया तो पिछले साल की तरह फिर से पशुओं को बीमारी की चपेट में आने की आशंका बढ़ सकती है। इसका खामियाजा पशुपालकों को भुगतना पड़ सकता है।
अटैचमेंट खत्म करने से खाली हुआ जिला
सरकार की ओर से दो महीने पहले अटैचमेंट खत्म कर दिए गए थे। इससे सभी पशु चिकित्सकों को मूल तैनाती पर जाने के आदेश दिए गए थे। इस आदेश के बाद से सात डॉक्टर और आठ पशुधन प्रसार अधिकारियों को जिला छोड़ना पड़ा। इसके कारण आज जनपद में चिकित्सकों का भारी अभाव देखने को मिल रहा है।
डॉक्टरों और पशु प्रसार अधिकारियों की कमी के कारण टीकाकरण पर असर पड़ रहा है। फिर भी तेजी से टीकाकरण करने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। पशु चिकित्सकों और पशु धन प्रसार अधिकारियों की तैनाती के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। अगर तैनाती हो जाए तो टीकाकरण के साथ ही अन्य सुविधाएं भी पशुपालकों को अच्छे ढंग से दी जा सकेंगी। -डा. योगेश भारद्वाज, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, हरिद्वार
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सरकार की ओर से दो महीने पहले अटैचमेंट खत्म कर दिए गए थे। इससे सभी पशु चिकित्सकों को मूल तैनाती पर जाने के आदेश दिए गए थे। इस आदेश के बाद से सात डॉक्टर और आठ पशुधन प्रसार अधिकारियों को जिला छोड़ना पड़ा। इसके कारण आज जनपद में चिकित्सकों का भारी अभाव देखने को मिल रहा है।
डॉक्टरों और पशु प्रसार अधिकारियों की कमी के कारण टीकाकरण पर असर पड़ रहा है। फिर भी तेजी से टीकाकरण करने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। पशु चिकित्सकों और पशु धन प्रसार अधिकारियों की तैनाती के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। अगर तैनाती हो जाए तो टीकाकरण के साथ ही अन्य सुविधाएं भी पशुपालकों को अच्छे ढंग से दी जा सकेंगी। -डा. योगेश भारद्वाज, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, हरिद्वार
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