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Uttarakhand: हाईकोर्ट ने अफसरों को फटकारा, कहा- जांच के नाम पर 25 वर्ष से चल रही मनमर्जी, निर्दोष जेल में बंद

अमर उजाला नेटवर्क, नैनीताल Published by: हीरा मेहरा Updated Tue, 08 Jul 2025 01:45 PM IST
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सार

नैनीताल हाईकोर्ट ने विजिलेंस जांच में शिकायत के आधार पर बगैर एफआईआर के आरोपित की गिरफ्तारी को नियमविरुद्ध बताते हुए सम्बंधित अधिकारीयों को कड़ी फटकार लगाई।

Nainital High court reprimanded officers for arresting accused without FIR
उत्तराखंड हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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नैनीताल हाईकोर्ट ने विजिलेंस जांच में शिकायत के आधार पर बगैर एफआईआर के आरोपित की गिरफ्तारी को नियमविरुद्ध बताते हुए सम्बंधित अधिकारीयों को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि बीते 25 वर्षों से जांच के नाम पर मनमर्जी चल रही है और तमाम निर्दोष लोग जेलों में बंद हैं।

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मुख्य कोषाधिकारी दिनेश राणा की ओर से दाखिल जमानत याचिका पर जस्टिस राकेश थपलियाल के समक्ष सुनवाई हुई। कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण विधिक प्रक्रियाओं पर सवाल किए। कोर्ट ने विजिलेंस, सीबीआई और एंटी करप्शन ब्यूरो की प्रक्रिया पर चर्चा के दौरान यह टिप्पणी की। पूर्व में कोर्ट ने इन विभागों से आपस में मीटिंग कर यह तय करने को कहा था कि ऐसे मामलों में क्या बगैर एफआईआर गिरफ्तारी का प्रावधान है। विभागों की मीटिंग के बाद कोर्ट के समक्ष यह तथ्य आया कि विभागों की प्रक्रिया में विरोधाभास है।

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सीबीआई और एंटी करप्शन ब्यूरो बगैर एफआईआर गिरफ्तारी नहीं करते जबकि विजिलेंस ने कहा कि आरोपी की ट्रैपिंग इन्वेस्टीगेशन का पार्ट है, लेकिन बगैर एफआईआर गिरफ्तारी पर स्थिति स्पष्ट न होने पर कोर्ट ने भारी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि पुलिस में भी एक जांच अधिकारी को पचास पचास केस दिए जाते हैं और 90 दिन में चार्जशीट दाखिल न होने पर उनकी वेतन वृद्धि रोक दी जाती है जिससे आधी अधूरी रिपोर्ट कोर्ट में जमा की जाती है और तमाम निर्दोष लोग जेल में बंद रहने को मजबूर होते हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में जांच व्यवस्था की दुर्दशा कर दी गई है। मामले की सुनवाई जारी रखते हुए कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 8 जुलाई की तिथि नियत की है।

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