40 दिनों की साजिश: होमवर्क से हुई सोने-चांदी की चोरी, सटीक योजना; कारीगर का भेस और दीवार में सुरंग, फिर चोरी
कुसुमखेड़ा में ज्वैलर्स की दुकान में चोरी की वारदात हुई। चोरों ने 40 दिन पहले ज्वैलरी की दुकान से सटी एक दुकान किराए पर ली थी। साप्ताहिक बंदी वाले दिन से एक रात पहले उन्होंने दोनों दुकानों के बीच की दीवार को औजारों से काटा और जेवर चुरा लिए।
विस्तार
हल्द्वानी शहर के कुसुमखेड़ा में राधिका ज्वैलर्स के यहां शुक्रवार रात हुई चोरी की वारदात के पीछे चोरों ने काफी होमवर्क किया था। कई महीने की रेकी के बाद उन्होंने 40 दिन पहले सराफ के प्रतिष्ठान से सटी दुकान किराये पर ली। मौका पाकर साप्ताहिक बंदी से एक रात पहले उनकी और सराफ की दुकान के बीच स्थित दीवार को लोहे के औजार और वेल्डिंग मशीन से काटा। इसके बाद तसल्ली से दुकान में घुसकर सोने-चांदी के जेवर चुरा लिए।
गिरोह के सदस्य ने ज्वैलर नवनीत शर्मा की दुकान के ठीक बगल में रहने वाले गौरव बिष्ट से संपर्क कर उनकी खाली दुकान किराये पर मांगी। इसके बाद दुकान को तैयार करने के लिए गिरोह के अन्य सदस्य पीओपी के कारीगर और कारपेंटर बनकर वहां आने-जाने लगे। शक न हो इसके लिए दुकान में पेशेवर की तरह काम किया। दुकान में पीओपी करने के बाद रंगाई-पुताई की गई। प्लाई से रैक आदि का भी निर्माण किया गया। इससे आसपास के दुकानदारों को उनकी गतिविधियों पर बिलकुल भी शक नहीं हुआ।
चोरी के बाद एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने हाईलेवल मीटिंग की। उन्होंने पांच टीमें गठित कर जल्द से जल्द खुलासा करने के निर्देश दिए। एक टीम सीसीटीवी के जरिये आरोपियों की लोकेशन ट्रेस कर रही है, जबकि दूसरी टीम हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ में जुटी है।
सत्यापन में लापरवाही
किराये पर घर-मकान देने से पहले सत्यापन करना जरूरी है लेकिन यहां इसमें लापरवाही बरती गई। दुकान स्वामी गौरव के अनुसार गिरोह के सदस्य ने अपना नाम हल्द्वानी निवासी जनकराम जोशी बताकर एडवांस के रूप में 10 हजार रुपये दिए और दुकान की चाबी ले ली। 30 नवंबर को 5000 और दे दिए। इस दौरान न तो उसने उसका आधार कार्ड लिया और ना सत्यापन कराया।
ये सवाल हैं अनुत्तरित
- जब कील ठोकने तक की आवाज सुनाई देती है तो रात के सन्नाटे में ड्रिल से दीवार तोड़ने का शोर कैसे किसी को नहीं सुनाई दिया?
- साप्ताहिक बंदी के बावजूद दुकान के अंदर एक करोड़ से अधिक मूल्य के जेवरात क्यों छोड़े गए?
- मुखानी थाने के दो किमी की दूरी पर भी पुलिस के गश्ती दल को क्या देर रात संदिग्ध ऑटो नहीं दिखाई दिया?
- दुकान किराये पर देने और एडवांस लेने के बाद 40 दिन तक किरायेदार का सत्यापन क्यों नहीं कराया गया?
- रात तीन बजे रोडवेज की बस मिलनी मुश्किल है तो सवाल है कि ऑटो से वे कहां तक गए। शहर में ही रूके या किसी और वाहन का प्रयोग किया?
- आरोपी बाहरी थे तो 40 दिन शहर में कहां रुके?
एसपी सिटी को पूरे ऑपरेशन की जिम्मेदारी दी गई है। डॉग स्क्वायड के साथ ही 6 फोरेंसिक टीम वैज्ञानिक एवं तकनीकी साक्ष्य पर अपनी रिपोर्ट बना रही है। एसओजी को भी लगा दिया गया है। सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण करते हुए जांच की जा रही है। कई संदिग्ध हिरासत में भी लिए गए हैं। जल्द पर्दाफाश किया जाएगा।
डॉ. मंजूनाथ टीसी एसएसपी

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